क्यों चुप बैठे हो लगता है कुछ है माजरा
क्यों चुप बैठे हो लगता है कुछ है माजरा
क्यों चुप बैठे हो लगता है कुछ है माजरा,कुछ तुम बोलो कुछ हम बोले ओ साँवरा,
है तेरे नाम की मस्ती में दिल बावरा ओ साँवरा,
क्यों चुप बैठे हो लगता है कुछ है माजरा,
दो चार कदम पे तुम हो दो चार कदम पे हम है,
बस इतनी सी दुरी है फिर ख़तम हुए सब हम है,
हर पल दिल में रहते हो ओ साँवरा,
क्यों चुप बैठे हो लगता है कुछ है माजरा,
कैसी ये प्रीत बढाई कब से है रीत चलाई
जैसे ही मुरली बजाते राधा दौड़ी आई,
तुम आज भी वो ही जादूगर हो ओ साँवरा,
क्यों चुप बैठे हो लगता है कुछ है माजरा,
ऐसा है एक एक प्रेमी हर पल वो तुझपे मिटा है,
आकाश में सुनापन था तेरी प्यार की छाई खता है,
अब साँवरा बस साँवरा ओ साँवरा,
क्यों चुप बैठे हो लगता है कुछ है माजरा,
Akansha Mittal New Khatu Shyam Bhajan - Kuch Tum Bolo Kuch Hum Bole | Best Shyam Bhajan
BHAJAN - Kuch Tum Bolo Kuch Hum Bole
Singer - AKANSHA MITTAL
ALBUM - Shyam Tumse Hai Mohabbat
MUSIC - DEVENDER DEV
ARTIST - AKANSHA MITTAL,MANJEET , PRIYA SHARMA
साँवरे का वह प्रेममय और जादूगर-सा स्वरूप भक्त के हृदय में ऐसी मस्ती भर देता है कि वह हर पल केवल उनकी ही बात करना चाहता है, उनके साथ एक अनोखा संवाद रचाना चाहता है। यह साँवरा का वह चमत्कार है, जो भक्त को इतना करीब लाता है कि लगता है, बस दो-चार कदम की दूरी ही बाकी है, और फिर वह पूरी तरह उनके रंग में रंग जाता है। उनकी मुरली की मधुर धुन और प्रेम की वह रीत, जो राधा को दौड़ाकर उनके पास ले आई थी, आज भी हर भक्त के मन को उसी तरह बेकरार करती है। साँवरे की यह प्रीत ऐसी है, जो भक्त के हृदय को सदा उनके साथ जोड़े रखती है, और वह हर क्षण उनके नाम की खुमारी में डूबा रहता है, यह सोचकर कि कुछ तो माजरा है, जो साँवरा इतना प्यारा लगता है।
भगवान श्रीकृष्ण को "सांवरा" या "सांवला" इसलिए कहा जाता है क्योंकि उनका रंग गहरा श्याम, नीला या सांवला बताया गया है। धार्मिक ग्रंथों और भक्तों की कविताओं में श्रीकृष्ण के रंग को "मेघ श्याम", "नवनीत नीला", "जामुन जैसा" या "काली घटा जैसा" कहा गया है। सांवला रंग उनके सौंदर्य, आकर्षण और दिव्य स्वरूप का प्रतीक माना जाता है। भक्तजन उन्हें प्रेम से "सांवरा सलोना", "श्याम सुंदर" आदि नामों से पुकारते हैं। सांवरे रंग के कारण ही राधा-कृष्ण की जोड़ी को "श्याम-सलौनी" भी कहा जाता है। सांवरे रंग में छुपा है उनका निश्छल प्रेम, करुणा और अलौकिक आकर्षण, जो हर भक्त को अपनी ओर खींच लेता है। इसी कारण श्रीकृष्ण को "सांवरा" कहा जाता है।