क्यों चुप बैठे हो लगता है कुछ है माजरा लिरिक्स

क्यों चुप बैठे हो लगता है कुछ है माजरा लिरिक्स

क्यों चुप बैठे हो लगता है कुछ है माजरा,
कुछ तुम बोलो कुछ हम बोले ओ साँवरा,
है तेरे नाम की मस्ती में दिल बावरा ओ साँवरा,
क्यों चुप बैठे हो लगता है कुछ है माजरा,

दो चार कदम पे तुम हो दो चार कदम पे हम है,
बस इतनी सी दुरी है फिर ख़तम हुए सब हम है,
हर पल दिल में रहते हो ओ साँवरा,
क्यों चुप बैठे हो लगता है कुछ है माजरा,

कैसी ये प्रीत बढाई कब से है रीत चलाई
जैसे ही मुरली बजाते राधा दौड़ी आई,
तुम आज भी वो ही जादूगर हो ओ साँवरा,
क्यों चुप बैठे हो लगता है कुछ है माजरा,

ऐसा है एक एक प्रेमी हर पल वो तुझपे मिटा है,
आकाश में सुनापन था तेरी प्यार की छाई खता है,
अब साँवरा बस साँवरा ओ साँवरा,
क्यों चुप बैठे हो लगता है कुछ है माजरा, 
 

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