शनैश्चरष्टॊत्तर शतनामावलि अर्थ महत्त्व

शनैश्चरष्टॊत्तर शतनामावलि अर्थ महत्त्व

.॥ शनैश्चरष्टॊत्तर शतनामावलि ॥
ॐ शनैश्चराय नमः । ॐ शांताय नमः ।
ॐ सर्वाभीष्टप्रदायिनॆ नमः । ॐ शरण्याय नमः ।
ॐ वरॆण्याय नमः । ॐ सर्वॆशाय नमः ।
ॐ स्ॐयाय नमः । ॐ सुरवंद्याय नमः ।
ॐ सुरलॊकविहारिणॆ नमः । ॐ सुखासनॊपविष्टाय नमः ॥ १० ॥
ॐ सुंदराय नमः । ॐ घनाय नमः ।
ॐ घनरूपाय नमः । ॐ घनाभरणधारिणॆ नमः ।
ॐ घनसारविलॆपाय नमः । ॐ खद्यॊताय नमः ।
ॐ मंदाय नमः । ॐ मंदचॆष्टाय नमः ।
ॐ महनीयगुणात्मनॆ नमः । ॐ मर्त्यपावनपादाय नमः ॥ २० ॥
ॐ महॆशाय नमः । ॐ छायापुत्राय नमः ।
ॐ शर्वाय नमः । ॐ शरतूणीरधारिणॆ नमः ।
ॐ चरस्थिरस्वभावाय नमः । ॐ चंचलाय नमः ।
ॐ नीलवर्णाय नमः । ॐ नित्याय नमः ।
ॐ नीलांजननिभाय नमः । ॐ नीलांबरविभूषणाय नमः ॥ ३० ॥
ॐ निश्चलाय नमः । ॐ वॆद्याय नमः ।
ॐ विधिरूपाय नमः । ॐ विरॊधाधारभूमयॆ नमः ।
ॐ वैरास्पदस्वभावाय नमः । ॐ वज्रदॆहाय नमः ।
ॐ वैराग्यदाय नमः । ॐ वीराय नमः ।
ॐ वीतरॊगभयाय नमः । ॐ विपत्परंपरॆशाय नमः ॥ ४० ॥
ॐ विश्ववंद्याय नमः । ॐ गृध्रवाहनाय नमः ।
ॐ गूढाय नमः । ॐ कूर्मांगाय नमः ।
ॐ कुरूपिणॆ नमः । ॐ कुत्सिताय नमः ।
ॐ गुणाढ्याय नमः । ॐ गॊचराय नमः ।
ॐ अविद्यामूलनाशाय नमः । ॐ विद्याविद्यास्वरूपिणॆ नमः ॥ ५० ॥
ॐ आयुष्यकारणाय नमः । ॐ आपदुद्धर्त्रॆ नमः ।
ॐ विष्णुभक्ताय नमः । ॐ वशिनॆ नमः ।
ॐ विविधागमवॆदिनॆ नमः । ॐ विधिस्तुत्याय नमः ।
ॐ वंद्याय नमः । ॐ विरूपाक्षाय नमः ।
ॐ वरिष्ठाय नमः । ॐ गरिष्ठाय नमः ॥ ६० ॥
ॐ वज्रांकुशधराय नमः । ॐ वरदाय नमः ।
ॐ अभयहस्ताय नमः । ॐ वामनाय नमः ।
ॐ ज्यॆष्ठापत्नीसमॆताय नमः । ॐ श्रॆष्ठाय नमः ।
ॐ अमितभाषिणॆ नमः । ॐ कष्टौघनाशनाय नमः ।
ॐ आर्यपुष्टिदाय नमः । ॐ स्तुत्याय नमः ॥ ७० ॥
ॐ स्तॊत्रगम्याय नमः । ॐ भक्तिवश्याय नमः ।
ॐ भानवॆ नमः । ॐ भानुपुत्राय नमः ।
ॐ भव्याय नमः । ॐ पावनाय नमः ।
ॐ धनुर्मंडलसंस्थाय नमः । ॐ धनदाय नमः ।
ॐ धनुष्मतॆ नमः । ॐ तनुप्रकाशदॆहाय नमः ॥ ८० ॥
ॐ तामसाय नमः । ॐ अशॆषजनवंद्याय नमः ।
ॐ विशॆषफलदायिनॆ नमः । ॐ वशीकृतजनॆशाय नमः ।
ॐ पशूनांपतयॆ नमः । ॐ खॆचराय नमः ।
ॐ खगॆशाय नमः । ॐ घननीलांबराय नमः ।
ॐ काठिण्यमानसाय नमः । ॐ आर्यगुणस्तुत्याय नमः ॥ ९० ॥
ॐ नीलच्छत्राय नमः । ॐ नित्याय नमः ।
ॐ निर्गुणाय नमः । ॐ गुणात्मनॆ नमः ।
ॐ निरामयाय नमः । ॐ निंद्याय नमः ।
ॐ वंदनीयाय नमः । ॐ धीराय नमः ।
ॐ दिव्यदॆहाय नमः । ॐ दीनार्तिहरणाय नमः ॥ १०० ॥
ॐ दैन्यनाशकराय नमः । ॐ आर्यजनगण्याय नमः ।
ॐ क्रूराय नमः । ॐ क्रूरचॆष्टाय नमः ।
ॐ कामक्रॊधधराय नमः । ॐ कळत्रपुत्रशत्रुत्वकारणाय नमः ।
ॐ परिपॊषितभक्ताय नमः । ॐ वरभीतिहराय नमः ।
ॐ भक्तसंघमनॊभीष्टफलदाय नमः ।
ॐ श्रीमच्छनैश्चराय नमः ॥ ११० ॥
॥ शनैश्चरष्टॊत्तर शतनामावळिः संपूर्णम्‌ ॥


108 Names of Lord Shani Dev |Sri Sanaischara Ashtottara Shatanamavali | Star Birthday of Lord Shani

शनैश्चराय नमः – शनिदेव को नमस्कार
शांताय नमः – शांत स्वभाव वाले
सर्वाभीष्टप्रदायिने नमः – सबकी इच्छाएँ पूरी करने वाले
शरण्याय नमः – शरण देने वाले
वरेण्याय नमः – श्रेष्ठ, वरेण्य
सर्वेशाय नमः – सबके स्वामी
सौम्याय नमः – सौम्य (मृदु) स्वभाव वाले
सुरवंद्याय नमः – देवताओं द्वारा पूजित
सुरलोकविहारिणे नमः – स्वर्गलोक में विचरण करने वाले
सुखासनोपविष्टाय नमः – सुखासन में विराजमान
सुंदराय नमः – सुंदर स्वरूप वाले
घनाय नमः – मेघ के समान
घनरूपाय नमः – घन (बादल) के रूप वाले
घनाभरणधारिणे नमः – बादल जैसे आभूषण पहनने वाले
घनसारविलेपाय नमः – घनसार (सुगंधित लेप) से अलंकृत
खद्योताय नमः – प्रकाशमान
मंदाय नमः – मंद गति से चलने वाले
मंदचेष्टाय नमः – मंद गति की क्रियाएँ करने वाले
महनीयगुणात्मने नमः – महान गुणों वाले
मर्त्यपावनपादाय नमः – मृत्युलोक (पृथ्वी) को पवित्र करने वाले
महेशाय नमः – महान ईश्वर
छायापुत्राय नमः – छाया के पुत्र
शर्वाय नमः – शिव स्वरूप
शरतूणीरधारिणे नमः – शर (तीर) और तूणीर धारण करने वाले
चरस्थिरस्वभावाय नमः – चर और स्थिर दोनों स्वभाव वाले
चंचलाय नमः – चंचल स्वभाव वाले
नीलवर्णाय नमः – नीले रंग वाले
नित्याय नमः – सदा रहने वाले
नीलांजननिभाय नमः – नीलांजन (काजल) के समान
नीलांबरविभूषणाय नमः – नीले वस्त्र पहनने वाले
निश्चलाय नमः – अडिग, स्थिर
वेद्याय नमः – जानने योग्य
विधिरूपाय नमः – विधि (नियम) स्वरूप
विरोधाधारभूमये नमः – विरोध का आधार
वैरास्पदस्वभावाय नमः – शत्रुता के स्वभाव वाले
वज्रदेहाय नमः – वज्र (हीरे) के समान कठोर शरीर
वैराग्यदाय नमः – वैराग्य देने वाले
वीराय नमः – वीर, पराक्रमी
वीतरोगभयाय नमः – रोग और भय से मुक्त करने वाले
विपत्परंपरेशाय नमः – विपत्तियों की शृंखला को नियंत्रित करने वाले
विश्ववंद्याय नमः – समस्त संसार द्वारा पूजित
गृध्रवाहनाय नमः – गिद्ध वाहन वाले
गूढ़ाय नमः – रहस्यमय
कूर्मांगाय नमः – कछुए के अंग वाले
कुरूपिणे नमः – विचित्र रूप वाले
कुत्सिताय नमः – भयानक रूप वाले
गुणाढ्याय नमः – गुणों से संपन्न
गोचराय नमः – सबके बीच विचरण करने वाले
अविद्यामूलनाशाय नमः – अज्ञान का नाश करने वाले
विद्याविद्यास्वरूपिणे नमः – ज्ञान और अज्ञान दोनों के स्वरूप
आयुष्यकारणाय नमः – आयु देने वाले
आपदुद्धर्त्रे नमः – आपत्तियों से उबारने वाले
विष्णुभक्ताय नमः – विष्णु के भक्त
वशिने नमः – सबको वश में करने वाले
विविधागमवेदिने नमः – सभी शास्त्रों के ज्ञाता
विधिस्तुत्याय नमः – विधि (ब्रह्मा) द्वारा स्तुत्य
वंद्याय नमः – पूजनीय
विरूपाक्षाय नमः – विचित्र नेत्र वाले
वरिष्ठाय नमः – श्रेष्ठ
गरिष्ठाय नमः – सबसे भारी
वज्रांकुशधराय नमः – वज्र और अंकुश धारण करने वाले
वरदाय नमः – वरदान देने वाले
अभयहस्ताय नमः – अभय (निर्भयता) देने वाले
वामनाय नमः – छोटे रूप वाले
ज्येष्ठापत्नीसमेताय नमः – ज्येष्ठा देवी के साथ
श्रेष्ठाय नमः – श्रेष्ठ
अमितभाषिणे नमः – अत्यधिक बोलने वाले
कष्टौघनाशनाय नमः – कष्टों का नाश करने वाले
आर्यपुष्टिदाय नमः – श्रेष्ठ लोगों को पुष्ट करने वाले
स्तुत्याय नमः – स्तुति के योग्य
स्तोत्रगम्याय नमः – स्तोत्रों से प्राप्त होने वाले
भक्तिवश्याय नमः – भक्ति से वश में होने वाले
भानवे नमः – सूर्य के समान
भानुपुत्राय नमः – सूर्य के पुत्र
भव्याय नमः – भव्य स्वरूप वाले
पावनाय नमः – पवित्र करने वाले
धनुर्मंडलसंस्थाय नमः – धनुष के मंडल में स्थित
धनदाय नमः – धन देने वाले
धनुष्मते नमः – धनुषधारी
तनुप्रकाशदेहाय नमः – शरीर से प्रकाश देने वाले
तामसाय नमः – तामसिक गुण वाले
अशेषजनवंद्याय नमः – सभी जनों द्वारा पूजित
विशेषफलदायिने नमः – विशेष फल देने वाले
वशीकृतजनेशाय नमः – लोगों को वश में करने वाले
पशूनांपतये नमः – पशुओं के स्वामी
खेचराय नमः – आकाश में विचरण करने वाले
खगेशाय नमः – पक्षियों के स्वामी
घननीलांबराय नमः – घने नीले वस्त्र पहनने वाले
काठिण्यमानसाय नमः – कठोर मन वाले
आर्यगुणस्तुत्याय नमः – श्रेष्ठ गुणों से युक्त
नीलच्छत्राय नमः – नीला छत्र (छाता) धारण करने वाले
नित्याय नमः – सदा रहने वाले
निर्गुणाय नमः – निर्गुण स्वरूप
गुणात्मने नमः – गुणों के आत्मा
निरामयाय नमः – रोग रहित
निंद्याय नमः – निंदा के योग्य (कठोरता के कारण)
वंदनीयाय नमः – पूजनीय
धीराय नमः – धैर्यवान
दिव्यदेहाय नमः – दिव्य शरीर वाले
दीनार्तिहरणाय नमः – दुखियों की पीड़ा हरने वाले
दैन्यनाशकराय नमः – दीनता का नाश करने वाले
आर्यजनगण्याय नमः – श्रेष्ठ जनों में गिने जाने वाले
क्रूराय नमः – कठोर स्वभाव वाले
क्रूरचेष्टाय नमः – कठोर कार्य करने वाले
कामक्रोधधराय नमः – काम और क्रोध धारण करने वाले
कळत्रपुत्रशत्रुत्वकारणाय नमः – पत्नी-पुत्र से शत्रुता का कारण बनने वाले
परिपोषितभक्ताय नमः – अपने भक्तों का पालन करने वाले
वरभीतिहराय नमः – वर देने वाले और भय दूर करने वाले
भक्तसंघमनाभीष्टफलदाय नमः – भक्तों की इच्छाएँ पूरी करने वाले
श्रीमच्छनैश्चराय नमः – श्रीमान शनैश्चर (शनि देव) को नमस्कार

शनि स्तोत्र या शनि अष्टोत्तर शतनामावली का जाप करने से शनि के प्रकोप—जैसे साढ़ेसाती, ढैय्या, दशा-महादशा या शनि दोष—में काफी राहत मिलती है। धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनिवार के दिन श्रद्धा और विधिपूर्वक शनि स्तोत्र का पाठ करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और उनके कुप्रभाव से रक्षा होती है। यह जाप शनि की नकारात्मक ऊर्जा को शांत करता है, जीवन में आ रही बाधाओं, मानसिक तनाव, आर्थिक संकट और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को दूर करने में सहायक होता है।

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