जरा धीरे धीरे गाड़ी हांको मेरे राम गाड़ी वाले
जरा धीरे धीरे गाड़ी हांको मेरे राम गाड़ी वाले,
जरा हलके गाड़ी हांको, मेरे राम गाड़ी वाले,
जरा हौले हौले गाड़ी हांको, मेरे राम गाड़ी वाले।।
है जी गाड़ी म्हारी रंग रंगीली, पहिया है लाल गुलाल,
या गाड़ी म्हारी रंग रंगीली, पहिया है लाल गुलाल,
हांजी हाकण वाली छेल छबीली, बैठण वालो राम,
हांजी भैया धीरे धीरे गाड़ी हांको, मेरे राम गाड़ी वाले।।
या गाड़ी अटकी रेत में, म्हारी मंजिल पड़ी है दूर,
गाड़ी अटकी रेत में, मेरी मजल पड़ी है दूर,
धर्मी धर्मी पार उतर गया, पापी चकना चूर,
जरा धीरे धीरे गाड़ी हांको मेरे राम गाड़ी वाले
ओजी देस देस का वेद बुलाया, लाया जड़ी और बूटी,
देस देस का वेद बुलाया, लाया जड़ी और बूटी,
जड़ी बूटी तेरे काम ना आई, जब राम के घर की टूटी,
जरा धीरे धीरे गाड़ी हांको मेरे राम गाड़ी वाले
है जी चार जणा मिल माथे उठायो, बाँधी कांठ की घोड़ी,
चार जणा मिल माथे उठायो, बाँधी कांठ की घोड़ी,
ले जाके मरघट पे रखदि, फूंक दीन्ही जस होरी,
आ भइया जरा धीरे धीरे गाड़ी हांको मेरे राम गाड़ी वाले
बिलख बिलख कर तिरिया रोवे, बिछड़ गई मेरी जोड़ी,
बिलख बिलख कर तिरिया रोवे, बिछड़ गई मेरी जोड़ी,
कहे कबीर सुनो भई साधु, जिन जोड़ी तीन तोड़ी,
जरा धीरे धीरे गाड़ी हांको मेरे राम गाड़ी वाले
जरा धीरे धीरे गाड़ी हांको, मेरे राम गाड़ी वाले,
जरा हलके गाड़ी हांको, मेरे राम गाड़ी वाले,
जरा धीरे धीरे गाड़ी हांको मेरे राम गाड़ी वाले
KABIR BHAJAN" Prahlad singh Tipaniya (BHOPAL)
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