माटी कहे कुम्हार से तू क्या रोंदे मोहे भजन लिरिक्स

माटी कहे कुम्हार से तू क्या रोंदे मोहे Mati Kahe Kumhar Se Tu Kya Ronde Anup Jalota Bhajan

माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रोंदे मोहे,
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रोंदूगी तोहे ।

आये हैं तो जायेंगे, राजा रंक फ़कीर,
एक सिंघासन चडी चले, एक बंदे जंजीर ।

दुर्बल को ना सतायिये, जाकी मोटी हाय,
बिना जीभ की हाय से लोह भसम हो जाए ।

चलती चक्की देख के दिया कबीर रोये,
दो पाटन के बीच में बाकी बचा ना कोई ।

हाड जले ज्यू लाकड़ी केश जले ज्यो घास
सब जलता देख के भये कबीर उदास।

कबीरा खाई कोट कि, पानी पिवै न कोई
जाइ मिलै जब गंग से, तब गंगोदक होइ।

तुलसी तुलसी सब कहे, तुलसी बन की घास
हो गयी कृपा राम की, तो बन गए तुलसीदास

रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डार
जहां काम आवे सुई, क्या करे तलवार

रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो छिटकाय,
टूटे ते फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ पड़ जाय

ऐसी देनी दें ज्यू कित सीख्यो हो सैन
ज्यो ज्यो कर ऊंचो कर त्यों त्यों निचे नैन

देनहार कोई और हैं भेजत जो दिन रेन
लोग भरम हम पर करे तासो निचे नैन

तुलसी इस संसार में सबसे से मिलिए भाय
ना जाने किस रूप में नारायण मिल जाय।
 
The phrase "Mati Kahe Kumhar Se Tu Kyo Ronde Moy" is a line from a popular folk song in Hindi, which has been used in many Bollywood songs and movies. The phrase can be translated to English as, "O clay, why do you cry when the potter beats and molds you?"
 


 Maati Kahe Kumhaar Se - Jagjit Singh - Kabir Ke Dohe

Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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