ॐ नमो श्री शनिदेव तेरी नित्य आरती गाऊं

ॐ नमो श्री शनिदेव तेरी नित्य आरती गाऊं

मंगल दीप जलाऊं मैं,
पूजा के थाल सजाऊं,
ॐ नमो श्री शनिदेव तेरी,
नित्य आरती गाऊं।

श्याम वर्ण है काया भगवन,
तन पीतांबर धारे,
धीरवान गंभीर शनैश्वर,
सूरज कुल उजियारे,
बैठ सामने छाया नंदन,
हरपल ध्यान लगाऊं,
ॐ नमो श्री शनिदेव तेरी,
नित्य आरती गाऊं।

मंगल दीप जलाऊं मैं,
पूजा के थाल सजाऊं,
ॐ नमो श्री शनिदेव तेरी,
नित्य आरती गाऊं।

खुले गगन में आसन धारे,
करते काग सवारी,
तिल तेल का भोग चढ़ाये,
तुझको दुनिया सारी,
भाव सहित मैं करू वंदना,
कृपा तिहारी पाऊं,
ॐ नमो श्री शनिदेव तेरी,
नित्य आरती गाऊं।

मंगल दीप जलाऊं मैं,
पूजा के थाल सजाऊं,
ॐ नमो श्री शनिदेव तेरी,
नित्य आरती गाऊं।

क्रोध कभी ना करना भगवन,
भूल मेरी बिसराना,
दया की दृष्टि बनाके रखना,
सदा प्रेम बरसाना,
शनिवार का व्रत धारण कर,
जीवन धन्य बनाऊं,
ॐ नमो श्री शनिदेव तेरी,
नित्य आरती गाऊं।

मंगल दीप जलाऊं मैं,
पूजा के थाल सजाऊं,
ॐ नमो श्री शनिदेव तेरी,
नित्य आरती गाऊं।
शनिदेव को न्याय के देवता और कर्मों के फल दाता के रूप में पूजा जाता है। जिस पर उनकी कृपा होती है उसे अपार सफलता और समृद्धि मिलती है। शनिदेव धैर्य, परिश्रम और सत्यनिष्ठा के प्रतीक हैं। वे मनुष्य को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं और जीवन में अनुशासन व संयम बनाए रखने की शिक्षा देते हैं। शनिदेव की उपासना से कष्टों से मुक्ति मिलती है और भाग्य भी उदय होता है। तिल, तेल, लोहे और काले वस्त्र अर्पित कर शनिदेव को प्रसन्न करते हैं। शनिवार के दिन उनका व्रत रखने और हनुमान चालीसा या शनिदेव चालीसा का पाठ करने से उनके दुष्प्रभाव दूर होते हैं। उनकी महिमा अपरम्पार है और श्रद्धा व भक्ति से उनकी आराधना करने से जीवन में सफलता और शांति प्राप्त होती है। जय शनिदेव।


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