श्री गणेश जी को प्रशन्न करने के लिए गणेश चतुर्थी 2019 के लिए मंत्र राशि के अनुसार गणेश चतुर्थी (सोमवार दिनांक 2 सितंबर 2019) को करे श्री गणेश जी को प्रशन्न श्री गणेश जी के मंत्र का जाप करें और पाए इस गणेश चतुर्थी को श्री गणेश जी का आशीर्वाद।
मेष व वृश्चिक राशि- 'ॐ गं गणपतये नम:'
वृषभ व तुला राशि- 'ॐ गं गणपतये नम:'
मिथुन व कन्या राशि- 'ॐ वक्रतुण्डाय हुं'
सिंह राशि- 'ॐ एकदंताय नम:'
कर्क राशि- 'ॐ भालचंद्राय नम:'
धनु व मीन राशि- 'ॐ लंबोदराय नम:'
कुंभ व मकर राशि- 'ॐ विकटाननाय नम:
गणेश चतुर्थी क्या है Why do we celebrate Ganesh Chaturthi : गणेश चतुर्थी भगवान् शिव और पार्वती के पुत्र श्री गणेश जी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। श्री गणेश जी को रिधि सिद्धि और शुभ कार्यों के आव्हान के लिए जाना जाता है। श्री गणेश जी के जन्म के विषय में प्रमुख रूप से दो मान्यताये हैं, जिनमे से प्रथम है की माता पार्वती जी ने एक बार स्नान के दौरान अपने शरीर पर लगी मिटटी से गणेश जी का निर्माण किया ताकि उन्हें पहरेदार रखकर वे स्नान कर सके। जब शिव आये तो गणेश जी ने उनको जाने की अनुमति नहीं दी। इस पर शिव क्रोधित हो गए और बालक गणेश जी का सर धड ले अलग कर दिया। पार्वती माता को जब इसका पता चला तो वो भी क्रोधित हो गयी और उन्होंने शिव को चेतावनी दी की उनका पुत्र हर अवस्था में जीवित होना चाहिए। श्री शिव बालक गणेश के मस्तक की खोज में निकल पड़े और आगे चलकर उन्हें एक हाथी के बच्चे का मस्तक मिला जिसे उन्होंने श्री गणेश जी के धड पर लगाकर उन्हें जीवित किया। इसीलिए श्री गणेश जी को एलीफैंट हेडेड गोड के नाम से जाना जाता है। दूसरी मान्यता के अनुसार श्री गणेश जी का निर्माण स्वंय श्री शिव और पार्वती जी ने समस्त देवों की प्राथना के उपरान्त किया जिसमे उन्होंने ऐसे देव की रचना करने का आग्रह किया था जो की समस्त बाधाओं को दूर करने वाला हो और मंगल कारक हो।
मेष व वृश्चिक राशि- 'ॐ गं गणपतये नम:'
वृषभ व तुला राशि- 'ॐ गं गणपतये नम:'
मिथुन व कन्या राशि- 'ॐ वक्रतुण्डाय हुं'
सिंह राशि- 'ॐ एकदंताय नम:'
कर्क राशि- 'ॐ भालचंद्राय नम:'
धनु व मीन राशि- 'ॐ लंबोदराय नम:'
कुंभ व मकर राशि- 'ॐ विकटाननाय नम:
गणेश चतुर्थी क्या है Why do we celebrate Ganesh Chaturthi : गणेश चतुर्थी भगवान् शिव और पार्वती के पुत्र श्री गणेश जी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। श्री गणेश जी को रिधि सिद्धि और शुभ कार्यों के आव्हान के लिए जाना जाता है। श्री गणेश जी के जन्म के विषय में प्रमुख रूप से दो मान्यताये हैं, जिनमे से प्रथम है की माता पार्वती जी ने एक बार स्नान के दौरान अपने शरीर पर लगी मिटटी से गणेश जी का निर्माण किया ताकि उन्हें पहरेदार रखकर वे स्नान कर सके। जब शिव आये तो गणेश जी ने उनको जाने की अनुमति नहीं दी। इस पर शिव क्रोधित हो गए और बालक गणेश जी का सर धड ले अलग कर दिया। पार्वती माता को जब इसका पता चला तो वो भी क्रोधित हो गयी और उन्होंने शिव को चेतावनी दी की उनका पुत्र हर अवस्था में जीवित होना चाहिए। श्री शिव बालक गणेश के मस्तक की खोज में निकल पड़े और आगे चलकर उन्हें एक हाथी के बच्चे का मस्तक मिला जिसे उन्होंने श्री गणेश जी के धड पर लगाकर उन्हें जीवित किया। इसीलिए श्री गणेश जी को एलीफैंट हेडेड गोड के नाम से जाना जाता है। दूसरी मान्यता के अनुसार श्री गणेश जी का निर्माण स्वंय श्री शिव और पार्वती जी ने समस्त देवों की प्राथना के उपरान्त किया जिसमे उन्होंने ऐसे देव की रचना करने का आग्रह किया था जो की समस्त बाधाओं को दूर करने वाला हो और मंगल कारक हो।