आना जी आना सब मिलकर के आना भजन
(मुखड़ा)
आना जी, आना,
सब मिलकर के आना,
माता के चरणों में,
शीश झुकाना।।
(अंतरा 1)
माँगी है मन्नत जिसने,
जो भी यहाँ से,
ख़ाली गया ना, माँ,
सृष्टि के यहाँ से।
है यह हक़ीकत, नहीं,
कोई फ़साना।
आना जी, आना,
सब मिलकर के आना।।
(अंतरा 2)
निर्बल को, माँ,
शक्ति देती,
भक्त जनों को, माँ,
भक्ति देती।
माँ की शक्ति को,
ना आज़माना।
आना जी, आना,
सब मिलकर के आना।।
(अंतरा 3)
कपूरदा धाम है,
सबसे निराला,
आए यहाँ कोई,
क़िस्मत वाला।
मिलता है, माँ के दर पे,
ख़ुशी का ख़ज़ाना।
आना जी, आना,
सब मिलकर के आना।।
(अंतिम पुनरावृत्ति)
आना जी, आना,
सब मिलकर के आना,
माता के चरणों में,
शीश झुकाना।।
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