आये है दिन नवरातों के मेरी मैया भजन

आये है दिन नवरातों के मेरी मैया के जगरातों के

 (मुखड़ा)
आए हैं दिन नवरात्रों के,
मेरी मैया के जगरात्रों के,
जिस घर में माँ की,
ज्योत जगाई जाती है,
माँ नवरात्रों में,
धन बरसाने आती है।।

(अंतरा)
तू खर्चा कर नवरात्रों में,
तू खर्चा कर जगरात्रों पे,
फिर देख तू माँ कैसे,
तक़दीर बनाती है,
माँ नवरात्रों में,
धन बरसाने आती है।।

जिस घर में होते नवरात्रे,
वहाँ माँ के पैर पड़ जाते,
उस घर की लुगाई,
सेठानी कहलाती है,
माँ नवरात्रों में,
धन बरसाने आती है।।

जब देती माँ, देती जाए,
लाखों के करोड़ों बन जाए,
महंगी चीजें सस्ती लगने,
लग जाती हैं,
माँ नवरात्रों में,
धन बरसाने आती है।।

तेरी किस्मत बंद है ताले में,
और चाबी माँ के हवाले में,
कहता है पवन,
मैया वो चाबी घुमाती है,
माँ नवरात्रों में,
धन बरसाने आती है।।

(पुनरावृत्ति)
आए हैं दिन नवरात्रों के,
मेरी मैया के जगरात्रों के,
जिस घर में माँ की,
ज्योत जगाई जाती है,
माँ नवरात्रों में,
धन बरसाने आती है।।
 
यह भजन माँ की कृपा और नवरात्रों के पावन दिनों की महिमा का गुणगान करता है। भजन बताता है कि जिस घर में माँ का जगराता होता है, वहाँ माँ लक्ष्मी धन-वैभव की वर्षा करती हैं। माँ की कृपा से भक्तों की किस्मत संवर जाती है, और उनका जीवन खुशहाल हो जाता है।
 


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