दारिद्रय अभाव गरीबी नाशक शिव मंत्र

दारिद्रय अभाव गरीबी नाशक शिव मंत्र

 
दारिद्रय (अभाव, गरीबी ) दूर करने के लिए श्री शिव जी का मंत्र Shri Shiva Powerful Mantra Shri Shiva Powerful Mantra to Remove Poverty and Troubles

'दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र' महर्षि वशिष्ठ द्वारा रचित एक प्रभावशाली स्तोत्र है, जो भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है और जीवन से दरिद्रता एवं दुःखों के नाश की प्रार्थना करता है। इस स्तोत्र में शिवजी के विभिन्न रूपों और गुणों का उल्लेख है, जैसे कि वे विश्व के स्वामी, नरक से तारने वाले, चंद्रमा को मस्तक पर धारण करने वाले, कर्पूर के समान धवल, जटाधारी, गौरी के प्रिय, गंगा को धारण करने वाले, भक्तिप्रिय, संसाररूपी रोगों और भय का नाश करने वाले, उग्र रूपधारी, ज्योतिर्मय, व्याघ्र चर्म धारण करने वाले, चिता भस्म लगाने वाले, त्रिनेत्रधारी, पंचानन, नागराज को आभूषण रूप में धारण करने वाले, सुवर्ण के समान कान्तिवान, तीनों लोकों में पूजित, आनंदभूमि (काशी) को वरदान देने वाले, सूर्य को प्रिय, भवसागर से तारने वाले, महाकाल, ब्रह्मा द्वारा पूजित, राम के प्रिय, रघुनाथ को वरदान देने वाले, सर्पों के प्रिय, नरक से तारने वाले, पुण्यवानों में श्रेष्ठ, मुक्तजनों के स्वामी, फलदायक, गणों के ईश्वर, गीतप्रिय, नंदी वाहन, गजचर्म धारण करने वाले, महेश्वर आदि। 
 
इस स्तोत्र के नियमित पाठ से समस्त रोगों का निवारण, समस्त संपत्तियों की शीघ्र प्राप्ति, पुत्र-पौत्र आदि वंश की वृद्धि होती है, और अंततः स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

विश्वेश्वराय नरकार्णव तारणाय कणामृताय शशिशेखरधारणाय।
कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय॥१॥

गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय।
गंगाधराय गजराजविमर्दनाय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय॥२॥

भक्तिप्रियाय भवरोगभयापहाय उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय।
ज्योतिर्मयाय गुणनामसुनृत्यकाय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय॥३॥

चर्मम्बराय शवभस्मविलेपनाय भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय।
मंझीरपादयुगलाय जटाधराय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय॥४॥

पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय हेमांशुकाय भुवनत्रयमण्डिताय।
आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय॥५॥

भानुप्रियाय भवसागरतारणाय कालान्तकाय कमलासनपूजिताय।
नेत्रत्रयाय शुभलक्षण लक्षिताय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय॥६॥

रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय।
पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय॥७॥

मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय।
मातङ्गचर्मवसनाय महेश्वराय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय॥८॥

वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्वरोगनिवारणं। सर्वसंपत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनम्।
त्रिसंध्यं यः पठेन्नित्यं स हि स्वर्गमवाप्नुयात्॥९॥

॥इति वसिष्ठ विरचितं दारिद्र्यदहनशिवस्तोत्रं सम्पूर्णम्॥ 
 
'दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र' महर्षि वशिष्ठ द्वारा रचित एक स्तोत्र है, जो भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है और दरिद्रता एवं दुःखों के नाश की प्रार्थना करता है। इस स्तोत्र के प्रत्येक श्लोक में शिवजी के विभिन्न गुणों और स्वरूपों का उल्लेख है।

विश्वेश्वराय नरकार्णव तारणाय कर्णामृताय शशिशेखर धारणाय।
कर्पूरकांति धवलाय जटाधराय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय॥

अर्थ: जो समस्त चराचर विश्व के स्वामी हैं, नरकरूपी संसार सागर से उद्धार करने वाले हैं, जिनका नाम कानों में अमृत के समान मधुर है, जो अपने मस्तक पर चंद्रमा को धारण करते हैं, कर्पूर की कान्ति के समान धवल वर्ण के हैं, जटाधारी हैं, और दरिद्रता रूपी दुःख का नाश करने वाले हैं, ऐसे भगवान शिव को नमस्कार है।

गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय कालान्तकाय भुजगाधिपकंकणाय।
गंगाधराय गजराजविमर्दनाय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय॥

अर्थ: जो माता गौरी के प्रिय हैं, रात्रि के स्वामी (चंद्रमा) की कला को धारण करने वाले हैं, काल के भी अंत करने वाले हैं, नागराज को कंकण रूप में धारण करते हैं, अपने मस्तक पर गंगा को धारण करते हैं, गजराज (हाथी) का संहार करने वाले हैं, और दरिद्रता रूपी दुःख का नाश करने वाले हैं, ऐसे भगवान शिव को नमस्कार है।

भक्तिप्रियाय भवरोगभयापहाय उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय।
ज्योतिर्मयाय गुणनामसुनृत्यकाय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय॥

अर्थ: जो भक्तों के प्रिय हैं, संसाररूपी रोग और भय का नाश करने वाले हैं, उग्र रूपधारी हैं, दुर्गम भवसागर से पार कराने वाले हैं, ज्योतिस्वरूप हैं, अपने गुण और नाम के अनुसार सुन्दर नृत्य करने वाले हैं, और दरिद्रता रूपी दुःख का नाश करने वाले हैं, ऐसे भगवान शिव को नमस्कार है।

चर्माम्बराय शवभस्मविलेपनाय भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय।
मंजीरपादयुगलाय जटाधराय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय॥

अर्थ: जो बाघ के चर्म को वस्त्र रूप में धारण करते हैं, शव की भस्म का लेप करते हैं, मस्तक पर तीसरा नेत्र धारण करते हैं, मणियों के कुण्डलों से सुशोभित हैं, चरणों में नूपुर धारण करते हैं, जटाधारी हैं, और दरिद्रता रूपी दुःख का नाश करने वाले हैं, ऐसे भगवान शिव को नमस्कार है।

पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय हेमांशुकाय भुवनत्रयमण्डिताय।
आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय॥

अर्थ: जो पांच मुख वाले हैं, नागराज को आभूषण रूप में धारण करते हैं, सुवर्ण के समान कान्तिवान हैं, तीनों लोकों में पूजित हैं, आनंदभूमि (काशी) को वरदान देने वाले हैं, तमोगुण से युक्त हैं, और दरिद्रता रूपी दुःख का नाश करने वाले हैं, ऐसे भगवान शिव को नमस्कार है।

भानुप्रियाय भवसागरतारणाय कालान्तकाय कमलासनपूजिताय।
नेत्रत्रयाय शुभलक्षणलक्षिताय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय॥

अर्थ: जो सूर्य के प्रिय हैं, भवसागर से तारने वाले हैं, काल के भी अंत करने वाले हैं, कमलासन (ब्रह्मा) द्वारा पूजित हैं, तीन नेत्रों वाले हैं, शुभ लक्षणों से युक्त हैं, और दरिद्रता रूपी दुःख का नाश करने वाले हैं, ऐसे भगवान शिव को नमस्कार है।

रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय।
पुण्येषुपुण्यभरिताय सुरार्चिताय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय॥

अर्थ: जो राम के प्रिय हैं, रघुनाथ को वरदान देने वाले हैं, सर्पों के प्रिय हैं, नरक रूपी संसार सागर से तारने वाले हैं, पुण्यवानों में श्रेष्ठ हैं, देवताओं द्वारा पूजित हैं, और दरिद्रता रूपी दुःख का नाश करने वाले हैं, ऐसे भगवान शिव को नमस्कार है।

मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय।
मातङ्गचर्मवसनाय महेश्वराय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय॥

अर्थ: जो मुक्तिदाता हैं, फल देने वाले हैं, गणों के ईश्वर हैं, गीतों के प्रिय हैं, वृषभ (नंदी) जिनका वाहन है, हाथी के चर्म को वस्त्र रूप में धारण करते हैं, महेश्वर हैं, और दरिद्रता रूपी दुःख का नाश करने वाले हैं, ऐसे भगवान शिव को नमस्कार है।

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