ओम गण गणपतेय नमः
ओम गण गणपतेय नमः
ओम श्री विघ्नेश्वराय नमः
प्रथम सब तुमको नमन करे सदा सुर नर मुनि ध्यान धरे
करे गुणगान मिटे अज्ञान होय कल्याण
मिले भक्ति भव् भंजन की गजानन असुर निकंदन की
आरती गिरिजा नंदन की, गजानन और निकंदन की।
बालहट प्रभु ने जब कीन्हा माता की आगा सर लीन्हा
पूर्ण तुम प्राण अपना कीन्हा अंत में मस्तक दे दीन्हा
सुनत भइ क्रोधित जगमाता , कहा क्या कीन्हा शिवदाता
कहा हे नाथ पुत्र का मैथ , देव मम हाथ
वरन होइ निंदा देवन की. गजानन असुर निकंदन की
आरती गिरजा नंदन की गजानन असुर निकंदन की
चकित भये सुनकर कैलाशी करू जीवित में अविनाशी
गणो से बोले यो वाणी शीघ्र लाओ तुम कोई प्राणी
जिसे भी पैदा तुम पाओ , मनुष्य हो या पशु ले आओ
तुरंत वन जाये , शीश गज पाए , दिया जुड़वाये
ख़ुशी भई माँ को सूटधन की, गजनान असुर निकंदन की
आरती गिरिजा नंदन की गजानन असुर निकंदन की
हुए गणराजा बलधारी , बुद्धि पे विद्या अवतारी
सकल कारज में हो वृद्धि डुलावे चवर रिद्धि सिद्धि
आप है मंगल के स्वामी , जानते सब अंतर्यामी
दयालु आप , हरो संताप , क्षमा हो पाप
सुधि अब लीजे भगतन की, गजानन असुर निकंदन की,,,
आरती गिरिजा नंदन की, गजनान असुर निकंदन की
आश पुराण कीजे मेरी , लगायी तुमने क्यों देरी
दरश तुम जी आप गणेश , मिटाना दुःख दरिद्र कलेश
जगत में रखना मेरी लाज , विनय भगतो की है गणराज
में हु नादान , मिले सत्ज्ञान ,देव वरदान
करू नित सेवा चरणण की, गजानन असुर निकंदन की
आरती गिरिजा नंदन की , गजानन असुर निकंदन की
आरती गिरिजा नंदन की , गजानन असुर निकंदन की
ओम गण गणपतेय नमः
ओम श्री विघ्नेश्वराय नमः
प्रथम सब तुमको नमन करे सदा सुर नर मुनि ध्यान धरे
करे गुणगान मिटे अज्ञान होय कल्याण
मिले भक्ति भव् भंजन की गजानन असुर निकंदन की
आरती गिरिजा नंदन की, गजानन और निकंदन की।
बालहट प्रभु ने जब कीन्हा माता की आगा सर लीन्हा
पूर्ण तुम प्राण अपना कीन्हा अंत में मस्तक दे दीन्हा
सुनत भइ क्रोधित जगमाता , कहा क्या कीन्हा शिवदाता
कहा हे नाथ पुत्र का मैथ , देव मम हाथ
वरन होइ निंदा देवन की. गजानन असुर निकंदन की
आरती गिरजा नंदन की गजानन असुर निकंदन की
चकित भये सुनकर कैलाशी करू जीवित में अविनाशी
गणो से बोले यो वाणी शीघ्र लाओ तुम कोई प्राणी
जिसे भी पैदा तुम पाओ , मनुष्य हो या पशु ले आओ
तुरंत वन जाये , शीश गज पाए , दिया जुड़वाये
ख़ुशी भई माँ को सूटधन की, गजनान असुर निकंदन की
आरती गिरिजा नंदन की गजानन असुर निकंदन की
हुए गणराजा बलधारी , बुद्धि पे विद्या अवतारी
सकल कारज में हो वृद्धि डुलावे चवर रिद्धि सिद्धि
आप है मंगल के स्वामी , जानते सब अंतर्यामी
दयालु आप , हरो संताप , क्षमा हो पाप
सुधि अब लीजे भगतन की, गजानन असुर निकंदन की,,,
आरती गिरिजा नंदन की, गजनान असुर निकंदन की
आश पुराण कीजे मेरी , लगायी तुमने क्यों देरी
दरश तुम जी आप गणेश , मिटाना दुःख दरिद्र कलेश
जगत में रखना मेरी लाज , विनय भगतो की है गणराज
में हु नादान , मिले सत्ज्ञान ,देव वरदान
करू नित सेवा चरणण की, गजानन असुर निकंदन की
आरती गिरिजा नंदन की , गजानन असुर निकंदन की
आरती गिरिजा नंदन की , गजानन असुर निकंदन की
आरती गिरजानंदन की Aarti Girijianandan Ki I MANOJ MISHRA I New Ganesh Bhajan I Full Audio Song
Om Gan Ganapatey Namah
Om Shree Vighneshvaraay Namah
Pratham Sab Tumako Naman Kare Sada Sur Nar Muni Dhyaan Dhare
Kare Gunagaan Mite Agyaan Hoy Kalyaan
Mile Bhakti Bhav Bhanjan Kee Gajaanan Asur Nikandan Kee
Aaratee Girija Nandan Kee, Gajaanan Aur Nikandan Kee.
Baalahat Prabhu Ne Jab Keenha Maata Kee Aaga Sar Leenha
Poorn Tum Praan Apana Keenha Ant Mein Mastak De Deenha
Sunat Bhi Krodhit Jagamaata , Kaha Kya Keenha Shivadaata
Kaha He Naath Putr Ka Maith , Dev Mam Haath
Varan Hoi Ninda Devan Kee. Gajaanan Asur Nikandan Kee
Aaratee Giraja Nandan Kee Gajaanan Asur Nikandan Kee
Chakit Bhaye Sunakar Kailaashee Karoo Jeevit Mein Avinaashee
Gano Se Bole Yo Vaanee Sheeghr Lao Tum Koee Praanee
Jise Bhee Paida Tum Pao , Manushy Ho Ya Pashu Le Aao
Turant Van Jaaye , Sheesh Gaj Pae , Diya Judavaaye
Khushee Bhee Maan Ko Sootadhan Kee, Gajanaan Asur Nikandan Kee
Aaratee Girija Nandan Kee Gajaanan Asur Nikandan Kee
Hue Ganaraaja Baladhaaree , Buddhi Pe Vidya Avataaree
Sakal Kaaraj Mein Ho Vrddhi Dulaave Chavar Riddhi Siddhi
Aap Hai Mangal Ke Svaamee , Jaanate Sab Antaryaamee
Dayaalu Aap , Haro Santaap , Kshama Ho Paap
Sudhi Ab Leeje Bhagatan Kee, Gajaanan Asur Nikandan Kee,,,
Aaratee Girija Nandan Kee, Gajanaan Asur Nikandan Kee
Aash Puraan Keeje Meree , Lagaayee Tumane Kyon Deree
Darash Tum Jee Aap Ganesh , Mitaana Duhkh Daridr Kalesh
Jagat Mein Rakhana Meree Laaj , Vinay Bhagato Kee Hai Ganaraaj
Mein Hu Naadaan , Mile Satgyaan ,dev Varadaan
Karoo Nit Seva Charanan Kee, Gajaanan Asur Nikandan Kee
Aaratee Girija Nandan Kee , Gajaanan Asur Nikandan Kee
Aaratee Girija Nandan Kee , Gajaanan Asur Nikandan Kee
Om Shree Vighneshvaraay Namah
Pratham Sab Tumako Naman Kare Sada Sur Nar Muni Dhyaan Dhare
Kare Gunagaan Mite Agyaan Hoy Kalyaan
Mile Bhakti Bhav Bhanjan Kee Gajaanan Asur Nikandan Kee
Aaratee Girija Nandan Kee, Gajaanan Aur Nikandan Kee.
Baalahat Prabhu Ne Jab Keenha Maata Kee Aaga Sar Leenha
Poorn Tum Praan Apana Keenha Ant Mein Mastak De Deenha
Sunat Bhi Krodhit Jagamaata , Kaha Kya Keenha Shivadaata
Kaha He Naath Putr Ka Maith , Dev Mam Haath
Varan Hoi Ninda Devan Kee. Gajaanan Asur Nikandan Kee
Aaratee Giraja Nandan Kee Gajaanan Asur Nikandan Kee
Chakit Bhaye Sunakar Kailaashee Karoo Jeevit Mein Avinaashee
Gano Se Bole Yo Vaanee Sheeghr Lao Tum Koee Praanee
Jise Bhee Paida Tum Pao , Manushy Ho Ya Pashu Le Aao
Turant Van Jaaye , Sheesh Gaj Pae , Diya Judavaaye
Khushee Bhee Maan Ko Sootadhan Kee, Gajanaan Asur Nikandan Kee
Aaratee Girija Nandan Kee Gajaanan Asur Nikandan Kee
Hue Ganaraaja Baladhaaree , Buddhi Pe Vidya Avataaree
Sakal Kaaraj Mein Ho Vrddhi Dulaave Chavar Riddhi Siddhi
Aap Hai Mangal Ke Svaamee , Jaanate Sab Antaryaamee
Dayaalu Aap , Haro Santaap , Kshama Ho Paap
Sudhi Ab Leeje Bhagatan Kee, Gajaanan Asur Nikandan Kee,,,
Aaratee Girija Nandan Kee, Gajanaan Asur Nikandan Kee
Aash Puraan Keeje Meree , Lagaayee Tumane Kyon Deree
Darash Tum Jee Aap Ganesh , Mitaana Duhkh Daridr Kalesh
Jagat Mein Rakhana Meree Laaj , Vinay Bhagato Kee Hai Ganaraaj
Mein Hu Naadaan , Mile Satgyaan ,dev Varadaan
Karoo Nit Seva Charanan Kee, Gajaanan Asur Nikandan Kee
Aaratee Girija Nandan Kee , Gajaanan Asur Nikandan Kee
Aaratee Girija Nandan Kee , Gajaanan Asur Nikandan Kee
गणेश आरती का अर्थ
इस चौपाई में, भक्त भगवान गणेश को सभी देवताओं के बीच सर्वोच्च स्थान देते हैं। वे उन्हें "प्रथम" कहते हैं, जिसका अर्थ है कि वे सभी देवताओं के आगे आते हैं। वे उन्हें "सुर नर मुनि ध्यान धरे" कहते हैं, जिसका अर्थ है कि देवता, मनुष्य और मुनि सभी उनकी पूजा और ध्यान करते हैं। भक्त भगवान गणेश के गुणों का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि उनकी पूजा करने से अज्ञान दूर होता है और कल्याण होता है। वे भगवान गणेश से भक्ति और ज्ञान की भीख मांगते हैं।भक्त भगवान गणेश की उत्पत्ति की कहानी सुनाते हैं। वे कहते हैं कि भगवान शिव ने एक बार अपनी पत्नी पार्वती को गुस्से में आकर एक बालक का सिर काट दिया। जब पार्वती को पता चला, तो वह बहुत क्रोधित हुईं। उन्होंने कहा कि वह भगवान शिव से शादी नहीं करेंगी जब तक कि वे उनके बेटे को जीवित नहीं करते। भगवान शिव ने गणेश को जीवित करने के लिए एक गज का सिर लगाया।
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