चुनरी रंगा लो बृजनारी रंगीलो आयो

चुनरी रंगा लो बृजनारी रंगीलो आयो बांके बिहारी

चुनरी रंगा लो बृजनारी,
रंगीलो आयो बांके बिहारी,
बांके बिहारी मेरा बांके बिहारी,
चुनरी रंगा लो बृजनारी,
रंगीलो आयो बांके बिहारी।

सबने रंगा नीली पीली,
हमने रंगे गुलनारी,
रंगीलो आयो बांके बिहारी,
चुनरी रंगा लो बृजनारी,
रंगीलो आयो बांके बिहारी।

किसी ने ओढ़ ली सादी चुनरिया,
हमने लगा ली किनारी,
रंगीलो आयो बांके बिहारी,
चुनरी रंगा लो बृजनारी,
रंगीलो आयो बांके बिहारी।

चुनरी ओड में वृंदावन आई,
दुनिया है सारी रंगीली,
रंगीलो आयो बांके बिहारी,
चुनरी रंगा लो बृजनारी,
रंगीलो आयो बांके बिहारी।

कोई तो नाचे कुंज गलिन में,
मैं चढ़ गई अटारी,
रंगीलो आयो बांके बिहारी,
चुनरी रंगा लो बृजनारी,
रंगीलो आयो बांके बिहारी।

जब मैं अटरिया चढ़ के नाची,
देख कुंज बिहारी,
रंगीलो आयो बांके बिहारी,
चुनरी रंगा लो बृजनारी,
रंगीलो आयो बांके बिहारी।

इस सुंदर भजन में बृज की नारियां एक दूसरे से विनती कर रही हैं है कि वे अपनी चुनरिया बांके बिहारी से रंगवा लें। फागुन का रंगीला मौसम है, और सांवरे श्याम वृंदावन की गलियों में रंग बरसा रहे हैं। हर ओर गुलाल उड़ रहा है, और सभी प्रेम में मग्न होकर नृत्य कर रहे हैं। जो भी उनके पास जाता है, वह प्रेम और भक्ति के रंग में रंग जाता है। अब देर कैसी, अपनी चुनरिया लेकर आओ, क्योंकि बांके बिहारी स्वयं रंग लगाने आए हैं। जय बांके बिहारी।


निराला रंगरेज चुनरी रंगा लो बृजनारी रंगीलो आयो बांके बिहारी holispecial | Bala Goyal
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