तोरे चरण कमल पर बलि हारी
गणपति चरण कमल पर बलि हारी
लेत बलाइयां गोरा मैया मस्तक चूमे त्रिपु रारी
तोरे चरण कमल पर बलिहारी
देवो के सरताज कहावो
पहली पुजा तुम ही पावो
महिमा गणपत की भारी
तोरे चरण कमल पर बलि हारी
इक दंत चार भुजा तुम्हारी
मूसे की करते हो सवारी
शोभा गणपत की भारी
तोरे चरण कमल पर बलि हारी
धुप दीप नए वेद चढ़ावे
लड्डुवन का तुम्हे भोग लगावे
हर्षित मन सब नर नारी
तोरे चरण कमल पर बलि हारी
रणजीत राजा गण पति को मनावे
रिद्धि सीधी वर तुमसे पावे
शंकर सूत पर बलहारी
तोरे चरण कमल पर बलि हारी
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