बाय चाल्या छा भंवर जी पींपळी जी,
हांजी ढोला हो गई घेर घुमेर,
बैठण की रूत चाल्या चाकरीजी,
ओजी म्हारी सास सपूती रा पूत,
मत ना सिधारो पूरब की चाकरी जी,
पिपली (मत ना सिधारो पूरब की नौकरी)
पिपली सोंग का हिंदी अर्थ विडियो के बाद दिया गया है, आशा है की इस राजस्थानी सोंग का अर्थ आपको पसंद आएगा.
बाय चाल्या छा भंवर जी पींपळी जी,
हांजी ढोला हो गई घेर घुमेर,
बैठण की रूत चाल्या चाकरीजी,
ओजी म्हारी सास सपूती रा पूत,
मत ना सिधारो पूरब की चाकरी जी,
परण चाल्या छा भंवर जी गोरड़ी़ जी
हांजी ढोला हो गई जोध जवान
निरखण की रुत चाल्या चाकरी जी
ओ जी म्हारी लाल नणद बाई रा बीर
मत ना सिधारो पूरब की चाकरी जी
कुण थारां घुड़ला कस दिया जी,
हाँजी ढोला कुण थानै कस दीनी जीन,
कुण्यांजी रा हुकमा चाल्या चाकरी जी,
ओजी म्हारे हिवड़ा रो नौसर हार,
मत ना सिधारो पूरब की चाकरी जी,
रोक रुपैया भंवर जी मैं बणूं जी
हां जी ढोला बण ज्याऊं पीळी पीळी म्होर (मोहर )
भीड़ पड़ै जद सायबा बरत ल्योजी
ओजी म्हारी सेजां रा सिणगार
पिया की पियारी ने सागे ले चलो जी
कदेई नां ल्याया भंवर जी चूनड़ी जी
हां जी ढोला कदेई ना करी मनवार
कदेई नां पूछी मनड़ै री वारता जी
हां जी म्हारी लाल नणद रा बीर
थां बिन गोरी नै पलक ना आवड़ै जी
बाबोसा नै चाये भंवर जी, धन घणों जी
हां जी ढोला कपड़े री लोभण थारी माय
सैजां री लोभण उडीकै गोरड़ी जी
हां जी थारी गोरी, उड़ावै काळा काग
अब घर आओ, धाई थारी नौकरी जी
चरखो तो लेल्यो भंवर जी रांगलो जी
हां जी ढोला पीढ़ो लाल गुलाल
मैं कातूं थे बैठ्या बिणजल्यो जी
ओजी म्हारी लाल नणद रा बीर
घर आओ प्यारी ने पलक ना आवड़ै जी
सावण सुरंगों लाग्यो भादवो जी
हां जी कोई रिमझिम पड़े है फुहार
तीज तिंवारा घर नहीं बावड़्या जी
ओजी म्हारा घणा कमाऊ उमराव
थारी पियारी नै पलक ना आवड़ै जी
फिर घिर महिना भंवर जी आयग्या जी
हाँ जी ढोला हो गया बारा मास
थारी धण महला भंवर जी झुर रही जी
हाँ जी म्हारे चुड़ले रा सिणगार
आच्छा पधारया पूरब की नौकरी जी
उजड़ खेड़ा भंवर जी फिर बसे जी
हाँ जी ढोला निरधन रे धन होय
जोबन गयां पीछे नांही बावड़े जी
ओजी थाने लिख हारी बारम्बार
जल्दी घर आओ थारी धण एकली जी
जोबन सदा नां भंवर जी थिर रवे जी
हाँ जी ढोला फिरती घिरती छाँव
कुळ का तो बाया मोती नीपजे जी
ओ जी थारी प्यारी जोवै बाट
जल्दी पधारो गोरी रे देस में जी
पीपली | Pipli | Superhit Rajasthani Song | Seema Mishra Song | Veena Music Rajasthan
इस फोक सांग की पृष्टभूमि : यह राजस्थानी लोक गीत है, जिसका भाव "विरह" है। राजस्थान की जलवायु बहुत विकट रही है। यहाँ पर आसानी से कुछ भी नहीं रहा है। पानी के अभाव में खेती सम्भव नहीं थी, इसलिए जीवन यापन के लिए लोगों को अपना घर छोड़ कर दूर देशों में कमाने के जाना पड़ता था। ज्यादातर लोग राजस्थान से पूर्व दिशा (दिल्ली, उत्तरप्रदेश ) आदि की तरफ मजदूरी और व्यापार के लिए जाया करते थे इसलिए इस गीत में पूरब की नौकरी बोल हैं। राजस्थानी संगीत में विरह प्रमुख होने का एक कारण तो यह है और दूसरा है की मुस्लिम आक्रांताओं का मार्ग राजस्थान से होकर रहा तो ज्यादातर लोग युद्धों में व्यस्त रहे, अपने घरों से दूर रहें ऐसे में नायिका का विरह भाव स्वाभाविक सा है।
बाय चाल्या छा भंवर जी पींपळी जी
हांजी ढोला हो गई घेर घुमेर
बैठण की रूत चाल्या चाकरीजी
ओजी म्हारी सास सपूती रा पूत
मत ना सिधारो पूरब की चाकरी जी
बाय चाल्या छा भंवर जी पींपळी जी : आपने जो पीपली का पेड़ बाया था (लगाया था -बाया-उगाना ) (नौकरी पर ) भँवर जी (पति) . आपने जो पीपली पीपल) का वृक्ष लगाया था वह अब काफी बड़ा हो चुका है। घेर घुमेर (विशाल) हो चुका है, पीपल का वृक्ष। अब जब उसकी छाँव में बैठने का वक़्त आया है तब आप उसे छोड़कर जा रहें हैं।
हांजी ढोला हो गई घेर घुमेर-पीपल का वृक्ष अब बड़ा हो गया है।
बैठण की रूत चाल्या चाकरीजी-अब जब उसकी छाँया मैं बैठने का वक़्त आया है आप उसे छोड़कर जा रहें है।
बैठण की रूत चाल्या चाकरीजी-विश्राम करने के वक़्त आप नौकरी (चाकरी) के लिए जा रहें हैं।
ओजी म्हारीं सास सपूती रा पूत-ओ मेरे, सासु के सपूत (पति )
मत ना सिधारो पूरब की चाकरी जी-आप पूरब की नौकरी के लिए मत जाओ।
हिंदी में अनुवाद : स्त्री नहीं चाहती है की उसका पति उसे छोड़कर कहीं पर जाएँ, इसलिए वह अपने पति को हर सम्भव तरीके से घर पर ही रखना चाहती है और कहती है की जो पीपली का छोटा सा पेड़ आपने लगाया था अब वह बहुत बड़ा वृक्ष बन गया है और अब जब उसकी छाँया मैं बैठने का वक़्त आया है तो आप उसे छोड़कर नौकरी (चाकरी) पर जा रहे हैं। आप नौकरी पर मत जाओ और घर पर ही रहो।
परण चाल्या छा भंवर जी गोरड़ी़ जी
हांजी ढोला हो गई जोध जवान
निरखण की रुत चाल्या चाकरी जी
ओ जी म्हारी लाल नणद बाई रा बीर
मत ना सिधारो पूरब की चाकरी जी
परण चाल्या छा भंवर जी गोरड़ी़ जी-आपने मुझसे(गौरडी ) शादी (परण) किया है।
हांजी ढोला हो गई जोध जवान- मेरे प्रिय (ढोला) आपकी प्रिय (विवाहिता) जवान हो गई है।
निरखण की रुत चाल्या चाकरी जी- जब मैं पुरे यौवन पर हूँ और मुझे निहारने का वक़्त आया है।
ओ जी म्हारी लाल नणद बाई रा बीर- मेरी लाल नणद के बीर (भाई)
मत ना सिधारो पूरब की चाकरी जी- आप पूरब की नौकरी पर मत जाओ।
हिंदी में अनुवाद : आप मुझे शादी (परण) करके लाये थे। मेरे प्रिय (ढोला) अब वह जवान हो गई है। अब जब आपकी प्रेमिका पूर्ण जवानी पर है तो आप उसे निरखने के स्थान पर छोड़ कर जा रहे हैं। आप पूरब की नौकरी पर मत जाओ और मेरे साथ ही रहो।
कुण थारां घुड़ला कस दिया जी,
हाँजी ढोला कुण थानै कस दीनी जीन,
कुण्यांजी रा हुकमा चाल्या चाकरी जी,
ओजी म्हारे हिवड़ा रो नौसर हार,
मत ना सिधारो पूरब की चाकरी जी,
कुण थारां घुड़ला कस दिया जी - किसने आपके घुड़ले (ऊंट और घोड़े पर बैठने के लिए पाँव रखने के लिए बनाये गए स्थान को कस दिया है।
हाँजी ढोला कुण थानै कस दीनी जीन- मेरे प्रिय (ढोला) किसने आपके घोड़े की जीन (गद्दी) को कस दिया है।
कुण्यांजी रा हुकमा चाल्या चाकरी जी - आपको जाने की इजाजत किसने दी।
ओजी म्हारे हिवड़ा रो नौसर हार - आप तो मेरे गले के नौसर (नौलखा) हार हो, सबसे प्रिय हो।
मत ना सिधारो पूरब की चाकरी जी- आप नौकरी के लिए मत जाओ।
हिंदी में अनुवाद : नायिका अपने प्रिय (पति) को कहती है की आपने मुझे छोड़कर जाने की तैयारी कैसे कर ली ? पहले यात्रा के साधन घोड़े और ऊँट ही हुआ करते थे इसलिए वह कहती है की किसने घुड़ले कस दिए और किसने आपकी जीन को कस (तैयार) कर दिया है। आप तो मेरे सबसे प्रिय हो, आप मुझे छोड़कर पूरब की नौकरी के लिए मत जाओ।
रोक रुपैया भंवर जी मैं बणूं जी
हां जी ढोला बण ज्याऊं पीळी पीळी म्होर (मोहर )
भीड़ पड़ै जद सायबा बरत ल्योजी
ओजी म्हारी सेजां रा सिणगार
पिया की पियारी ने सागे ले चलो जी
रोक रुपैया भंवर जी मैं बणूं जी- आपको रोकने के लिए मैं नगद (रोकड़ी-रोक ) रुपये बन जाती हूँ।
हां जी ढोला बण ज्याऊं पीळी पीळी म्होर (मोहर ) - यदि आपको स्वर्ण अशर्फी से ही प्यार है तो मैं सोने के रंग की पीली पीली (म्होर ) मुद्रा बन जाती हूँ।
भीड़ पड़ै जद सायबा बरत ल्योजी- जब आपको जरूरत हो (भीड़ पड़े) सायबा (साहिब-पति) आप मुझे उपयोग (बरत) लेना (ल्योजी )।
ओजी म्हारी सेजां रा सिणगार- आप ही तो मेरे सेज के श्रृंगार हो (पति हो ).
पिया की पियारी ने सागे ले चलो जी- यदि फिर भी आप जाते हैं तो मुझे भी साथ ले चलो।
हिंदी अनुवाद : आप नौकरी के लिए क्यों जा रहें हैं, रुपये पैसे के लिए तो मैं ही नगद (रोकड़ी) मुद्रा बन जाती हूँ और सोने की पीली पीली मोहर बन जाती हूँ। जब आपको आवश्यकता हो (भीड़ पड़े ) तो आप इसे खर्च कर लेना। यदि फिर भी सम्भव नहीं तो अपनी प्रिय (मुझे) भी साथ ले चलो।
कदेई नां ल्याया भंवर जी चूनड़ी जी
हां जी ढोला कदेई ना करी मनवार
कदेई नां पूछी मनड़ै री वारता जी
हां जी म्हारी लाल नणद रा बीर
थां बिन गोरी नै पलक ना आवड़ै जी
कदेई नां ल्याया भंवर जी चूनड़ी जी-आप मेरे पति हो (भँवर ) लिए कभी (कदेई) भी मनुहार के लिए चुनड़ी लेकर नहीं आये।
हां जी ढोला कदेई ना करी मनवार-आपने कभी भी मेरे मन को खुश करने के लिए कुछ नहीं किया।
कदेई नां पूछी मनड़ै री वारता जी- आपने कभी मेरे मन की बात नहीं पूछी। मन की बात (मन की वारता)
हां जी म्हारी लाल नणद रा बीर- आप सुनों मेरे लाल नणद के बीर (भाई )
थां बिन गोरी नै पलक ना आवड़ै जी - आपके बिना (था बिन ) मुझे एक पलक झपकने तक मन नहीं लगता है (आवड़े -मन का लगना। )
हिंदी अनुवाद - आप मेरे पति हो लेकिन आप कभी भी मेरे लिए मनुहार करने के लिए चुनड़ी नहीं लेकर आये हो। आपने कभी मेरी मनुहार नहीं की। आपने कभी भी मेरे मन की बात नहीं सुनी और कभी बैठ कर कोई वार्ता नहीं की। मेरी लाल (प्रिय) नणद के भाई (बीर) सुनों आपके बिना मुझे एक पल भी चैन नहीं आता है (मन नहीं लगता है )
बाबोसा नै चाये भंवर जी, धन घणों जी
हां जी ढोला कपड़े री लोभण थारी माय
सैजां री लोभण उडीकै गोरड़ी जी
हां जी थारी गोरी, उड़ावै काळा काग
अब घर आओ, धाई थारी नौकरी जी
बाबोसा नै चाये भंवर जी, धन घणों जी-आपके पिता, ससुर (बाबो सा) को खूब सारा धन चाहिए।
हां जी ढोला कपड़े री लोभण थारी माय-आपकी माँ को नए नए कपडे चाहिए, वह कपड़ों की लोभी (लोभण) है।
सैजां री लोभण उडीकै गोरड़ी जी-लेकिन मैं तो आपकी सेज की लोभी हूँ।
हां जी थारी गोरी, उड़ावै काळा काग-आपके अभाव मैं आपकी गौरी काले कव्वों (काग ) उड़ाती हूँ।
अब घर आओ, धाई थारी नौकरी जी- अब तो आप घर पर आ जाओ, बहुत हुई (ध्याइ) थारी (आपकी) नौकरी।
हिंदी अनुवाद :-आपके पिता (बाबोसा) धन के लालची हैं और उन्हें खूब सारा धन चाहिए। आपकी माँ (सासु) कपड़ों की लालची है। लेकिन मुझे तो आपकी आवश्यकता है और मैं कौवे उड़ा रही हूँ, आपकी याद मैं। अब आप घर पर ही आ जाओ बहुत हुई आपकी नौकरी।
चरखो तो लेल्यो भंवर जी रांगलो जी
हां जी ढोला पीढ़ो लाल गुलाल
मैं कातूं थे बैठ्या बिणजल्यो जी
ओजी म्हारी लाल नणद रा बीर
घर आओ प्यारी ने पलक ना आवड़ै जी
चरखो तो लेल्यो भंवर जी रांगलो जी-आवो और आप एक रंगीला चरखा ले लो।
हां जी ढोला पीढ़ो लाल गुलाल - और बैठने के लिए आप रंगीला पीढ़ा (बैठने की चौकी) आप लाल और गुलाबी रंग का खूबसूरत पीढ़ा ले लो।
मैं कातूं थे बैठ्या बिणजल्यो जी- मैं कातती हूँ, सूत कातना। मैं कातती हूँ और आप बुनाई कर लेना (बिणज) .
ओजी म्हारी लाल नणद रा बीर- मेरी प्रिय नणद के भाई।
घर आओ प्यारी ने पलक ना आवड़ै जी- आपके बिना मुझे पलक झपकने तक भी नहीं मन लगता है।
हिंदी अनुवाद - आप मेरे पास ही रहो और आप एक रंगीला चरखा ले लेना। मैं उसे कातने का काम कर लुंगी और आप उसे बुनने (इकठ्ठा) करने का काम कर लेना। मेरी प्यारी नणद के भाई पलक झपकने तक के वक़्त की देरी में भी आपके बगैर मेरा जी नहीं लगता है।
सावण सुरंगों लाग्यो भादवो जी
हां जी कोई रिमझिम पड़े है फुहार
तीज तिंवारा घर नहीं बावड़्या जी
ओजी म्हारा घणा कमाऊ उमराव
थारी पियारी नै पलक ना आवड़ै जी
सावण सुरंगों लाग्यो भादवो जी-सावण सुरंगा (अच्छा) लग चुका है। भादवा भी लग चुका है।
हां जी कोई रिमझिम पड़े है फुहार-देखो रिमझिम बारिश की फुंहार पड़ रही हैं।
तीज तिंवारा घर नहीं बावड़्या जी- त्योंहार पर (तीज त्योंहारा) पर भी कभी आप घर नहीं आते। हो
ओजी म्हारा घणा कमाऊ उमराव- आप तो मेरे खूब कमाने वाले उमराव (पति) हो।
थारी पियारी नै पलक ना आवड़ै जी- आपकी प्रिय का मन नहीं लगता है।
हिंदी अनुवाद : अब तो मौसम भी घर आने का हो गया है, सावन और भादवा लग चुका है। आप तो त्योंहार पर भी जब सब घर आते हैं, आप घर नहीं आते हो। आप खूब कमाने वाले हो लेकिन आपकी प्रिय का आपके बिना मन नहीं लगता है।
फिर घिर महिना भंवर जी आयग्या जी
हाँ जी ढोला हो गया बारा मास
थारी धण महला भंवर जी झुर रही जी
हाँ जी म्हारे चुड़ले रा सिणगार
आच्छा पधारया पूरब की नौकरी जी
फिर घिर महिना भंवर जी आयग्या जी-घूम फिर कर महीने बदल रहें है, आपको काफी वक़्त हो गया है।
हाँ जी ढोला हो गया बारा मास-आपको पूरा एक साल हो गया है।
थारी धण महला भंवर जी झुर रही जी-आपकी धण (स्त्री) आपके बिना रो रही है।
हाँ जी म्हारे चुड़ले रा सिणगार- आप तो मेरे चूड़े का श्रृंगार हो, आपके पीछे ही मैं चूड़ियाँ पहनती हूँ।
आच्छा पधारया पूरब की नौकरी जी-क्या खूब आपने नौकरी की है।
हिंदी अनुवाद : भंवर जी आप तो चले गए और घूम फिर कर वही महीने वापस आ गए हैं। आपके बिना आपकी प्रिय उदास है और आप मेरे चूड़े के श्रृंगार हो। व्यंग भाव है की क्या खूब आपकी पूरब की नौकरी है !
उजड़ खेड़ा भंवर जी फिर बसे जी
हाँ जी ढोला निरधन रे धन होय
जोबन गयां पीछे नांही बावड़े जी
ओजी थाने लिख हारी बारम्बार
जल्दी घर आओ थारी धण एकली जी
उजड़ खेड़ा भंवर जी फिर बसे जी-उजड़ा हुआ खेत फिर हरा भरा हो सकता है।
हाँ जी ढोला निरधन रे धन होय-निर्धन के धन हो सकता है।
जोबन गयां पीछे नांही बावड़े जी-यदि यौवन चला जाए तो दुबारा मुड़ (बावडे) कर नहीं आता है।
ओजी थाने लिख हारी बारम्बार-मैं आपको कहकर हार चुकी हूँ।
जल्दी घर आओ थारी धण एकली जी-जल्दी घर आओ, आपकी प्रिय आपके बिना अधूरी है।
हिंदी मीनिंग : अपने प्रिय को यौवन की विषय में समझाते हुए नायिका कहती है की उजड़ा घर फिर से हरा भरा हो सकता है और निर्धन व्यक्ति के धन हो सकता है लेकिन यदि एक बार यौवन का समय निकल जाए तो वह पुनः मुड़ कर नहीं आता है, इसलिए आप जल्दी से घर आ जाओ। मैं तो आपको लिख लिख कर (समझा) कर हार चुकी हूँ।
जोबन सदा नां भंवर जी थिर रवे जी
हाँ जी ढोला फिरती घिरती छाँव
कुळ का तो बाया मोती नीपजे जी
ओ जी थारी प्यारी जोवै बाट
जल्दी पधारो गोरी रे देस में जी
जोबन सदा नां भंवर जी थिर रवे जी-यौवन सत्ता स्थिर नहीं रहता है।
हाँ जी ढोला फिरती घिरती छाँव-यह तो सूरज से उत्पन्न छायाँ की तरह होती हैं जो आकर जल्दी ही चली जाती है।
कुळ का तो बाया मोती नीपजे जी-किसके बोये हुए मोती पैदा होते हैं।
ओ जी थारी प्यारी जोवै बाट-आपकी प्यारी आपकी राह तक रही है।
जल्दी पधारो गोरी रे देस में जी-आप जल्दी से घर (देस) में लौट जाओ।
हिंदी अनुवाद : धन के विषय में नायिका कहती है की धन कब किसका हुआ है, जितना हो और चाहिए। आप जल्दी से घर आ जाओ आपकी प्यारी आपकी राह देख रही है।
Baay Chaalya Chha Bhanvar Jee Peempalee Jee,
Haanjee Dhola Ho Gaee Gher Ghumer,
Baithan Kee Root Chaalya Chaakareejee,
Ojee Mhaaree Saas Sapootee Ra Poot,
Mat Na Sidhaaro Poorab Kee Chaakaree Jee,
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