सच कहू तो मेरी माँ ही मेरी विधाता है लिरिक्स Sach Kahu To Meri Ma Hi Meri Vidhata Hai Lyrics

सच कहू तो मेरी माँ ही मेरी विधाता है लिरिक्स Sach Kahu To Meri Ma Hi Meri Vidhata Hai Lyrics

 
सच कहू तो मेरी माँ ही मेरी विधाता है लिरिक्स Sach Kahu To Meri Ma Hi Meri Vidhata Hai Lyrics

हमें जब हमारी माँ का करम याद आता है
हमें जब हमारी माँ का करम याद आता है
सच कहू तो मेरी माँ ही मेरी विधाता है

सुबह सवेरे जल सूर्य को चढ़ाती थी
आँगन में तुलसी माँ के फेरे लगाती थी
सुबह सवेरे जल सूर्य को चढ़ाती थी
आँगन में तुलसी माँ के फेरे लगाती थी
हर दिन वो दाने छत पर
चिड़ियों को चुगाती थी
पूछो कभी जब वो तो हमको बताती थी
कर्म जैसे करता है जो फल भी वैसे पाता है
सच कहू तो मेरी माँ ही मेरी विधाता है
सच कहू तो मेरी माँ ही मेरी विधाता है

जब भी रसोई में वो भोजन बनाती थी
श्रधा से पहली रोटी अग्नि को चढ़ाती थी
जब भी रसोई में वो भोजन बनाती थी
श्रधा से पहली रोटी अग्नि को चढ़ाती थी
गोधुर बेला में नित्य दीपक जलाती थी
पूछो कभी जब वो तो हमको बताती थी
दुनिया की हर चीजो से इश्वर का नाता है
सच कहू तो मेरी माँ ही मेरी विधाता है
सच कहू तो मेरी माँ ही मेरी विधाता है

कुछ भाग रामायण का पढ़ती पढ़ाती थी
गीता के पावन उपदेशो को सुनाती थी
प्यासे को पानी देती भूको को खिलाती थी
पूछो कभी जब वो तो हमको बताती थी
हम सबको देने वाला राम एक दाता है
सच कहू तो मेरी माँ ही मेरी विधाता है
सच कहू तो मेरी माँ ही मेरी विधाता है



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