किण सँग खेलूँ होली पिया तज गये हैं अकेली भजन लिरिक्स
किण सँग खेलूँ होली, पिया तज गये हैं अकेली।।टेक।।
माणिक मोती सब हम छोड़े गल में पहनी सेली।
भोजन भवन भलो नहिं लागै, पिया कारण भई गेली।
मुझे दूरी क्यूं म्हेली।
अब तुम प्रीत अवरू सूं जोड़ी हमसे करी क्यूं पहेली।
बहु दिन बीते अजहु न आये, लग रही तालाबेली।
किण बिलमाये हेली।
स्याम बिना जियड़ो सुरझावे, जैसे जल बिना बेली।
मीराँ कूँ प्रभु दरसण दीज्यो, जनम जनम को चेली।
दरस बिन खड़ी दुहेली।।
kin sang kheloon holee, piya taj gaye hain akelee..tek..
maanik motee sab ham chhode gal mein pahanee selee.
bhojan bhavan bhalo nahin laagai, piya kaaran bhee gelee.
mujhe dooree kyoon mhelee.
ab tum preet avaroo soon jodee hamase karee kyoon pahelee.
bahu din beete ajahu na aaye, lag rahee taalaabelee.
kin bilamaaye helee.
syaam bina jiyado surajhaave, jaise jal bina belee.
meeraan koon prabhu darasan deejyo, janam janam ko chelee.
daras bin khadee duhelee
शब्दार्थ-सेली = माला। गेली = पागल। म्हेली = डाल दिया है। पहेली = पहिली, आरम्भ में। तालाबेली = बेचैनी। बिलमाये = छोड़ना, त्यागना। बेली = बेल, लता। दुहेली = दुःखी, दुखिया।
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Author - Saroj Jangir
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