आ गए दर तेरे हम तो माँ शारदे भजन

आ गए दर तेरे हम तो माँ शारदे भजन

(मुखड़ा)
आ गए दर तेरे हम तो, माँ शारदे।
नैया तेरे हवाले है, माँ शारदे।।


(अंतरा 1)
बहुत लंबी तुम्हारे है, दर की डगर,
कैसे आऊँ, मुझे कुछ न आए नज़र।
नज़र आता कहीं ना किनारा मुझे,
कैसे पाऊँ ओ मैया, बताऊं तुम्हें।
ठोकरें मैं बहुत खा चुका, शारदे,
नैया तेरे हवाले है, माँ शारदे।।

(अंतरा 2)
मैं भी गृहस्थी अड़चन बहुत है, ओ माँ,
कैसे ध्यान करूं, कैसे नाम जपूँ।
अव्यवस्थाओं से भी घिरा हूँ, ओ माँ,
कैसे सेवा करूं, कैसे पूजा करूं।
बहुत थोड़ा बचा ये जनम, शारदे,
नैया तेरे हवाले है, माँ शारदे।।

(अंतरा 3)
तुम तो भक्तों की हरदम सहायक हो माँ,
एक नज़र मुझपे भी दया की करो।
तेरा बालक तेरे दर पे आया हूँ माँ,
मेरे सिर पर भी ममता का साया करो।
तेरी भक्ति मुझे भी मिले, शारदे,
नैया तेरे हवाले है, माँ शारदे।।

(पुनरावृत्ति)
आ गए दर तेरे हम तो, माँ शारदे।
नैया तेरे हवाले है, माँ शारदे।।
 


।।आ गये दर तेरे हम तो माँ शारदे।। माता रानी भजन ।।

एक भक्त माँ शारदा के दर पर अपनी नैया सौंपकर खड़ा है। उसका मन भटक रहा है, रास्ता लंबा और धुंधला लगता है, जैसे कोई यात्री अनजान जंगल में किनारा ढूंढता हो। ठोकरें खाकर वह थक चुका है, पर माँ के दर पर आकर उसे भरोसा जागता है कि माँ उसकी डूबती नैया को पार लगाएगी।

गृहस्थी की उलझनों ने उसे जकड़ रखा है। अव्यवस्था के बीच वह माँ का नाम जपना चाहता है, उनकी सेवा करना चाहता है, पर समय और परिस्थिति उसे रोकते हैं। फिर भी, वह अपने बचे हुए जीवन को माँ के चरणों में अर्पित कर देना चाहता है, जैसे कोई प्यासा आखिरी घूँट को भी अमृत समझे।

माँ भक्तों की सदा सहायिका हैं। वह उनसे बस एक दयादृष्टि माँगता है, जैसे कोई बच्चा माँ की गोद में सिर रखकर सुकून पाता है। वह माँ का बालक बनकर उनके ममता के साये में रहना चाहता है। उसकी एकमात्र पुकार यही है कि माँ की भक्ति उसे मिले, ताकि उसका जीवन सार्थक हो जाए। 

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