मां आ गई अंबे मां जगदंबे मां

मां आ गई अंबे मां जगदंबे मां

मां आ गई अंबे मां जगदंबे मां
अंबे मां जगदंबे मां,
मां आ गई,
मां आ गई मेरी मां आ गई।

सपने में रात को मां आ गई,
मां आ गई मेरी मां आ गई।

मां ने सर पे हाथ रखा था,
मां ने मुझको प्यार किया था,
मां ने सर पे हाथ रखा था,
मां ने मुझको प्यार किया था,
बोली क्यों चिंता करता है,
जब मैं गई मैं गई,
मां आ गई मेरी मां आ गई।

मां ने मुझसे यही कहा था,
तूने दिल से याद किया था,
मां ने मुझसे यही कहा था,
तूने दिल से याद किया था,
तूने मुझको इतना पुकारा,
ले मैं आ गई मैं आ गई,
मां आ गई मेरी मां आ गई।

अब डर तुझे ना लगेगा,
तेरे बिगड़े काम बनेंगें,
अब डर तुझे ना लगेगा,
तेरे बिगड़े काम बनेंगें,
मैं मां हूं अपने बच्चों का,
दुख देख नहीं पाई
मां आ गई मेरी मां आ गई।

मैंने मां को देख लिया था,
मेरा सपना पूरा हुआ था,
मैंने मां को देख लिया था,
मेरा सपना पूरा हुआ था,
वो मां है अपने बच्चों से,
मिलने को आ गई,
मां आ गई मेरी मां आ गई।

सपने में रात को मां आ गई,
मां आ गई,
मां आ गई मेरी मां आ गई।
हम सपने में मां को आते देखते हैं। जो हमें स्नेह और आशीर्वाद देती हैं। मां हमें आश्वासन देती हैं कि वो हमेशा हमारे साथ हैं और हमारे दुख दूर करेंगी। हमारी सच्ची पुकार से मां प्रसन्न होकर आती हैं और हमारे बिगड़े काम संवारती हैं। मां के दर्शन पाकर हमारा मन आनंद और भक्ति से भर जाता है। जय माता रानी।


Maa Aa Gayi | माँ आ गई | Inderpal | Navratri Special Bhajan 2025 | अंबे माँ भजन 2025

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शिव के सहारे जीने वाला भक्त हर कदम पर उनके भरोसे चलता है। जैसे कोई पथिक तूफान में भी एकमात्र दीपक की लौ थामे रखता है, वैसे ही भक्त का मन भोले की शरण में अटल है। दुनिया में कोई अपना न मिले, फिर भी शिव उसका परिवार, उसका प्रेम, उसकी सारी दुनिया बन जाते हैं। वह रोने को तैयार हो, पर भोला आँसुओं को थाम लेता है।

शिव से दूर जाने का प्रश्न ही नहीं, क्योंकि भक्त का मन उनके नाम में खोया है। ब्रह्मांड के मालिक को आराध्य मानकर वह हर दुख से मुक्त हो जाता है। साधुता और मौन में उसे सुख मिलता है, जैसे कोई तपस्वी ध्यान में समा जाए। शिव सब देखते हैं, फिर भी अनदेखे रहकर भक्त के हृदय में बसते हैं।

भक्त ने सब कुछ शिव को सौंप दिया, केवल मिट्टी का यह शरीर बचा है। वह माला जपता, साधु बनकर कैलाश की ओर खिंचता है। श्मशानों से उसका रिश्ता बन गया, माया का मोह छूट गया। शिव को वह माता-पिता, प्रेम—सब कुछ मानता है। मृत्यु का रूप ले आएँ भोले, तो भी वह तैयार है, क्योंकि उसका शीश उनके चरणों में है।

ज्ञान की खोज में निकला भक्त जानता है कि शिव स्वयं में ही छिपे हैं। मन में झाँकने से शंभू दिखते हैं, जैसे कोई दर्पण में अपना प्रतिबिंब पाए। ध्यान में सब कुछ है, फिर भी शून्य। जीवन अब चिताओं की तरह जल रहा है, मन मरघट बन चुका है। फिर भी, भक्त हर पल शिव के सहारे जीता है, क्योंकि भोला ही उसका आधार, उसका मोक्ष, उसका सब कुछ है।
 
Bhajan : Maa Aa Gayi | माँ आ गई
Singer : Inderpal
Lyrics : Inderpal
Music : Rohit Kumar Bobby
Mixing : Afsar Ali (Sanskar Studio)
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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