लाख मनाऊ फिर भी ना माने मन मोरा

लाख मनाऊ फिर भी ना माने मन मोरा भागा जाए भजन


मन लोभी, मन लालची,
मन चंचल, मन चोर,
मन के मते न चालिए,
मन पल-पल में कहीं और।

मन के मारे वन गए,
वन तज बस्ती माहि,
कहे कबीर, क्या कीजिए,
यह मन ठहरे नाहि।

लाख मनाऊं फिर भी ना माने रे,
मन मोरा भागा जाए, जाए रे।।

दंभ, द्वेष का चोला पहना,
चंचलता है इसका गहना,
कैसे प्रभु का ध्यान लगाऊं रे,
कैसे प्रभु का ध्यान लगाऊं,
मन मोरा भागा जाए रे।

लिप्त, तृप्त है भोग व्यसन में,
मस्त, मगन है अपनी धुन में,
किस विधि योग का पाठ पढ़ाऊं रे,
किस विधि योग का पाठ पढ़ाऊं,
मन मोरा भागा जाए रे।।

पुलकित है जब सुख पाता है,
सहत दुसह दुःख घबराता है,
किस समभाव का गीत सुनाऊं रे,
किस समभाव का गीत सुनाऊं,
मन मोरा भागा जाए रे।

लाख मनाऊं फिर भी ना माने रे,
मन मोरा भागा जाए, जाए रे।।


लाख मनाऊ फिर भी ना माने मन मोरा भागा जाए||Vyasji Maurya||व्यासजी मौर्य।।।।

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Song-लाख मनाऊ फिर भी ना माने मन मोरा भागा जाए||
Singer-Vyasji Maurya||व्यासजी मौर्य।।।।
Mob no-9415364749
Music directer -(Ajay tripathi ji)...
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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