मैली चादर ओढ़ के कैसे Maili Chadar Odh Ke Kaise

मैली चादर ओढ़ के कैसे Maili Chadar Odh Ke Kaise

 
मैली चादर ओढ़ के कैसे लिरिक्स Maili Chadar Odh Ke Kaise Lyrics

मैली चादर ओढ़ के कैसे द्वार तुम्हारे आऊँ,
हे पावन परमेश्वर मेरे,मन ही मन शरमाऊँ ।
मैली चादर ओढ़ के कैसे,

तूने मुझको जग में भेजा निर्मल देकर काया,
आकर के संसार में मैंने इसको दाग लगाया ।
जनम जनम की मैली चादर,कैसे दाग छुड़ाऊं,
मैली चादर ओढ़ के कैसे द्वार तुम्हारे आऊँ ॥
 
निर्मल वाणी पाकर तुझसे नाम ना तेरा गाया,
नैन मूँदकर हे परमेश्वर कभी ना तुझको ध्याया ।
मन-वीणा की तारे टूटी,अब क्या राग सुनाऊँ,
मैली चादर ओढ़ के कैसे द्वार तुम्हारे आऊँ ॥

इन पैरों से चलकर तेरे मंदिर कभी ना आया,
जहाँ जहाँ हो पूजा तेरी,कभी ना शीश झुकाया ।
हे हरिहर मई हार के आया,अब क्या हार चढाउँ,
मैली चादर ओढ़ के कैसे द्वार तुम्हारे आऊँ ॥

तू है अपरम्पार दयालु सारा जगत संभाले,
जैसा भी हूँ मैं हूँ तेरा अपनी शरण लगाले ।
छोड़ के तेरा द्वारा दाता और कहीं नहीं जाऊं
मैली चादर ओढ़ के कैसे द्वार तुम्हारे आऊँ ॥



मैली चादर ओढ़ के कैसे द्वार तुम्हारे मैं आऊं - Shailendra Bharti - Total Bhajan

मैली चादर ओढ़ के कैसे,
द्वार तुम्हारे आऊँ,
हे पावन परमेश्वर मेरे,
मन ही मन शरमाऊँ,
मैली चादर ओढ के कैसे.......।

तूने मुझको जग में भेजा,
निर्मल देकर काया,
आकर के संसार में मैंने,
इसको दाग लगाया,
जनम जनम की मैली चादर,
कैसे दाग छुड़ाऊं,
मैली चादर ओढ के कैसे.......।

निर्मल वाणी पाकर तुझसे,
नाम ना तेरा गाया,
नैन मूँदकर हे परमेश्वर,
कभी ना तुझको ध्याया,
मन-वीणा की तारे टूटी,
अब क्या राग सुनाऊँ,
मैली चादर ओढ के कैसे.......।

इन पैरों से चलकर तेरे,
मंदिर कभी ना आया,
जहाँ जहाँ हो पूजा तेरी,
कभी ना शीश झुकाया ।
हे हरिहर मै हार के आया,
अब क्या हार चढाउँ,
मैली चादर ओढ के कैसे.......।

तू है अपरम्पार दयालु,
सारा जगत संभाले,
जैसा भी हूँ मैं हूँ तेरा,
अपनी शरण लगाले,
छोड़ के तेरा द्वारा ओ दाता,
और कहीं नहीं जाऊं,
मैली चादर ओढ के कैसे.......।
मैली चादर ओढ़ के कैसे,
द्वार तुम्हारे आऊँ,
हे पावन परमेश्वर मेरे,
मन ही मन शरमाऊँ,
मैली चादर ओढ के कैसे.......।
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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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