म्हारा सतगुरु दिन दयाल आज म्हाने
म्हारा सतगुरु दिन दयाल आज म्हाने अमर बनाया रे
म्हारा सतगुरु दीनदयाल
आज म्हाने अमर बनाया रे।
सतगुरु बादल प्रेम का,
तो महा पर बरसो आए,
अंतर भीगे आत्मा,
तो हरियो हो वनराय।
अमर बनाया रे,
आज म्हाने अमर बनाया रे,
म्हारा सतगुरु दीनदयाल
आज म्हाने अमर बनाया रे,
म्हारा दाता दीनदयाल,
आज म्हाने अमर बनाया रे।
सुता था मैं भरी नींद में,
आए जगाया रे,
सिर पर पंजा रख लिया,
गुरु ज्ञान बताया रे,
म्हारा सतगुरु दीनदयाल
आज म्हाने अमर बनाया रे,
म्हारा दाता दीनदयाल,
आज म्हाने अमर बनाया रे।
लख चौरासी झुंड में मैं,
बहु दुःख पाता रे,
जमड़ा ले जाता बाँधने,
गुरु आए छुड़ाया रे,
म्हारा सतगुरु दीनदयाल
आज म्हाने अमर बनाया रे,
म्हारा दाता दीनदयाल,
आज म्हाने अमर बनाया रे।
भव तलाव दरियाव में,
म्हारी नाव तिराया रे,
सतगुरु बनिया खेवटिया रे,
म्हाने पार लगाया रे,
म्हारा सतगुरु दीनदयाल
आज म्हाने अमर बनाया रे,
म्हारा दाता दीनदयाल,
आज म्हाने अमर बनाया रे।
काशीनाथ गुरु भेटिया,
म्हारो भ्रम मिटाया रे,
जीवनदास री विनती,
हरी गुण गाया रे,
म्हारा सतगुरु दीनदयाल
आज म्हाने अमर बनाया रे,
म्हारा दाता दीनदयाल,
आज म्हाने अमर बनाया रे।
अमर बनाया रे,
आज म्हाने अमर बनाया रे,
म्हारा सतगुरु दीनदयाल
आज म्हाने अमर बनाया रे,
म्हारा दाता दीनदयाल,
आज म्हाने अमर बनाया रे।
आज म्हाने अमर बनाया रे।
सतगुरु बादल प्रेम का,
तो महा पर बरसो आए,
अंतर भीगे आत्मा,
तो हरियो हो वनराय।
अमर बनाया रे,
आज म्हाने अमर बनाया रे,
म्हारा सतगुरु दीनदयाल
आज म्हाने अमर बनाया रे,
म्हारा दाता दीनदयाल,
आज म्हाने अमर बनाया रे।
सुता था मैं भरी नींद में,
आए जगाया रे,
सिर पर पंजा रख लिया,
गुरु ज्ञान बताया रे,
म्हारा सतगुरु दीनदयाल
आज म्हाने अमर बनाया रे,
म्हारा दाता दीनदयाल,
आज म्हाने अमर बनाया रे।
लख चौरासी झुंड में मैं,
बहु दुःख पाता रे,
जमड़ा ले जाता बाँधने,
गुरु आए छुड़ाया रे,
म्हारा सतगुरु दीनदयाल
आज म्हाने अमर बनाया रे,
म्हारा दाता दीनदयाल,
आज म्हाने अमर बनाया रे।
भव तलाव दरियाव में,
म्हारी नाव तिराया रे,
सतगुरु बनिया खेवटिया रे,
म्हाने पार लगाया रे,
म्हारा सतगुरु दीनदयाल
आज म्हाने अमर बनाया रे,
म्हारा दाता दीनदयाल,
आज म्हाने अमर बनाया रे।
काशीनाथ गुरु भेटिया,
म्हारो भ्रम मिटाया रे,
जीवनदास री विनती,
हरी गुण गाया रे,
म्हारा सतगुरु दीनदयाल
आज म्हाने अमर बनाया रे,
म्हारा दाता दीनदयाल,
आज म्हाने अमर बनाया रे।
अमर बनाया रे,
आज म्हाने अमर बनाया रे,
म्हारा सतगुरु दीनदयाल
आज म्हाने अमर बनाया रे,
म्हारा दाता दीनदयाल,
आज म्हाने अमर बनाया रे।
Kabir vani. सतगुरु म्हारा दीन दयाल। Satguru mhara din dayal. Deepguruji लिखित भजन. दीपगुरुजी के भजन।
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Author - Saroj Jangir
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