सोना चांदी हिरे मोती रंगले बंगले

सोना चांदी हिरे मोती रंगले बंगले महल चौबारे

(मुखड़ा)
सोना चांदी हिरे मोती,
रंगले बंगले महल चौबारे,
ये तो चाहे माँ हर कोई,
मेरे नहीं काम के सारे,
बैठे धुनि रमाए हम जोगी दर पे,
ओ मैया, हाथ दया का,
धर दे मेरे सर पे,
ओ दाती, हाथ दया का,
धर दे मेरे सर पे।।

(दोहा)
क्यों मैं हाथ जोड़ूँ,
इंसां के सामने,
माँगा है, माँगता हूँ,
माँगूगा माँ के सामने।।

(अंतरा 1)
छोड़ के सब दुनिया के झंझट,
दर पे अलख जगाई तेरे,
तू दाता, तू भाग्य विधाता,
आस तुझी पे लगाई,
माँगे किसलिए जाए हर दर-दर पे,
ओ मैया, हाथ दया का,
धर दे मेरे सर पे।।

(दोहा)
होंठों पे जिसके कभी,
बददुआ नहीं होती,
बस एक माँ ही है जो,
कभी ख़फ़ा नहीं होती।।

(अंतरा 2)
नाम तेरे की बैठ नाव में,
पापी पार उतर गए,
सर तेरी चौखट पे रखा,
बिगड़े भाग्य संवर गए,
डाली दृष्टि दया की माता तूने हर पे,
ओ मैया, हाथ दया का,
धर दे मेरे सर पे।।

(अंतरा 3)
थक गए दुःख सहते-सहते,
दुःख आते नहीं थकते,
तकलीफों की घड़ी के कांटे,
आगे नहीं सरकते,
मैया देख मेरा हाल, आके मेरे घर में,
ओ मैया, हाथ दया का,
धर दे मेरे सर पे।।

(अंतरा 4)
‘लख्खा’ की झोली में भी माँ,
सुख के दो पल डालो,
है तक़दीर का मारा ‘सरल’,
माँ, इसे अपना लो,
सुन भावना, माँ जाना नहीं लयस्वर पे,
ओ मैया, हाथ दया का,
धर दे मेरे सर पे।।

(पुनरावृत्ति)
सोना चांदी हिरे मोती,
रंगले बंगले महल चौबारे,
ये तो चाहे माँ हर कोई,
मेरे नहीं काम के सारे,
बैठे धुनि रमाए हम जोगी दर पे,
ओ मैया, हाथ दया का,
धर दे मेरे सर पे,
ओ दाती, हाथ दया का,
धर दे मेरे सर पे।।
 


Sona Chandi Heera Moti Sona Chandi Heera Moti · Lakhbir Singh Lakkha · Durga-Natraj · Saral Kavi
Next Post Previous Post