नवधा भक्ति कथा लिरिक्स Navadha Bhakti Katha Lyrics

नवधा भक्ति कथा लिरिक्स Navadha Bhakti Katha Lyrics

 
नवधा भक्ति कथा लिरिक्स Navadha Bhakti Katha Lyrics

श्रवणं कीर्तनं विष्णोः स्मरणं पादसेवनम्।
अर्चनं वन्दनं दास्यं सख्यमात्मनिवेदनम् ॥
 
श्रवण: ईश्वर की लीला, कथा, महत्व, शक्ति, स्रोत इत्यादि को परम श्रद्धा सहित अतृप्त मन से निरंतर सुनना। कीर्तन: ईश्वर के गुण, चरित्र, नाम, पराक्रम आदि का आनंद एवं उत्साह के साथ कीर्तन करना। स्मरण: निरंतर अनन्य भाव से परमेश्वर का स्मरण करना, उनके महात्म्य और शक्ति का स्मरण कर उस पर मुग्ध होना। पाद सेवन: ईश्वर के चरणों का आश्रय लेना और उन्हीं को अपना सर्वस्व समझना। अर्चन: मन, वचन और कर्म द्वारा पवित्र सामग्री से ईश्वर के चरणों का पूजन करना। वंदन: भगवान की मूर्ति को अथवा भगवान के अंश रूप में व्याप्त भक्तजन, आचार्य, ब्राह्मण, गुरूजन, माता-पिता आदि को परम आदर सत्कार के साथ पवित्र भाव से नमस्कार करना या उनकी सेवा करना। 
 
दास्य: ईश्वर को स्वामी और अपने को दास समझकर परम श्रद्धा के साथ सेवा करना। सख्य: ईश्वर को ही अपना परम मित्र समझकर अपना सर्वस्व उसे समर्पण कर देना तथा सच्चे भाव से अपने पाप पुण्य का निवेदन करना। आत्मनिवेदन: अपने आपको भगवान के चरणों में सदा के लिए समर्पण कर देना और कुछ भी अपनी स्वतंत्र सत्ता न रखना। यह भक्ति की सबसे उत्तम अवस्था मानी गई हैं। भगवान् श्रीराम जब शबरीजी के आश्रम में आते हैं तो शबरीजी उनका स्वागत करती हैं, उनके चरणों को पखारती हैं, उन्हें आसन पर बैठाती हैं और उन्हें रसभरे कन्द-मूल-फल लाकर अर्पित करती हैं। प्रभु बार-बार उन फलों के स्वाद की सराहना करते हुए आनन्दपूर्वक उनका आस्वादन करते हैं। इसके पश्चात् भगवान राम शबरीजी के समक्ष नवधा भक्ति का स्वरूप प्रकट करते हुए उनसे कहते हैं कि-
नवधा भकति कहउँ तोहि पाहीं।
सावधान सुनु धरु मन माहीं।।

प्रथम भगति संतन्ह कर संगा।
दूसरि रति मम कथा प्रसंगा।।

गुर पद पकंज सेवा तीसरि भगति अमान।
चौथि भगति मम गुन गन करइ कपट तजि गान। ( चौपाई - दोहा 35)

मन्त्र जाप मम दृढ़ बिस्वासा।
पंचम भजन सो बेद प्रकासा।।

छठ दम सील बिरति बहु करमा।
निरत निरंतर सज्जन धरमा।।
सातवँ सम मोहि मय जग देखा।
मोतें संत अधिक करि लेखा।।

आठवँ जथालाभ संतोषा।
सपनेहुँ नहिं देखइ परदोषा।।

नवम सरल सब सन छलहीना।
मम भरोस हियँ हरष न दीना।।
 

नवधा भक्ति कथा लिरिक्स Navadha Bhakti Katha Lyrics
Navadha Bhakati Kahun Tohi Paahin.
Saavadhaan Sunu Dharu Man Maahin..

Pratham Bhagati Santanh Kar Sanga.
Dusari Rati Mam Katha Prasanga..

Gur Pad Pakanj Seva Tisari Bhagati Amaan.
Chauthi Bhagati Mam Gun Gan Kari Kapat Taji Gaan. ( Chaupai - Doha 35)

Mantr Jaap Mam Drdh Bisvaasa.
Pancham Bhajan So Bed Prakaasa..

Chhath Dam Sil Birati Bahu Karama.
Nirat Nirantar Sajjan Dharama..

Saatavan Sam Mohi May Jag Dekha.
Moten Sant Adhik Kari Lekha..

Aathavan Jathaalaabh Santosha.
Sapanehun Nahin Dekhi Paradosha..

Navam Saral Sab San Chhalahina.
Mam Bharos Hiyan Harash Na Dina.

Ramayan | नवधा भक्ति कथा | Navdha Bhakti Katha | रामचरितमानस अरण्यकाण्ड | Devendra Pathak Ji
Listen to this Navdha Bhakti Katha and Induldge in the Bhakti of Shri Ram and Get the Blessing of Lord Rama | इस नवधा भक्ति कथा को जरूर सुनिए और ज्यादा से ज्यादा Share कीजिये | @SAV - 2246/2_tr283 Ramcharitmanas - Navdha Bhakti Katha Singer - Devendra Pathak JI Music - Kailash Shrivastav Lyrics - Traditional Digital Partner - Vianet Media Pvt. Ltd Label : Ambey Bhakti Copyright - Shubham Audio Video Pvt. Ltd.

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4 टिप्पणियां

  1. बहुत गहरे मतलब है इन चौपाइयों के अर्थ भी लिख दिया होते तो और भी अच्छा होता अर्थ सहित चौपाई जो होती है वही सार्थक होती है किस भाषा का किसी को ज्ञान होता है किसी को नहीं होता
  2. Good👍
  3. Very good sistam
  4. Very nice 👍