बेदर्दी दिल चुरा के चला गया भजन
बड़ा छलिया रे सखी नंद गोपाल,
बेदर्दी दिल चुरा के चला गया,
ले के चला गया, ले के चला गया,
बेदर्दी दिल चुरा के चला गया,
सुध बुध लूट लिया नटखट सांवरियाँ ने,
मोह गया मन को, उसकी मोहनी मुरलिया ने,
प्रेम का बाण सीधे सीने में उतार दिया,
किया दीवाना उसकी कातिल नजरियाँ ने,
बावरी फिरूँ बनके हाल बेहाल,
बेदर्दी दिल चुरा के चला गया,
ले के चला गया, ले के चला गया,
बेदर्दी दिल चुरा के चला गया,
सारा ज़माना उसकेदरश का दीवाना है,
दिखने में भोला भाला पर वो सयाना है,
नाचत खुद भी संग सब को नचाता फिरे,
यमुना के तट पे बसा उसका ठिकाना है,
रास रचाये संग में लेके गोपी ग्वाल,
बेदर्दी दिल चुरा के चला गया,
ले के चला गया, ले के चला गया,
बेदर्दी दिल चुरा के चला गया,
खफ़ा मैं उससे नहीं, उसकी बेफाफाई से,
जादूगर मतलबी उस संग दिल हरजाई से,
कही दिखे तो लेती उसकी खबर तबियत से,
बता दे मितली है कितनी तड़प जुदाई से,
क्षण भर बिसरे न उसका खयाल,
बेदर्दी दिल चुरा के चला गया,
ले के चला गया, ले के चला गया,
बेदर्दी दिल चुरा के चला गया,
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