फागुन का तो मौसम समाया मेरे मन में भजन
फागुन का तो मौसम, समाया मेरे मन में,
फागुन का तो मौसम....
कोयल मोर पपियाँ बोले, लागे प्यारा प्यारा,
गर्मी की शुरुआत, आँगन दरियाँ के किनारे,
पिया ना हमारे सखी, पिया ना हमारे सखी,
जाऊँ पलटन में,
फागुन का तो मौसम, समाया मेरे मन में,
फागुन का तो मौसम....
खेतों की हरियाली मेरे मन को सुहाई,
फूलों की सुगंध बादलों की छाईं,
गावे है लुगाई गीत, गावे है लुगाई गीत,
होली की लगन में,
फागुन का तो मौसम, समाया मेरे मन में,
फागुन का तो मौसम....
जगह जगह पर मेले लगते प्यार के पतंगे,
छोटे छोटे देवर करते भाभी जी से तंगे,
रंग बिरंगे कपडे, रंग बिरंगे कपडे,
पैर पैर तन में,
फागुन का तो मौसम, समाया मेरे मन में,
फागुन का तो मौसम....
जय करण (लेखक) कवि के घर शेरपुर में जाऊंगी,
सखी सुशीला गैल मैं लोक गीत गाऊँगी,
बुलाऊँ बलराज को,
बुलाऊँ बलराज को, होली के भजन मैं,
फागुन का तो मौसम, समाया मेरे मन में,
फागुन का तो मौसम....
ऐसे ही अन्य भजनों के लिए आप होम पेज / गायक कलाकार के अनुसार भजनों को ढूंढें.
ऐसे ही अन्य मधुर भजन देखें
पसंदीदा गायकों के भजन खोजने के लिए यहाँ क्लिक करें।
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं