थारी किरपा से बाबा द्वार थारे आऊँ भजन
थारी किरपा से बाबा, द्वार थारे आऊँ,
जीवूँ मैं जब तक साँवरा,
जीवूँ मैं जब तक साँवरा,गुणगान थारा लगाऊँ,
थारी किरपा से बाबा, द्वार थारे आऊँ,
फागण की मस्ती बाबा बोलो कठे से लाऊँ,
होली और दिवाली थारे दर पे ही मनाऊँ,
दर पे ना जो बुलाया,
दर पे ना जो बुलाया बोलो कठे मैं जाऊँ,
थारी किरपा से बाबा, द्वार थारे आऊँ,
इत्र सी बारिशों में फूलो री वर्षा भारी,
भगतां के सागे होली खेले श्याम बिहारी,
ऐसी किरपा हो जाए,
ऐसी किरपा हो जाए मैं उन में रंग जाऊँ,
थारी किरपा से बाबा, द्वार थारे आऊँ,
खाटू नगर के माही मेरा साँवरो विराजो,
तोरण द्वार यो प्यारो स्वर्ग से सूंदर लागे,
रींगस से आता पैदल,
रींगस से आता पैदल थाने भजन सुनाऊँ,
थारी किरपा से बाबा, द्वार थारे आऊँ,
तन रेवे म्हारे बस में मनड़ो न माहरे वस में,
कद आवे जो बुलावो रह जावे कश्मकश में,
"पंकज" (गायक) री विनती बाबा खाटू में वस् जाऊँ,
थारी किरपा से बाबा, द्वार थारे आऊँ,
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