घाटे आले ने अंगना में पलंग झुलाया भजन
(बोलिये बालाजी महाराज की जय)
घाटे आळे ने अंगणा में पलन झुलाया,
अंगणा में पलन झुलाया,
के अंगणा में पलन झुलाया,
घाटे आळे ने अंगणा में पलन झुलाया,
ऐसी दया करी बाबा ने, बज गए ढोल नगाड़े,
घर गुण और अगड़ पड़ौसी होये गुण के लाडे,
घाटे वाले ने अंगना में पलन झुलाया,
घाटे आळे ने अंगणा में पलन झुलाया,
जज्जा जगनी और वधाई गावण लगी लुगाई,
घाटे वाले की किरपा ते फूली नहीं समाई,
घाटे वाले ने अंगणा में पलन झुलाया,
घाटे आळे ने अंगणा में पलन झुलाया,
सवामणी का रोट लगाया देखूँ लाल लंगोटा,
बाबा के मन्न गढ़वा राख्या चांदी का एक सोटा,
घाटे वाले ने अंगना में पलन झुलाया,
घाटे आळे ने अंगणा में पलन झुलाया,
"अशोक भगत" (लेखक) पे हाथ धरया, म्हारें होग्ये वारे न्यारे,
सारी रात तेरा होया जगराता शबद "नरेंद्र" (गायक) गारे,
घाटे वाले ने अंगना में पलन झुलाया,
घाटे आळे ने अंगणा में पलन झुलाया,
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