घनश्याम तेरी बंसी पागल कर जाती है
घनश्याम तेरी बंसी पागल कर जाती है कृष्णा भजन
घनश्याम तेरी बंसी, पागल कर जाती है,
घनश्याम तेरी बंसी, पाग़ल कर जाती हैं,
मुस्कान तेरी मोहन,
मुस्कान तेरी मोहन, घायल कर जाती है,
घनश्याम तेरी बंसी, पागल कर जाती है,
सोने की होती तो, क्या करते तुम मोहन,
सोने की होती तो, क्या करतें तुम मोहन,
ये बाँस की होकर भी
ये बांस की होकर भी, दुनियाँ को नचाती है,
घनश्याम तेरी बंसी, पागल कर जाती है,
घनश्याम तेरी बंसी, पाग़ल कर जाती हैं,
तुम गौरे होते तो, क्या कर जाते मोहन,
जब काले रँग पर ही,
जब काले रंग पर ही, दुनियाँ मर जाती है,
घनश्याम तेरी बंसी, पागल कर जाती है,
घनश्याम तेरी बंसी, पाग़ल कर जाती हैं,
दुख दरदों को सहना, बंसी ने सिखाया है,
दुख दरदों को सहना, बंसी ने सिखाया है,
इसके छेद है सीने में,
इसके छेद है सीने में, फिर भी मुस्काती है,
घनश्याम तेरी बंसी, पागल कर जाती है,
घनश्याम तेरी बंसी, पाग़ल कर जाती हैं,
कभी रास रचाते हो, कभी बंसी बजाते हो,
कभी रास रचाते हो, कभी बंसी बजाते हो,
कभी माख्नन खाने की,
कभी माखन खाने की, मन में आ जाती है,
घनश्याम तेरी बंसी, पागल कर जाती है,
घनश्याम तेरी बंसी, पाग़ल कर जाती हैं,
घनश्याम तेरी बंसी, पागल कर जाती है,
मुस्कान तेरी मोहन, घायल कर जाती है,
घनश्याम तेरी बंसी, पाग़ल कर जाती हैं,
मुस्कान तेरी मोहन,
मुस्कान तेरी मोहन, घायल कर जाती है,
घनश्याम तेरी बंसी, पागल कर जाती है,
सोने की होती तो, क्या करते तुम मोहन,
सोने की होती तो, क्या करतें तुम मोहन,
ये बाँस की होकर भी
ये बांस की होकर भी, दुनियाँ को नचाती है,
घनश्याम तेरी बंसी, पागल कर जाती है,
घनश्याम तेरी बंसी, पाग़ल कर जाती हैं,
तुम गौरे होते तो, क्या कर जाते मोहन,
जब काले रँग पर ही,
जब काले रंग पर ही, दुनियाँ मर जाती है,
घनश्याम तेरी बंसी, पागल कर जाती है,
घनश्याम तेरी बंसी, पाग़ल कर जाती हैं,
दुख दरदों को सहना, बंसी ने सिखाया है,
दुख दरदों को सहना, बंसी ने सिखाया है,
इसके छेद है सीने में,
इसके छेद है सीने में, फिर भी मुस्काती है,
घनश्याम तेरी बंसी, पागल कर जाती है,
घनश्याम तेरी बंसी, पाग़ल कर जाती हैं,
कभी रास रचाते हो, कभी बंसी बजाते हो,
कभी रास रचाते हो, कभी बंसी बजाते हो,
कभी माख्नन खाने की,
कभी माखन खाने की, मन में आ जाती है,
घनश्याम तेरी बंसी, पागल कर जाती है,
घनश्याम तेरी बंसी, पाग़ल कर जाती हैं,
घनश्याम तेरी बंसी, पागल कर जाती है,
मुस्कान तेरी मोहन, घायल कर जाती है,
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घनश्याम तेरी बंशी पागल कर जाती है ॥ Prem Mehra || Popular Shri Krishna Bhajan # Ambey Bhakti Album : Pathar Ki Radha Pyari
Video - Ghanshyam Teri Banshi
Singer - Prem Mehra
Music : Yogesh Kumar
Lyrics : Prem Mehra
Video - Ghanshyam Teri Banshi
Singer - Prem Mehra
Music : Yogesh Kumar
Lyrics : Prem Mehra
श्याम के स्वरूप में वह अद्भुत आकर्षण है जो मात्र दर्शन से नहीं, अनुभूति से महसूस होता है। उनकी मुरली का मधुर स्वर किसी वाद्य का संगीत नहीं, आत्मा की पुकार है। जब वह बजती है, तो संसार के सारे शोर थम जाते हैं और भीतर का मौन गाने लगता है। यह बंसी हमें सिखाती है कि प्रेम सौंदर्य में नहीं, आत्मीयता में बसता है। कृष्ण का सांवला रंग इसी सत्य का संकेत है — जिसे देखने के लिए दृष्टि नहीं, हृदय चाहिए। उनका प्रत्येक रूप, प्रत्येक मुस्कान जीवन के कण-कण में रस घोल देती है। यही कारण है कि यह प्रेम मोह में नहीं बाँधता, बल्कि मन को मुक्त कर देता है, जैसे किसी ने भीतर की थकान को छूकर उस पर स्नेह रख दिया हो।
बांस की वह बंसी, जिसमें छेद हैं, फिर भी मुस्कुराती है — यह जीवन का सबसे सुंदर प्रतीक है। अगर कृष्ण की बाँसुरी दुख के छेदों में से संगीत रच सकती है, तो मनुष्य भी अपने दर्द में प्रकाश खोज सकता है। यह भाव याद दिलाता है कि जीवन की खामियां भी कृपा के सुर बन सकती हैं, यदि उन्हें प्रेम से देखा जाए। कृष्ण अपने लीला-भाव से सिखाते हैं कि सादगी में भी सौंदर्य है, और अपूर्णता में भी आनंद का संपूर्ण स्वर बसता है। उनकी मुरली का संदेश यह है — टूट कर भी मुस्कुराना, छेदों के बीच से राग गढ़ना और हर परिस्थिति में प्रेम को जीवित रखना।
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