हे मुरलीधर छलिया मोहन, हे मुरलीधर छलिया मोहन, हम भी तुमको दिल दे बैठे, मुरलीधर छलिया मोहन।
हम भी तुमको दिल दे बैठे, गम पहले से ही कम तो ना थे, गम पहले से ही कम तो ना थे, एक और मुसीबत ले बैठे।
मुरलीधर छलिया मोहन, हम भी तुमको दिल दे बैठे, दिल कहता है तुम सुंदर हो, आंखे कहती हैं दिखलाओ।
दिल कहता है तुम सुंदर हो, आंखे कहती हैं दिखलाओ, तुम मिलते नहीं हो आकर के तुम मिलते नहीं हो आकर के, हम कैसे कहें देखो ये बैठे, मुरलीधर छलिया मोहन, हम भी तुमको दिल दे बैठे।
महिमा सुनके हैरान हैं हम, तुम मिल जाओ तो चैन मिले, महिमा सुनके हैरान हैं हम, तुम मिल जाओ तो चैन मिले।
मन खोज के भी तुम्हे पाता नहीं, मन खोज के भी तुम्हे पाता नहीं, तुम हो कि उसी मन में बैठे,
मुरलीधर छलिया मोहन, हे मुरलीधर छलिया मोहन, हम भी तुमको दिल दे बैठे, गम पहले से ही कम तो ना थे।
गम पहले से ही कम तो ना थे, एक ओर मुसीबत ले बैठे, मुरलीधर छलिया मोहन, हम भी तुमको दिल दे बैठे।
श्री कृष्ण जी बहुत सुंदर और मनमोहक हैं। उनकी मुस्कान इतनी मोहक है कि जब भी उन्हें देखते हैं हमारा मन खुशी से भर जाता है। जब वे बांसुरी बजाते हैं तो उसकी मधुर ध्वनि सब को अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। उनकी आंखों में गहरा प्यार और दया झलकती है जो हमारे मन को शांति और सुकून देती है। उनकी बाल लीलाएं मन को आनंद से भर देती हैं और उनकी कथाएं सुनकर भक्ति का भाव जागृत होता है। उनके चरणों में ही सच्चा प्रेम और शांति का अनुभव होता है, जो हर दुख को दूर कर देता है। जय कृष्ण कन्हैया।
Muralidhar: The Divine Flute Player of Vrindavan
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