स्वर्ग और नरक मनुष्य के कर्मों का फल

प्रेरणादायक कहानी स्वर्ग और नरक मनुष्य के कर्मों का फल


स्वर्ग और नरक मनुष्य के कर्मों का फल
 
एक बुजुर्ग महिला की मृत्यु हो गई, और यमराज उसे लेने आए।

महिला ने यमराज से पूछा, "क्या आप मुझे स्वर्ग ले जाएंगे या नरक?"

यमराज मुस्कुराए और बोले, "दोनों में से कहीं नहीं। तुमने इस जन्म में बहुत अच्छे कर्म किए हैं, इसलिए मैं तुम्हें प्रभु के धाम ले जा रहा हूं।"

बुजुर्ग महिला खुशी से भर गई और बोली, "धन्यवाद, लेकिन मेरी एक विनती है। मैंने धरती पर हमेशा स्वर्ग और नरक के बारे में सुना है, क्या मैं इन दोनों स्थानों को देख सकती हूं?"

यमराज ने कहा, "तुम्हारे अच्छे कर्मों के कारण, मैं तुम्हारी यह इच्छा पूरी करता हूं। चलो, हम स्वर्ग और नरक के रास्ते से होते हुए प्रभु के धाम चलेंगे।"

वे दोनों यात्रा पर निकले। सबसे पहले नरक आया। वहां बुजुर्ग महिला ने जोर-जोर से लोगों के रोने की आवाजें सुनीं। नरक में सभी लोग दुबले और बीमार दिख रहे थे। महिला ने एक आदमी से पूछा, "यहां आपकी हालत क्यों ऐसी है?"

आदमी बोला, "हमने यहां आने के बाद से एक दिन भी खाना नहीं खाया।"

बुजुर्ग महिला की नज़र एक विशाल पतीले पर पड़ी, जो लगभग 300 फीट ऊंचा था। उस पतीले से एक शानदार खुशबू आ रही थी और उसके ऊपर एक विशाल चम्मच लटका हुआ था। महिला ने उस आदमी से पूछा, "इस पतीले में क्या है?"

आदमी मायूस होकर बोला, "यह पतीला हमेशा स्वादिष्ट खीर से भरा रहता है।"

महिला चौंकी, "तो फिर आप लोग इसे क्यों नहीं खाते, भूख से तड़प क्यों रहे हैं?"

आदमी रोते हुए बोला, "हममें से कोई भी उस पतीले तक नहीं पहुंच पाता। वह बहुत ऊंचा है।"

बुजुर्ग महिला को उन पर तरस आया। वह सोचने लगी, "यहां ये लोग खीर के पास होते हुए भी भूख से बेहाल हैं। शायद ईश्वर ने इन्हें यही दंड दिया है।"

यमराज ने कहा, "चलो, हमें देर हो रही है।"

वे दोनों आगे बढ़े, और कुछ देर बाद स्वर्ग आए।

स्वर्ग में सब लोग हंसी-खुशी से जी रहे थे। उनकी खुशी देखकर बुजुर्ग महिला भी प्रसन्न हो गई। परंतु उसकी नज़र फिर से वही 200 फीट ऊंचा पतीला पड़ी, जैसा नरक में था, और उसके ऊपर भी वही विशाल चम्मच लटका हुआ था। महिला ने वहां के लोगों से पूछा, "इस पतीले में क्या है?"

स्वर्गवासियों ने कहा, "यह पतीला भी स्वादिष्ट खीर से भरा है।"

महिला हैरान होकर बोली, "तो आप लोग इसे कैसे खाते हैं, यह तो बहुत ऊंचा है।"

लोग मुस्कुराए और बोले, "हमने स्वर्ग में बहुत सारे पेड़-पौधे, नदियां और झरने देखे हैं। ईश्वर ने इन्हें हमारे उपयोग के लिए बनाया है। हमने इन पेड़ों की लकड़ी ली, उसे काटा और विशाल सीढ़ी बनाई। उस लकड़ी की सीढ़ी से हम पतीले तक पहुंचते हैं और फिर सब मिलकर खीर का आनंद लेते हैं।"

बुजुर्ग महिला यमराज की तरफ देखने लगी।

यमराज मुस्कुराए और बोले, "ईश्वर ने स्वर्ग और नरक दोनों ही मानवों के हाथों में सौंप दिए हैं। चाहे तो वे नरक बना सकते हैं, चाहे तो स्वर्ग। ईश्वर ने सभी को समान अवसर दिए हैं।"

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इस कहानी से यह संदेश मिलता है कि मनुष्य के कर्म और दृष्टिकोण के आधार पर ही उसका जीवन स्वर्ग या नरक बनता है। इस कहानी का मुख्य संदेश यह है कि स्वर्ग और नरक केवल एक स्थान नहीं, बल्कि हमारे कर्मों और दृष्टिकोण का परिणाम हैं। ईश्वर ने हमें जीवन में समान अवसर दिए हैं, और हमारे द्वारा किए गए अच्छे या बुरे कर्म ही हमारे भविष्य को आकार देते हैं। यदि हम दूसरों के साथ सहयोग और प्रेम से पेश आते हैं, तो हम अपने जीवन को स्वर्ग के समान बना सकते हैं, जबकि यदि हम स्वार्थी और निर्दयी होते हैं, तो हम नरक की स्थिति में खुद को पा सकते हैं। इस कहानी से यह भी सीखा जाता है कि हमारी इच्छाओं और संघर्षों का परिणाम हमारे प्रयासों पर निर्भर करता है, और हमें हमेशा अपने कर्मों का सही मूल्यांकन करना चाहिए।
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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