किसी का तुम्हें जब सहारा न हो
किसी का तुम्हें जब सहारा न हो,
जहाँ में कोई जब तुम्हारा न हो,
आ जाना तब तुम शरण में मेरी,
मेरा दर खुला है खुला ही रहेगा, तुम्हारे लिए,
मिले जो ज़माने की ठोकर तुम्हें,
उठा कर गले से लगा लूँगा मैं,
जो रुसवा करे तेरे अपने तुझे,
तो सम्मान तुझको दिलाऊँगा मैं,
जो गर्दिश में तेरा गुजारा न हो,
भटकना भी तुझको ग़वारा ना हो,
आ जाना तब तुम शरण में मेरी,
आ जाना तब तुम शरण में मेरी,
मेरा दर खुला है खुला ही रहेगा, तुम्हारे लिए,
अकेले नहीं तुम ही सँसार में,
है तुम से कई मेरे दरबार में,
ना छोडूंगा तुमको मझदार में,
मिलाऊँगा अपने ही परिवार में,
अगर तू किसी का दुलारा न हो,
किसी की भी आँखों का तारा ना हों,
आ जाना तब तुम शरण में मेरी,
मेरा दर खुला है खुला ही रहेगा, तुम्हारे लिए,
दुखी दीन हीनों की मुश्कानो में,
मेरा रूप तुझको नज़र आएगा,
जो इंसानियत न हो इंसान में,
वो जानवर ही तो कहलाएगा,
किसी ने तुझे अगर सँवारा ना हो,
तेरी गलतियों को सुधारा ना हों,
आ जाना तब तुम शरण में मेरी,
मेरा दर खुला है खुला ही रहेगा, तुम्हारे लिए,
किसी का तुम्हें जब सहारा न हो,
जहाँ में कोई जब तुम्हारा न हो,
आ जाना तब तुम शरण में मेरी,
मेरा दर खुला है खुला ही रहेगा, तुम्हारे लिए,
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Shyam baba ka ek aisa bhajan mere saathiyo jisse sun kr dil ko tasali milti h ki mere khatu wale shyam....mere chirawa naresh meri raksha kr rhe h.....meri laaz rakh rhe h.....aaayiye sunte h iss bhajan ko shree sanjay mittal bhaiya ke paavan mukharbindh se....
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