श्याम तू क्या जाने खड़ा है भजन

श्याम तू क्या जाने खड़ा है भजन संजय मित्तल भजन

 
श्याम तू क्या जाने खड़ा है लिरिक्स Shyam Tu Kya Jane Khada Hai Lyrics Sanjay Mittal

श्याम तू क्या जाने,
खड़ा है कोने में एक दास,
हसरत से वो तुमको देखें हो,
हसरत से वो तुमको देखे,
करे यही अरदास,श्याम तू क्या जाने,
खड़ा है कोने में एक दास,

आँख से आँसू वो ढलकाएं,
बात जीया की कह नहीं पाएँ,
बात जिया की कह नहीं पाए,
कैसे बताऊ क्यों है उसका,
मनवा आज उदास,श्याम तू क्या जाने,
खड़ा है कोने में एक दास,

फ़ुरसत हो सुनले अफ़साना,
चोट जिग़र की देखले कान्हा,
चोट जिगर की देख ले कान्हाँ,
जान के तुमको अपना बाबा,
आया तेरे पास,श्याम तू क्या जाने,
खड़ा है कोने में एक दास,

देख खड़ा है एक सवाली,
आँख में आसूँ दामन खाली,
आंख में आंसू दामन खाली,
गम के थपेड़े ख़ाके हो गया,
सेवक आज हताश,श्याम तू क्या जाने,
खड़ा है कोने में एक दास,

भीड़ पड़ी है पलक उठाओं,
मेरी ओर भी नजर घुमाओ,
मेरी ओर भी नजर घुमाओं,
हर्ष सुना है कभी ना लौटा,
दर से कोई निराश,श्याम तू क्या जाने,
खड़ा है कोने में एक दास,श्याम तू क्या जाने,
खड़ा है कोने में एक दास,
हसरत से वो तुमको देखें हो,
हसरत से वो तुमको देखे,
करे यही अरदास,श्याम तू क्या जाने,
खड़ा है कोने में एक दास,


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एकादशी पर सुने "श्याम तू क्या जाने खड़ा है कोने मैं एक दास" - संजय मित्तल - भक्ति सांग
Album : Abhaar
Song : श्याम तू क्या जाने खड़ा है कोने मैं एक दास
Singer : Sanjay Mittal
Music - BIJENDER SINGH CHAUHAN
Lyrics - SHIV CHARAN JI, PANKAJ AGGARWAL
Parent Label (Publisher) - Shubham Audio Video

अधूरी पीड़ा, मौन उदासी और अंतर की गहराई से उठती आशा, उसी दिव्य सत्ता के निकट ठहर जाती है, जिसे संसार में हारे का सहारा कहा जाता है। आँखों में सपनों के टूटे हुए कतरे, मन में शब्दों से परे गहरी चिंता, जीवन की भीड़-भाड़ में खोया मन, उसी चिरंतन सहायक की ओर टकटकी लगाए खड़ा रहता है, जिसकी चौखट पर आकर हर निराशा मिटने लगती है। मन की निराशा, आंसुओं की गुलाबी धार, सब जैसे एक मौन याचना बनकर रह जाती हैं – विस्मृत भीड़ में भी, उस दूर खड़ी आवाज़ तक पहुँचने की चाह को मुखर करती हैं।

जिसे इतिहास ने बर्बरीक के रूप में जाना, और कृष्ण ने वरदान देकर कलियुग में अपना नाम और विश्वास सौंप दिया – वही श्याम, शरणागत की क्षणिक कमजोरी में सर्वसुलभ संतोष का वरदान है। कथाओं में भी यह बताया गया है कि उसकी चौखट पर कोई खाली नहीं लौटता, भावनाओं के बोझ में भी वही सहारा बनता है। इसी शरण में जीवन की छोटी-छोटी अभिलाषाएँ, हताशा के आँसू और आंतरिक पीड़ा सब एकाकार हो जाती है; कृपा की एक दृष्टि, एक आह्वान, सारी थकावट को हर लेती है। जिस जगह पर आस की डोर कमजोर पड़ जाए, वहां पर इसी भरोसे की लौ मन को जीवित रखती है – एकाग्र भाव, सच्ची पुकार और अंतर्मन की धड़कनों के साथ उस दर पर उपस्थित रहना शिव की ही तरह श्याम के प्रति अटूट समर्पण का प्रमाण है.
 
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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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