कबीर मारग अगम है मुनिजन बैठे थाक लिरिक्स Kabir Marag Agam Hai Lyrics Kabir Lyrics
कबीर मारग अगम है, मुनिजन बैठे थाक ।
तहाँ कबीरा चल गया, गहि सद्गुरु की साख॥
गगन मण्डल में घर किया, बाजे शब्द रसाल ।
रोम रोम दीपक बरे, प्रगटे दीन दयाल ॥
दीपक देखा ज्ञान का, पेखा अपरमदेव |
चार वेद की गम नहीं, तहाँ कबीरा सेव ॥
कबिर मारग अगम है, मुनिजन बैठे थाक ।
तहाँ कबीरा चल गया, गहि सद्गुरु की साख॥
गगन मण्डल में घर किया, बाजे शब्द रसाल ।
रोम रोम दीपक बरे, प्रगटे दीन दयाल ॥
दीपक देखा ज्ञान का, पेखा अपरमदेव |
चार वेद की गम नहीं, तहाँ कबीरा सेव ॥
तहाँ कबीरा चल गया, गहि सद्गुरु की साख॥
गगन मण्डल में घर किया, बाजे शब्द रसाल ।
रोम रोम दीपक बरे, प्रगटे दीन दयाल ॥
दीपक देखा ज्ञान का, पेखा अपरमदेव |
चार वेद की गम नहीं, तहाँ कबीरा सेव ॥
कबिर मारग अगम है, मुनिजन बैठे थाक ।
तहाँ कबीरा चल गया, गहि सद्गुरु की साख॥
गगन मण्डल में घर किया, बाजे शब्द रसाल ।
रोम रोम दीपक बरे, प्रगटे दीन दयाल ॥
दीपक देखा ज्ञान का, पेखा अपरमदेव |
चार वेद की गम नहीं, तहाँ कबीरा सेव ॥
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कबिर मारग अगम है, मुनिजन बैठे थाक ।
तहाँ कबीरा चल गया, गहि सद्गुरु की साख॥
गगन मण्डल में घर किया, बाजे शब्द रसाल ।
रोम रोम दीपक बरे, प्रगटे दीन दयाल ॥
दीपक देखा ज्ञान का, पेखा अपरमदेव |
चार वेद की गम नहीं, तहाँ कबीरा सेव ॥
तहाँ कबीरा चल गया, गहि सद्गुरु की साख॥
गगन मण्डल में घर किया, बाजे शब्द रसाल ।
रोम रोम दीपक बरे, प्रगटे दीन दयाल ॥
दीपक देखा ज्ञान का, पेखा अपरमदेव |
चार वेद की गम नहीं, तहाँ कबीरा सेव ॥
Kabir Mārg Agam Hai, Munijan Baithe Thāk,
Tahān Kabīrā Chal Gayā, Gahi Sadguru Kī Sākh.
Gagan Maṇḍal Mein Ghar Kiyā, Bāje Shabd Rasāl,
Rom Rom Dīpak Bare, Pragate Dīn Dayāl.
Dīpak Dekhā Gyān Kā, Pekhā Aparamdev,
Chār Ved Kī Gam Nahīn, Tahān Kabīrā Sev.
Kabir has provided a beautiful account of the spiritual path by using the metaphor that the path is tough and even the wise get weary but with the help of the true Guru, Kabir moves on. He dwells in the upper region of its tract Gagan Maṇḍal the region where dwell the holy tunes (Shabd). His heart and his soul, and his spirit and his breast become affame with the light of knowledge – and the compassionate Lord shines. This knowledge is so great that the four Vedas are unable to estimate this knowledge. Here Kabir serves at this realm that requires the.dateTimePicker of understanding to reach.
Tahān Kabīrā Chal Gayā, Gahi Sadguru Kī Sākh.
Gagan Maṇḍal Mein Ghar Kiyā, Bāje Shabd Rasāl,
Rom Rom Dīpak Bare, Pragate Dīn Dayāl.
Dīpak Dekhā Gyān Kā, Pekhā Aparamdev,
Chār Ved Kī Gam Nahīn, Tahān Kabīrā Sev.
Kabir has provided a beautiful account of the spiritual path by using the metaphor that the path is tough and even the wise get weary but with the help of the true Guru, Kabir moves on. He dwells in the upper region of its tract Gagan Maṇḍal the region where dwell the holy tunes (Shabd). His heart and his soul, and his spirit and his breast become affame with the light of knowledge – and the compassionate Lord shines. This knowledge is so great that the four Vedas are unable to estimate this knowledge. Here Kabir serves at this realm that requires the.dateTimePicker of understanding to reach.
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