माँ ऊँचे पर्वत वाली करती शेरो की सवारी भजन
माँ ऊँचे पर्वत वाली करती शेरो की सवारी भजन
(मुखड़ा)
माँ ऊँचे पर्वत वाली,
करती शेरों की सवारी,
अम्बे माँ,
घर में पधारो मेरी माँ,
अम्बे माँ,
घर में पधारो मेरी माँ।।
(अंतरा)
तेरे नाम की ज्योत जली है,
दर्शन को टोली खड़ी है,
अम्बे माँ,
आरती उतारूं मेरी माँ,
अम्बे माँ,
आरती उतारूं मेरी माँ।।
आंखें दर्शन की हैं प्यासी,
आजा माता, मिटे उदासी,
अम्बे माँ,
चरण पखारूं मेरी माँ,
अम्बे माँ,
चरण पखारूं मेरी माँ।।
हम सब भक्ति भाव न जाने,
पूजा-पाठ नहीं कुछ जाने,
अम्बे माँ,
तेरे ही गुण गाऊं ओ माँ,
अम्बे माँ,
तेरे ही गुण गाऊं ओ माँ।।
(अंतिम पुनरावृत्ति)
माँ ऊँचे पर्वत वाली,
करती शेरों की सवारी,
अम्बे माँ,
घर में पधारो मेरी माँ,
अम्बे माँ,
घर में पधारो मेरी माँ।।
माँ ऊँचे पर्वत वाली,
करती शेरों की सवारी,
अम्बे माँ,
घर में पधारो मेरी माँ,
अम्बे माँ,
घर में पधारो मेरी माँ।।
(अंतरा)
तेरे नाम की ज्योत जली है,
दर्शन को टोली खड़ी है,
अम्बे माँ,
आरती उतारूं मेरी माँ,
अम्बे माँ,
आरती उतारूं मेरी माँ।।
आंखें दर्शन की हैं प्यासी,
आजा माता, मिटे उदासी,
अम्बे माँ,
चरण पखारूं मेरी माँ,
अम्बे माँ,
चरण पखारूं मेरी माँ।।
हम सब भक्ति भाव न जाने,
पूजा-पाठ नहीं कुछ जाने,
अम्बे माँ,
तेरे ही गुण गाऊं ओ माँ,
अम्बे माँ,
तेरे ही गुण गाऊं ओ माँ।।
(अंतिम पुनरावृत्ति)
माँ ऊँचे पर्वत वाली,
करती शेरों की सवारी,
अम्बे माँ,
घर में पधारो मेरी माँ,
अम्बे माँ,
घर में पधारो मेरी माँ।।
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