मत रोवे ऐ धौली धौली गाय लिरिक्स Mat Rove Aie Dholi Dholi Gaay Lyrics Gau Mata Bhajan Lyrics Hindi, Gaay Mata Bhajan by Narendra Kaushik Ji
मत रोवे ऐ धौली धौली गाय,
दुनियाँ में अड़े कोई ना सुखी,
मैं तो एकली खड़ी बण में,
आज मेरा कोई नहीं धणी,
दुनियाँ में अड़े कोई ना सुखी।
मैं तो वृन्दावन में जाया करती,
मैं तो हरी हरी दूब चरा करती,
मैं तो जमुना का नीर पिया करती,
मैं तो बंसरी की धुन सुण के,
खूब उगाळा करती,
मत रोवे ऐ धौली धौली गाय,
दुनियाँ में अड़े कोई ना सुखी।
मैं तो नन्द गाँव में जाया करती,
मेरा राधा दूध निकाला करती,
मैं छह सर दूध दिया करती,
वा राधा खीर बनाया करती,
वा ते सबते पहले हे,
मैंने ही चखाया करती,
मत रोवे ऐ धौली धौली गाय,
दुनियाँ में अड़े कोई ना सुखी।
मैं तो नन्द गाँव में जाया करती,
उड़े दूध गुजरी बिलोया करती,
उड़े कृष्ण भोग लगाया करता,
वो तो सबते पहल्या हे,
मैंने ही जिमाया करता,
मत रोवे ऐ धौली धौली गाय,
दुनियाँ में अड़े कोई ना सुखी।
मैं तो वृन्दावन में जाया करती,
उड़े कृष्ण रास रचाया करता,
उड़े राधा रानी नाच्या करती,
मैं तो बंसरी की धुन सुनकर,
नाच दिखाया करती,
मत रोवे ऐ धौली धौली गाय,
दुनियाँ में अड़े कोई ना सुखी।
मैं तो चंद्रभान की चेली सूं,
बिना डर के फिरूं अकेली सूं,
कदे आवे कृष्ण काला,
देखू मैं तो बाट खड़ी,
मत रोवे ऐ धौली धौली गाय,
दुनियाँ में अड़े कोई ना सुखी।
मैं तो एकली खड़ी बण में,
आज मेरा कोई नहीं धणी,
मैं तो एकली खड़ी बण में,
आज मेरा कोई नहीं धणी,
दुनियाँ में अड़े कोई ना सुखी,
मैं तो एकली खड़ी बण में,
आज मेरा कोई नहीं धणी,
दुनियाँ में अड़े कोई ना सुखी।
मैं तो वृन्दावन में जाया करती,
मैं तो हरी हरी दूब चरा करती,
मैं तो जमुना का नीर पिया करती,
मैं तो बंसरी की धुन सुण के,
खूब उगाळा करती,
मत रोवे ऐ धौली धौली गाय,
दुनियाँ में अड़े कोई ना सुखी।
मैं तो नन्द गाँव में जाया करती,
मेरा राधा दूध निकाला करती,
मैं छह सर दूध दिया करती,
वा राधा खीर बनाया करती,
वा ते सबते पहले हे,
मैंने ही चखाया करती,
मत रोवे ऐ धौली धौली गाय,
दुनियाँ में अड़े कोई ना सुखी।
मैं तो नन्द गाँव में जाया करती,
उड़े दूध गुजरी बिलोया करती,
उड़े कृष्ण भोग लगाया करता,
वो तो सबते पहल्या हे,
मैंने ही जिमाया करता,
मत रोवे ऐ धौली धौली गाय,
दुनियाँ में अड़े कोई ना सुखी।
मैं तो वृन्दावन में जाया करती,
उड़े कृष्ण रास रचाया करता,
उड़े राधा रानी नाच्या करती,
मैं तो बंसरी की धुन सुनकर,
नाच दिखाया करती,
मत रोवे ऐ धौली धौली गाय,
दुनियाँ में अड़े कोई ना सुखी।
मैं तो चंद्रभान की चेली सूं,
बिना डर के फिरूं अकेली सूं,
कदे आवे कृष्ण काला,
देखू मैं तो बाट खड़ी,
मत रोवे ऐ धौली धौली गाय,
दुनियाँ में अड़े कोई ना सुखी।
मैं तो एकली खड़ी बण में,
आज मेरा कोई नहीं धणी,
मैं तो एकली खड़ी बण में,
आज मेरा कोई नहीं धणी,
मत रोवै ए धौली धौली गाँ दुनिया में आड़ै कोए ना सुखी - Gau Mata Bhajan || Narender Kaushik Bhajan
मत रोवे ऐ- रोओ मत।
धौली धौली गाय-सफ़ेद सफ़ेद गाय।
अड़े - यहाँ
कोई ना सुखी- कोई भी सुखी नहीं है।
मैं तो एकली खड़ी बण में- मैं तो अकेली वन में खड़ी हूँ।
धणी-स्वामी।
दुनियाँ में अड़े कोई ना सुखी-दुनिया में कोई सुखी नहीं है।
मैं तो वृन्दावन में जाया करती- मैं तो वृन्दावन को जाया करती थी।
मैं तो हरी हरी दूब चरा करती- वहां जाकर हरी हरी घास (दूब ) चरा करती थी।
मैं तो जमुना का नीर पिया करती- मैं तो यमुना जी का पानी पिया करती थी।
मैं तो बंसरी की धुन सुण के- मैं तो बांसुरी की धुन को सुनकर।
खूब उगाळा करती- खूब ही उगाळी (गाय के द्वारा खाए गए भोजन को पुनः मुंह में लेकर दुबारा चबाना )
मत रोवे ऐ धौली धौली गाय-सफ़ेद गाय तुम रोओ मत।
मैं छह सर दूध दिया करती- मैं तो छह शेर, छठ किलो दूध दिया करती थी।
वा राधा खीर बनाया करती- वह राधा खीर बनाया करती थी।
वा ते सबते पहले हे- वह तो सबसे पहले।
उड़े दूध गुजरी बिलोया करती- वहाँ गुजरी दूध को बिलोया (मथा ) करती थी।
मैं तो चंद्रभान की चेली सूं- मैं तो चंद्रभान की चली हूँ।
बिना डर के फिरूं अकेली सूं-बगैर डर के मैं तो अकेली फिरती हूँ।
कदे आवे कृष्ण काला- श्री कृष्ण काला (श्याम) कब आएगा।
देखू मैं तो बाट खड़ी-मैं तो खड़ी होकर राह देख रही हूँ।
धौली धौली गाय-सफ़ेद सफ़ेद गाय।
अड़े - यहाँ
कोई ना सुखी- कोई भी सुखी नहीं है।
मैं तो एकली खड़ी बण में- मैं तो अकेली वन में खड़ी हूँ।
धणी-स्वामी।
दुनियाँ में अड़े कोई ना सुखी-दुनिया में कोई सुखी नहीं है।
मैं तो वृन्दावन में जाया करती- मैं तो वृन्दावन को जाया करती थी।
मैं तो हरी हरी दूब चरा करती- वहां जाकर हरी हरी घास (दूब ) चरा करती थी।
मैं तो जमुना का नीर पिया करती- मैं तो यमुना जी का पानी पिया करती थी।
मैं तो बंसरी की धुन सुण के- मैं तो बांसुरी की धुन को सुनकर।
खूब उगाळा करती- खूब ही उगाळी (गाय के द्वारा खाए गए भोजन को पुनः मुंह में लेकर दुबारा चबाना )
मत रोवे ऐ धौली धौली गाय-सफ़ेद गाय तुम रोओ मत।
मैं छह सर दूध दिया करती- मैं तो छह शेर, छठ किलो दूध दिया करती थी।
वा राधा खीर बनाया करती- वह राधा खीर बनाया करती थी।
वा ते सबते पहले हे- वह तो सबसे पहले।
उड़े दूध गुजरी बिलोया करती- वहाँ गुजरी दूध को बिलोया (मथा ) करती थी।
मैं तो चंद्रभान की चेली सूं- मैं तो चंद्रभान की चली हूँ।
बिना डर के फिरूं अकेली सूं-बगैर डर के मैं तो अकेली फिरती हूँ।
कदे आवे कृष्ण काला- श्री कृष्ण काला (श्याम) कब आएगा।
देखू मैं तो बाट खड़ी-मैं तो खड़ी होकर राह देख रही हूँ।
Mat Rove Ai Dhaulee Dhaulee Gaay,
Duniyaan Mein Ade Koee Na Sukhee,
Main To Ekalee Khadee Baan Mein,
Aaj Mera Koee Nahin Dhaanee,
Duniyaan Mein Ade Koee Na Sukhee.
Main To Vrndaavan Mein Chala Gaya,
Main To Hari Hari Doob Chara Karata Hoon,
Main To Jamuna Ka Neer Piya Karata Hai,
Main To Bansaree Kee Dhun Sun Ke,
Ese Ugao Karata Hai,
Mat Rove Ai Dhaulee Dhaulee Gaay,
Duniyaan Mein Ade Koee Na Sukhee.
Main To Nand Gaanv Mein Chala Jaata Hoon,
Mera Raadha Doodh Nikaala Karata Hai,
Main Chhah Sar Doodh Diya Karata Hoon,
Va Raadha Kheer Banaaya Karata Hai,
Va Te Sabate Pahale He,
Main Hee Chakhaaya Karata Hoon,
Mat Rove Ai Dhaulee Dhaulee Gaay,
Duniyaan Mein Ade Koee Na Sukhee.
Main To Nand Gaanv Mein Chala Jaata Hoon,
Ude Doodh Gujaree Biloya Karata Hai,
Ude Krshn Bhog Lagae,
Vo To Sabate Pahalya He,
Mainne Hee Jimaaya,
Mat Rove Ai Dhaulee Dhaulee Gaay,
Duniyaan Mein Ade Koee Na Sukhee.
Main To Vrndaavan Mein Chala Gaya,
Udr Krshn Raas Rachaaya Karata Hai,
Ude Raadha Raanee Naachya Karatee Hai,
Main To Bansaree Kee Dhun Sunakar,
Naach Ne Dikhaaya,
Mat Rove Ai Dhaulee Dhaulee Gaay,
Duniyaan Mein Ade Koee Na Sukhee.
Main To Chandrabhaan Kee Chelee Soon,
Bina Dar ke Phir Anant Aur Usake Saath,
Kade Krshn Krshn,
Dekhoo Main To Baat Khadee,
Mat Rove Ai Dhaulee Dhaulee Gaay,
Duniyaan Mein Ade Koee Na Sukhee.
Main To Ekalee Khadee Baan Mein,
Aaj Mera Koee Nahin Dhaanee,
Main To Ekalee Khadee Baan Mein,
Aaj Mera Koee Nahin Dhaanee,
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