(मुखड़ा) कौन जाने मैया रानी, जाने किस पे कृपा कर दे, वो चाहे उजड़े गुलशन को, हरा भरा कर दे, वो चाहे उजड़े गुलशन को, हरा भरा कर दे।।
(अंतरा) नर तन देकर धन्य किया, और धन्यवाद इस वाणी के, किस्मत में माँ का प्यार मिला, और दर्शन मैया रानी के। तन मन अर्पण, आत्म समर्पण, जो खुशी-खुशी कर दे, वो चाहे उजड़े गुलशन को, हरा भरा कर दे। कौन जाने मैया रानी, जाने किस पे कृपा कर दे, वो चाहे उजड़े गुलशन को, हरा भरा कर दे।।
दरबार बहुत देखे जग में, पर ये दरबार अजूबा है, हर मनोकामना पूर्ण हुई, जिसने श्रद्धा से पूजा है। हम क्या जाने इसकी क्षमता, झोली एक पल में भर दे, वो चाहे उजड़े गुलशन को, हरा भरा कर दे। कौन जाने मैया रानी, जाने किस पे कृपा कर दे, वो चाहे उजड़े गुलशन को, हरा भरा कर दे।।
देने वाले तो लाखों हैं, पर तुम्हें भिखारी कर देंगे, इज्जत से जीने जग में, फिर कभी नहीं अवसर देंगे। मांग वहां सम्मान जहाँ, भव से निहाल कर दे, वो चाहे उजड़े गुलशन को, हरा भरा कर दे। कौन जाने मैया रानी, जाने किस पे कृपा कर दे, वो चाहे उजड़े गुलशन को, हरा भरा कर दे।।
(अंतिम पुनरावृत्ति) कौन जाने मैया रानी, जाने किस पे कृपा कर दे, वो चाहे उजड़े गुलशन को, हरा भरा कर दे, वो चाहे उजड़े गुलशन को, हरा भरा कर दे।।
झूठ बोले कौवा काटे ..न्यू फिल्मी तर्ज भजन | Mukesh Kumar Bhajan | Mata Ke Bhajan