रात गँवायी सोय के मीनिंग Raat Gavaai Soy Ke Meaning Lyrics
रात गँवायी सोय के, दिवस गँवाया खाय के,
हीरा जनम अमोल था, कौड़ी बदले जाय।
रात गँवायी सोय के।
सुमिरन लगन लगाय के, मुख से कछु ना बोल रे,
बाहर के पट बंद करि अंतर के पट खोल रे,
रात गँवायी सोय के, दिवस गँवाया खाय के,
हीरा जनम अमोल था, कौड़ी बदले जाय।
रात गँवायी सोय के।
माला फेरत जुग हुआ/गया, मिटा ना मन का फेर,
हाथ का मनका छोड़ दे, मन का मनका फेर,
रात गँवायी सोय के, दिवस गँवाया खाय के,
हीरा जनम अमोल था, कौड़ी बदले जाय।
रात गँवायी सोय के।
दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय रे,
जो सुख में सुमिरन करे तो दुःख काहे को होय रे,
सुख में सुमिरन ना किया दुख में करता याद रे,
कहे कबीर उस दास की कौन सुने फ़रियाद,
रात गँवायी सोय के, दिवस गँवाया खाय के,
हीरा जनम अमोल था, कौड़ी बदले जाय।
रात गँवायी सोय के।
हीरा जनम अमोल था, कौड़ी बदले जाय।
रात गँवायी सोय के।
सुमिरन लगन लगाय के, मुख से कछु ना बोल रे,
बाहर के पट बंद करि अंतर के पट खोल रे,
रात गँवायी सोय के, दिवस गँवाया खाय के,
हीरा जनम अमोल था, कौड़ी बदले जाय।
रात गँवायी सोय के।
माला फेरत जुग हुआ/गया, मिटा ना मन का फेर,
हाथ का मनका छोड़ दे, मन का मनका फेर,
रात गँवायी सोय के, दिवस गँवाया खाय के,
हीरा जनम अमोल था, कौड़ी बदले जाय।
रात गँवायी सोय के।
दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय रे,
जो सुख में सुमिरन करे तो दुःख काहे को होय रे,
सुख में सुमिरन ना किया दुख में करता याद रे,
कहे कबीर उस दास की कौन सुने फ़रियाद,
रात गँवायी सोय के, दिवस गँवाया खाय के,
हीरा जनम अमोल था, कौड़ी बदले जाय।
रात गँवायी सोय के।
MUKESH~( None Film )TU NE RAAT GANWAYE SOYE KE~[ Bhagt Kabir,s Vani ]
Raat Ganvaayee Soy Ke, Divas Ganvaaya Khaay Ke,
Heera Janam Amol Tha, Kaudee Badale Jaay.
Raat Ganvaayee Soy Ke.
Heera Janam Amol Tha, Kaudee Badale Jaay.
Raat Ganvaayee Soy Ke.
Heera Janam Amol Tha, Kaudee Badale Jaay.
Raat Ganvaayee Soy Ke.
Sumiran Lagan Lagaay Ke, Mukh Se Kachhu Na Bol Re,
Baahar Ke Pat Band Kari Antar Ke Pat Khol Re,
Raat Ganvaayee Soy Ke, Divas Ganvaaya Khaay Ke,
Heera Janam Amol Tha, Kaudee Badale Jaay.
Raat Ganvaayee Soy Ke.
Maala Pherat Jug Hua/gaya, Mita Na Man Ka Pher,
Haath Ka Manaka Chhod De, Man Ka Manaka Pher,
Raat Ganvaayee Soy Ke, Divas Ganvaaya Khaay Ke,
Heera Janam Amol Tha, Kaudee Badale Jaay.
Raat Ganvaayee Soy Ke.
Duhkh Mein Sumiran Sab Kare, Sukh Mein Kare Na Koy Re,
Jo Sukh Mein Sumiran Kare To Duhkh Kaahe Ko Hoy Re,
Sukh Mein Sumiran Na Kiya Dukh Mein Karata Yaad Re,
Kahe Kabeer Us Daas Kee Kaun Sune Fariyaad,
Raat Ganvaayee Soy Ke, Divas Ganvaaya Khaay Ke,
Heera Janam Amol Tha, Kaudee Badale Jaay.
Raat Ganvaayee Soy Ke.
Raat Ganvaayee Soy Ke.
Sumiran Lagan Lagaay Ke, Mukh Se Kachhu Na Bol Re,
Baahar Ke Pat Band Kari Antar Ke Pat Khol Re,
Raat Ganvaayee Soy Ke, Divas Ganvaaya Khaay Ke,
Heera Janam Amol Tha, Kaudee Badale Jaay.
Raat Ganvaayee Soy Ke.
Maala Pherat Jug Hua/gaya, Mita Na Man Ka Pher,
Haath Ka Manaka Chhod De, Man Ka Manaka Pher,
Raat Ganvaayee Soy Ke, Divas Ganvaaya Khaay Ke,
Heera Janam Amol Tha, Kaudee Badale Jaay.
Raat Ganvaayee Soy Ke.
Duhkh Mein Sumiran Sab Kare, Sukh Mein Kare Na Koy Re,
Jo Sukh Mein Sumiran Kare To Duhkh Kaahe Ko Hoy Re,
Sukh Mein Sumiran Na Kiya Dukh Mein Karata Yaad Re,
Kahe Kabeer Us Daas Kee Kaun Sune Fariyaad,
Raat Ganvaayee Soy Ke, Divas Ganvaaya Khaay Ke,
Heera Janam Amol Tha, Kaudee Badale Jaay.
Raat Ganvaayee Soy Ke.
रात गँवायी सोय के मीनिंग Raat Gavaai Soy Ke Meaning
रात गँवायी सोय के, दिवस गँवाया खाय के :
इस कबीर भजन में साधक को अत्यंत ही सटीक और गहन विषय को साधारण शब्दों के
अर्थ में साहेब ने समझाया है। कैसे बातों ही बातों में यह अनमोल जीवन बीत
जाता है, इस पर साहेब ने प्रकाश डाला है। साहेब कहते हैं की तुमने रात को
सोकर और दिन को खाने में ही व्यर्थ बीता दिया है। जबकि यह जीवन कोटि अन्य
जन्मों के उपरान्त ईश्वर की स्तुति, वंदन के लिए प्राप्त हुआ था। यहाँ सोने
से भाव है की अज्ञान की निंद्रा में जीव व्यस्त और मस्त रहा। अपने मालिक
को वह भूल गया। दिवस गँवाया खाय से आशय है की इन्द्रियों की संतुष्टि में
ही लगा रहा। वस्तुतः यह माया का भरम जाल है जसमे जीवात्मा अपने स्वामी को
भूल जाती है और माया ऐसा छद्म आवरण तैयार करती है जिसमे यह संसार ही स्थाई
घर लगने लगता है। लेकिन सत्य तो यह है की यह संसार एक सराय है। एक रोज सभी
को इसे छोड़ कर चले जाना है। कोई यहाँ सदा के लिए स्थाई नहीं रहने वाला है।
समझदारी तो इसी में है की हम ईश्वर के नाम का सुमिरन करे।
हीरा जनम अमोल था, कौड़ी बदले जाय : मानव जीवन बहुत अनमोल था लेकिन जीव इसे व्यर्थ ही सांसारिक कार्यों में उलझकर समाप्त कर देता है।
सुमिरन लगन लगाय के, मुख से कछु ना बोल रे : इन पंक्तियों में साहेब समझाते हैं की मन से भक्ति करो, ईश्वर को याद करो। मौखिक रूप से मन्त्र जाल और दिखावे की भक्ति से कुछ भी हासिल नहीं होने वाला है।
बाहर के पट बंद करि अंतर के पट खोल रे : बाहरी पट को खोल कर तुम अंदर हृदय के पट को खोलो। हृदय से ईश्वर को याद करो, उसके नाम का जाप करो तभी तुमको उसके अस्तित्व का एहसास होगा, अन्यथा सब कुछ व्यर्थ ही है।
हीरा जनम अमोल था, कौड़ी बदले जाय : हीरे के समान अमूल्य जीवन को तुम कौड़ी में मत बदलो।
दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय रे : दुःख में ईश्वर की याद सभी को आती है लेकिन सुख में कोई ईश्वर को याद नहीं करता है।
जो सुख में सुमिरन करे तो दुःख काहे को होय रे : यदि कोई सुख के दिनों में ईश्वर को याद कर ले तो दुःख किस बात का होगा।
हीरा जनम अमोल था, कौड़ी बदले जाय : मानव जीवन बहुत अनमोल था लेकिन जीव इसे व्यर्थ ही सांसारिक कार्यों में उलझकर समाप्त कर देता है।
सुमिरन लगन लगाय के, मुख से कछु ना बोल रे : इन पंक्तियों में साहेब समझाते हैं की मन से भक्ति करो, ईश्वर को याद करो। मौखिक रूप से मन्त्र जाल और दिखावे की भक्ति से कुछ भी हासिल नहीं होने वाला है।
बाहर के पट बंद करि अंतर के पट खोल रे : बाहरी पट को खोल कर तुम अंदर हृदय के पट को खोलो। हृदय से ईश्वर को याद करो, उसके नाम का जाप करो तभी तुमको उसके अस्तित्व का एहसास होगा, अन्यथा सब कुछ व्यर्थ ही है।
हीरा जनम अमोल था, कौड़ी बदले जाय : हीरे के समान अमूल्य जीवन को तुम कौड़ी में मत बदलो।
दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय रे : दुःख में ईश्वर की याद सभी को आती है लेकिन सुख में कोई ईश्वर को याद नहीं करता है।
जो सुख में सुमिरन करे तो दुःख काहे को होय रे : यदि कोई सुख के दिनों में ईश्वर को याद कर ले तो दुःख किस बात का होगा।
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