मिठो छोड़ दे तेरे गाँव का लाडू भजन

मिठो छोड़ दे तेरे गाँव का लाडू भजन

 
मिठो छोड़ दे तेरे गाँव का लाडू लिरिक्स Meetho Chhod De Bhajan

सुबह शाम तन्ने मीठो भावे,
महँगी हुई मिठाई,
कहने की मेरी हिम्मत कोन्यां,
कागज़ कलम उठाई,
मिठो छोड़ दे,
तेरे गाँव का लाडू,
महँगा हो गया रै,
मिठो छोड़ दे।
महँगा होग्या, महंगा होग्या,
महँगा हो रे।

बाबा जी थाने, मीठे की पड़ गई बाण,
मिठो कम खाया कर तू कहणों मेरो मान,
मिठो छोड़ दे,
तेरे गाँव का लाडू,
महँगा हो गया रै,
मिठो छोड़ दे।

दिन में मिठो रात ने मिठो, खाली मिठो भावे रै,
थोड़ो थोड़ो क्यों नहीं तू, नमकीन चबावे रे,
मिठो छोड़ दे,
तेरे गाँव का लाडू,
महँगा हो गया रै,
मिठो छोड़ दे।

दर्शन पूजा महँगी हो गई, लागे भोग मिठाई का,
उतनो खर्चों पड़ ज्या जितना ब्याह सगाई का,
मिठो छोड़ दे,
तेरे गाँव का लाडू,
महँगा हो गया रै,
मिठो छोड़ दे।

मिठो खाकर मोटो हो ग्यो, मोटो सेठ कुहावे रै,
बनवारी तू खुद सयाणों, क्यों मेरो मुँह खुलवावे रै,
मिठो छोड़ दे,
तेरे गाँव का लाडू,
महँगा हो गया रै,
मिठो छोड़ दे। 

मिठो छोड़ दे तेरे गाँव का लाडू भजन मीनिंग

सुबह शाम तन्ने मीठो भावे, महँगी हुई मिठाई : हे बाबा खाटू श्याम जी आपको तो सुबह शाम मिठाई ही अच्छी लगती है।
कहने की मेरी हिम्मत कोन्यां, कागज़ कलम उठाई : मैं आपके कुछ कह नहीं सकता हूँ, मेरी इतनी हिम्म्मत नहीं है इसलिए मैंने कागज और कलम उठाई है।
मिठो छोड़ दे : बाबाजी अब तो आप मीठा छोड़ ही दो।
तेरे गाँव का लाडू, महँगा हो गया रै : तेरे गाँव के लड्डू महंगे हो गए हैं।
बाबा जी थाने, मीठे की पड़ गई बाण : बाबाजी/श्री खाटू बाबा आपको तो मीठे की आदत पड़ गई है।  बाण-लत लगना, आदत बन जाना।
मिठो कम खाया कर तू कहणों मेरो मान : आप मीठा कम खाया करो और मेरी बात को मानों।
दिन में मिठो रात ने मिठो, खाली मिठो भावे रै : आपको दिन और रात दोनों वक़्त ही मीठा अच्छा लगता है। आपको मीठा ही भाता है। भाना -अच्छा लगना, खाने के अच्छा लगना।
थोड़ो थोड़ो क्यों नहीं तू, नमकीन चबावे रे : मीठे के साथ आप थोड़ा बहुत नमकीन क्यों नहीं खाते हो ?
दर्शन पूजा महँगी हो गई, लागे भोग मिठाई का : पूजा पाठ और आपका दर्शन बड़ा ही महंगा हो गया है क्योंकि आपको मिठाई का भोग लगता है और मिठाई बहुत ही महँगी हो चली है।
उतनो खर्चों पड़ ज्या जितना ब्याह सगाई का : आपकी पूजा में बहुत अधिक खर्चा बैठ जाता है। जैसे शादी और सगाई में अधिक खर्चा लगता है ऐसे ही आपकी पूजा पाठ में भी अधिक खर्चा लगने लगा है।
मिठो खाकर मोटो हो ग्यो, मोटो सेठ कुहावे रै : अधिक मीठा खाकर आप मोटे हो गए हैं। इसी कारण से आप मोटे सेठ कहलाते हैं।
बनवारी तू खुद सयाणों, क्यों मेरो मुँह खुलवावे रै : 'बनवारी' जो इस भजन के लेखक हैं, कहते हैं की अब आप अधिक जानते हैं, ग्यानी (सयाने) हैं, मेरा मुंह क्यों खुलवाते हो ? 

Meetho Chod De · Jai Shankar Chaudhary

Subah Shaam Tanne Mitho Bhaave,
Mahangi Hui Mithai,
Kahane Ki Meri Himmat Konyaan,
Kaagaz Kalam Uthai,
Mitho Chhod De,
Tere Gaanv Ka Laadu,
Mahanga Ho Gaya Rai,
Mitho Chhod De.
Mahanga Hogya, Mahanga Hogya,
Mahanga Ho Re.
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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