जीवन है पानी की बूँद कब मिट जाए रै Jivan Hai Paani Ki Boond bhajan Rakesh Kumar Sharma
जीवन है पानी की बूँद,कब मिट जाए रे,
होनी अनहोनी,
कब क्या घाट जाए रे
जीवन है पानी की बूँद,
कब मिट जाए रै।
साथ निभाएगा बेटा,
सोच रहा लेटा लेटा,
हाय बुढ़ापा आएगा,
पास ना आएगा बेटा
बागो में तू क्यों आनंद मनाये रै,
जीवन है पानी की बूँद,
कब मिट जाए रै।
अर्ध मृतक संग वृद्धापन,
झुकी कमर सिकुड़न सिकुड़न
गोदी में पोता पोती,
खोज रहा बचपन यौवन
बीते जीवन के,
क्यों गीत सुनाये रै,
जीवन है पानी की बूँद,
कब मिट जाए रै।
हाथों में लकड़ी थामी,
चाल हो गयी मस्तानी,
यम के घर खुद जाने की,
जैसे मन में हो ठानी
बैठा वह सोचे,
क्यों कर, कब मर जाए रे
जीवन है पानी की बूँद,
कब मिट जाए रै।
जीवन बीता अरघट में,
पुण्य पाप की करवट में
चढ़ कर अर्थी पर जाए,
अंत समय भी मरघट में,
तेरा ही बेटा,
तेरा कफ़न सजाये रे,
जीवन है पानी की बूँद,
कब मिट जाए रै।
सर पर जिसे बिठाया है,
गोदी में भी खिलाया है,
लाड प्यार में पाला है,
सुख की नींद सुलाया है
तेरा ही बेटा,
तुझे आग लगाए रे
जीवन है पानी की बूँद,
कब मिट जाए रै।
जिसके लिए कमाता है,
जीवन साथी बताता है
जिसकी चिंता कर करके,
अपना चैन गंवाता है
देहरी से बाहर,
वो साथ ना जाए रे
जीवन है पानी की बूँद,
कब मिट जाए रै।
चारपाई पर लेटा है,
पास न बेटी बेटा है,
चिल्लाता है पानी को,
कोई ना पानी देता है,
भूखा प्यासा है इक दिन,
मर जाए रे
जीवन है पानी की बूँद,
कब मिट जाए रै।
होनी अनहोनी,
कब क्या घाट जाए रे
जीवन है पानी की बूँद,
कब मिट जाए रै।
साथ निभाएगा बेटा,
सोच रहा लेटा लेटा,
हाय बुढ़ापा आएगा,
पास ना आएगा बेटा
बागो में तू क्यों आनंद मनाये रै,
जीवन है पानी की बूँद,
कब मिट जाए रै।
अर्ध मृतक संग वृद्धापन,
झुकी कमर सिकुड़न सिकुड़न
गोदी में पोता पोती,
खोज रहा बचपन यौवन
बीते जीवन के,
क्यों गीत सुनाये रै,
जीवन है पानी की बूँद,
कब मिट जाए रै।
हाथों में लकड़ी थामी,
चाल हो गयी मस्तानी,
यम के घर खुद जाने की,
जैसे मन में हो ठानी
बैठा वह सोचे,
क्यों कर, कब मर जाए रे
जीवन है पानी की बूँद,
कब मिट जाए रै।
जीवन बीता अरघट में,
पुण्य पाप की करवट में
चढ़ कर अर्थी पर जाए,
अंत समय भी मरघट में,
तेरा ही बेटा,
तेरा कफ़न सजाये रे,
जीवन है पानी की बूँद,
कब मिट जाए रै।
सर पर जिसे बिठाया है,
गोदी में भी खिलाया है,
लाड प्यार में पाला है,
सुख की नींद सुलाया है
तेरा ही बेटा,
तुझे आग लगाए रे
जीवन है पानी की बूँद,
कब मिट जाए रै।
जिसके लिए कमाता है,
जीवन साथी बताता है
जिसकी चिंता कर करके,
अपना चैन गंवाता है
देहरी से बाहर,
वो साथ ना जाए रे
जीवन है पानी की बूँद,
कब मिट जाए रै।
चारपाई पर लेटा है,
पास न बेटी बेटा है,
चिल्लाता है पानी को,
कोई ना पानी देता है,
भूखा प्यासा है इक दिन,
मर जाए रे
जीवन है पानी की बूँद,
कब मिट जाए रै।
जीवन है पानी की बूँद कब मिट जाए रे | Jeevan Hai Paani Ki Boond | चेतावनी भजन | Rakesh Kumar Sharma
Kab Mit Jae Re,
Honi Anahoni,
Kab Kya Ghaat Jae Re
Jivan Hai Paani Ki Bund,
Kab Mit Jae Rai.
Saath Nibhaega Beta,
Soch Raha Leta Leta,
Haay Budhaapa Aaega,
Paas Na Aaega Beta
Baago Mein Tu Kyon Aanand Manaaye Rai,
Jivan Hai Paani Ki Bund,
Kab Mit Jae Rai.
Ardh Mrtak Sang Vrddhaapan,
Jhuki Kamar Sikudan Sikudan
Godi Mein Pota Poti,
Khoj Raha Bachapan Yauvan
Bite Jivan Ke,
Kyon Git Sunaaye Rai,
Jivan Hai Paani Ki Bund,
Kab Mit Jae Rai.
Haathon Mein Lakadi Thaami,
Chaal Ho Gayi Mastaani,
Yam Ke Ghar Khud Jaane Ki,
Jaise Man Mein Ho Thaani
Baitha Vah Soche,
Kyon Kar, Kab Mar Jae Re
Jivan Hai Paani Ki Bund,
Kab Mit Jae Rai.
Jivan Bita Araghat Mein,
Puny Paap Ki Karavat Mein
Chadh Kar Arthi Par Jae,
Ant Samay Bhi Maraghat Mein,
Tera Hi Beta,
Tera Kafan Sajaaye Re,
Jivan Hai Paani Ki Bund,
Kab Mit Jae Rai.
Sar Par Jise Bithaaya Hai,
Godi Mein Bhi Khilaaya Hai,
Laad Pyaar Mein Paala Hai,
Sukh Ki Nind Sulaaya Hai
Tera Hi Beta,
Tujhe Aag Lagae Re
Jivan Hai Paani Ki Bund,
Kab Mit Jae Rai.
Jisake Lie Kamaata Hai,
Jivan Saathi Bataata Hai
Jisaki Chinta Kar Karake,
Apana Chain Ganvaata Hai
Dehari Se Baahar,
Vo Saath Na Jae Re
Jivan Hai Paani Ki Bund,
Kab Mit Jae Rai.
Chaarapai Par Leta Hai,
Paas Na Beti Beta Hai,
Chillaata Hai Paani Ko,
Koi Na Paani Deta Hai,
Bhukha Pyaasa Hai Ik Din,
Mar Jae Re
Jivan Hai Paani Ki Bund,
Kab Mit Jae Rai.
Author - Saroj Jangir
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