साँचा है तेरा दरबार ओ मैया शेरोवाली भजन
साँचा है तेरा दरबार ओ मैया शेरोवाली भजन
(मुखड़ा)
साँचा है तेरा दरबार,
ओ मैया शेरोवाली,
ऊँचे-ऊँचे पर्वत वाली,
सचियाँ-सचियाँ ज्योतावाली,
तू ही दुर्गा, तू ही काली,
साँचा है तेरा दरबार,
ओ मैया शेरोवाली।।
(अंतरा 1)
चंड और मुंड ने, स्वर्ग को घेरा,
और उत्पात मचाया,
देवता सारे, शरण में आए,
मैया, तुमको मनाया।
रौद्र रूप, माँ, तुमने धारा,
चंड और मुंड को तुमने मारा,
साँचा है तेरा दरबार,
ओ मैया शेरोवाली।।
(अंतरा 2)
गोरा रूप में, शिव शंकर के,
वाम अंग तुम आई,
लक्ष्मी बनकर, विष्णु जी के,
संग में तुम ही सुहाई।
ब्रह्माणी बन, भक्तों को तारा,
भव सागर से पार उतारा,
साँचा है तेरा दरबार,
ओ मैया शेरोवाली।।
(अंतरा 3)
वैष्णो रूप में, श्रीधर पंडित,
तुमने पार लगाया,
पापी भैरव का पाप बड़ा जब,
तुमने मार गिराया।
पापी को, माँ, मार गिराए,
भक्त जनों पे प्यार लुटाए,
साँचा है तेरा दरबार,
ओ मैया शेरोवाली।।
(अंतरा 4)
कंजक रूप में, मेरे घर में,
शेरोवाली, आना,
हलवा-चने का, मेरे हाथों,
मैया, भोग लगाना।
लाल चुनरियाँ, तुमको ओढ़ाऊँ,
रात और दिन, गुणगान मैं गाऊँ,
साँचा है तेरा दरबार,
ओ मैया शेरोवाली।।
(अंतिम पुनरावृत्ति)
साँचा है तेरा दरबार,
ओ मैया शेरोवाली,
ऊँचे-ऊँचे पर्वत वाली,
सचियाँ-सचियाँ ज्योतावाली,
तू ही दुर्गा, तू ही काली,
साँचा है तेरा दरबार,
ओ मैया शेरोवाली।।
साँचा है तेरा दरबार,
ओ मैया शेरोवाली,
ऊँचे-ऊँचे पर्वत वाली,
सचियाँ-सचियाँ ज्योतावाली,
तू ही दुर्गा, तू ही काली,
साँचा है तेरा दरबार,
ओ मैया शेरोवाली।।
(अंतरा 1)
चंड और मुंड ने, स्वर्ग को घेरा,
और उत्पात मचाया,
देवता सारे, शरण में आए,
मैया, तुमको मनाया।
रौद्र रूप, माँ, तुमने धारा,
चंड और मुंड को तुमने मारा,
साँचा है तेरा दरबार,
ओ मैया शेरोवाली।।
(अंतरा 2)
गोरा रूप में, शिव शंकर के,
वाम अंग तुम आई,
लक्ष्मी बनकर, विष्णु जी के,
संग में तुम ही सुहाई।
ब्रह्माणी बन, भक्तों को तारा,
भव सागर से पार उतारा,
साँचा है तेरा दरबार,
ओ मैया शेरोवाली।।
(अंतरा 3)
वैष्णो रूप में, श्रीधर पंडित,
तुमने पार लगाया,
पापी भैरव का पाप बड़ा जब,
तुमने मार गिराया।
पापी को, माँ, मार गिराए,
भक्त जनों पे प्यार लुटाए,
साँचा है तेरा दरबार,
ओ मैया शेरोवाली।।
(अंतरा 4)
कंजक रूप में, मेरे घर में,
शेरोवाली, आना,
हलवा-चने का, मेरे हाथों,
मैया, भोग लगाना।
लाल चुनरियाँ, तुमको ओढ़ाऊँ,
रात और दिन, गुणगान मैं गाऊँ,
साँचा है तेरा दरबार,
ओ मैया शेरोवाली।।
(अंतिम पुनरावृत्ति)
साँचा है तेरा दरबार,
ओ मैया शेरोवाली,
ऊँचे-ऊँचे पर्वत वाली,
सचियाँ-सचियाँ ज्योतावाली,
तू ही दुर्गा, तू ही काली,
साँचा है तेरा दरबार,
ओ मैया शेरोवाली।।
शुक्रवार सुबह मातारानी का भजन || सच्चा है तेरा दरबार मैय्या शेरावाली || Sanccha HaiTera Darbar Maiya
Song : Saccha Hai Darbar Maiya Sherawali
Album : Sukrawar Mata Ke Bhajan
Singer : Rakesh Kala
Music : Rakesh Sharma
Lyrics: Chandan Tilak