वृषभानु नंदिनी राजत है भजन

वृषभानु नंदिनी राजत है भजन

वृषभानु नंदिनी राजत है,
सुरत रंग रस भरीं भामिनी सफल नारि सिर गाजत है।।
इत उतचलत पर दोऊ पग मद गयंद गति लाजत है।
अधर निरंग रंग गंडनि पर कटक कामकौ साजत है।।
उर पर लटक रही लट कारी कटिव किंकिनी बाजत है।
जय श्री हित हरिवंश पलटि प्रीतम पट जुवति जुगति सब छाजत है।

 
यह पद श्री हित हरिवंश जी द्वारा रचित है, जिसमें श्री राधा रानी की अनुपम शोभा का वर्णन किया गया है। पद का अर्थ इस प्रकार है:

वृषभानु नंदिनी राजत है, सुरत रंग रस भरीं भामिनी सफल नारि सिर गाजत है।
वृषभानु नंदिनी (श्री राधा) की शोभा अद्वितीय है। वे प्रेम और आनंद से परिपूर्ण हैं, और स्त्रियों में श्रेष्ठता की प्रतीक हैं।

इत उत चलत पर दोऊ पग मद गयंद गति लाजत है।
जब वे इधर-उधर चलती हैं, तो उनके दोनों चरणों की चाल को देखकर मदमस्त गजराज की गति भी लज्जित हो जाती है।

अधर निरंग रंग गंडनि पर कटक काम कौ साजत है।
उनके अधरों की लालिमा और कपोलों पर कामदेव की सेना (सौंदर्य) सजीव प्रतीत होती है।

उर पर लटक रही लट कारी कटि व किंकिनी बाजत है।
उनके वक्षस्थल पर काली अलकें लटक रही हैं, और कमर में करधनी की घंटियाँ मधुर ध्वनि कर रही हैं।

जय श्री हित हरिवंश पलटि प्रीतम पट जुवति जुगति सब छाजत है।
श्री हित हरिवंश जी कहते हैं, जब श्री राधा पलटकर अपने प्रियतम की ओर देखती हैं, तो उनकी यह अदा सभी युवतियों के लिए आदर्श बन जाती है। इस पद में श्री राधा रानी की अद्भुत सुंदरता, उनकी चाल, उनकी अलकों की शोभा का वर्णन किया गया है।
 

वृषभानु नंदिनी राजत है | मंगला | श्री हित चतुरासी | श्री हित अम्बरीष जी

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