
भोले तेरी भक्ति का अपना ही
जो हाथों पर लिखी,
कर्म लकीर कहते हैं,
जो माथे पर लिखी,
उसे तक़दीर कहते हैं,
जो बंधन में जकड़े,
उसे जंज़ीर कहते है,
जो बंधन तोड़े,
उसे महावीर कहते है,
जो हाथों पर लिखी.....।
वीर शासन की मुख्या मुख्या घटनाएं,
सुनी तो होंगी फिर भी हम दोहराएं,
पहले चिंतन करे,
फिर अपनाएं,
विश्वशांति की,
उन्हे जागीर कहते हैं,
जियो जीने दो कहा जिसने,
उसे महावीर कहते हैं,
जो हाथों पर लिखी.....।
चंडी कौशिक की नैया तिराई थी,
विष की धारा भी अमृत बनाई थी,
क्रोध ठंडा किया,
जोश मंदा किया,
राह दिखाई थी,
जो राह पे चलते हैं,
जो राह दिखाए,
उन्हे महावीर कहते हैं,
जो हाथों पर लिखी.....।
हिंसा की सारी सीमाए तोड़ी थी,
मृत्युदंड की सज़ा भी जिसको थोड़ी थी,
ईंट पत्थर प्रहार,
गालियों की बौछार,
हंस कर से ली थी,
उस अर्जुन माली को,
क्षमा वीर कहते हैं,
जो क्षमा सिखाते हैं,
उन्हे महावीर कहते हैं,
साध्वी ब्रहम था श्री चंदन बाला थी,
वीर शासन की उज्ज्वल उजाला थी,
सुनकर उसकी पुकार,
आए करुणा अवतार,
रोपी गुण माला थी,
जो आँसू टपके थे,
नयन का नीर कहते हैं,
जो आँसू पोछते हैं,
उन्हे महावीर कहते है,
जो हाथों पर लिखी.....।
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