मेरे मोहन तेरा मुस्कुराना लिरिक्स
मेरे मोहन तेरा मुस्कुराना लिरिक्स
मेरे मोहन तेरा मुस्कुराना,मेरे कान्हाँ, तेरा मुस्कुराना,
भूल जाने के क़ाबिल नहीं है,
मेरे मोहन तेरा मुस्कुराना,
मेरे कान्हाँ, तेरा मुस्कुराना,
भूल जाने के क़ाबिल नहीं है।
जब से देखा है जलवा तुम्हारा,
कोई आँखों में जँचता नहीं है,
यूँ तो देखे बहुत नूर वाले,
सारे आलम में तुझसा नहीं है,
मेरे मोहन तेरा मुस्कुराना,
भूल जाने के क़ाबिल नहीं है।
तेरी सूरत पे कुर्बान जाऊँ,
तेरी आँखें है या मय के प्याले,
जिनको नज़रों से तुमने पिलाई,
होश आने के काबिल नहीं है,
मेरे मोहन तेरा मुस्कुराना,
भूल जाने के क़ाबिल नहीं है।
मैंने पूछा की अब कब मिलोगे,
पहले मुस्काएं फिर चल के बोलै,
सबके दिल में समाए हुए हैं,
आने जाने के जरुरत नहीं है,
मेरे मोहन तेरा मुस्कुराना,
भूल जाने के क़ाबिल नहीं है।
मेरे मोहन तेरा मुस्कुराना,
मेरे कान्हाँ, तेरा मुस्कुराना,
भूल जाने के क़ाबिल नहीं है,
मेरे मोहन तेरा मुस्कुराना,
मेरे कान्हाँ, तेरा मुस्कुराना,
भूल जाने के क़ाबिल नहीं है।
मेरे मोहन तेरा मुस्कुराना | देवी चित्रलेखा जी का सुपरहिट भजन | श्री कृष्ण भजन
Mere Mohan Tera Muskuraana,
Mere Kaanhaan, Tera Muskuraana,
Bhul Jaane Ke Qaabil Nahin Hai,
Mere Mohan Tera Muskuraana,
Mere Kaanhaan, Tera Muskuraana,
Bhul Jaane Ke Qaabil Nahin Hai.
सुंदर भजन में श्रीकृष्णजी के प्रति भक्त का अटूट प्रेम और उनकी दिव्य छवि का गुणगान है। उनकी मुस्कान मन को ऐसा बाँधती है, जैसे सूरज की किरणें सुबह को रोशन करती हैं। यह मुस्कान इतनी पवित्र है कि उसे भूलना असंभव है, और वह हर पल भक्त के हृदय में बसी रहती है। भक्त का मन उनके प्रेम में डूबा है, पर वह अपने दर्द को छिपाए रखता है, जैसे तालाब का शांत जल गहराई में कई रहस्य समेटे होता है।
श्रीकृष्णजी का रूप देखने के बाद मन को कुछ और नहीं सुहाता। उनकी सुंदरता और तेज अनुपम है, जैसे आकाश में एकमात्र चंद्रमा चमकता हो। भक्ति का यही मार्ग है कि न भक्त बदले, न प्रभु। उनकी नजरों का जादू ऐसा है कि वह मन को मस्त कर देता है, जैसे कोई प्यासा अमृत पी ले। यह प्रेम आत्मा को शुद्ध करता है और संसार के बंधनों से मुक्त करता है।
जब भक्त मिलन की आस लिए पूछता है, श्रीकृष्णजी मुस्कुराकर कहते हैं कि वे तो हर हृदय में विराजमान हैं। उनकी कृपा सदा साथ है, जैसे छाया धूप में साथ चलती है। यह भजन सिखाता है कि सच्ची भक्ति में ही जीवन का सुख और शांति है। श्रीकृष्णजी की शरण में रहकर मन को वह आनंद मिलता है, जो सारे दुखों को हर लेता है और आत्मा को परम सत्य के करीब ले जाता है।
श्रीकृष्णजी का रूप देखने के बाद मन को कुछ और नहीं सुहाता। उनकी सुंदरता और तेज अनुपम है, जैसे आकाश में एकमात्र चंद्रमा चमकता हो। भक्ति का यही मार्ग है कि न भक्त बदले, न प्रभु। उनकी नजरों का जादू ऐसा है कि वह मन को मस्त कर देता है, जैसे कोई प्यासा अमृत पी ले। यह प्रेम आत्मा को शुद्ध करता है और संसार के बंधनों से मुक्त करता है।
जब भक्त मिलन की आस लिए पूछता है, श्रीकृष्णजी मुस्कुराकर कहते हैं कि वे तो हर हृदय में विराजमान हैं। उनकी कृपा सदा साथ है, जैसे छाया धूप में साथ चलती है। यह भजन सिखाता है कि सच्ची भक्ति में ही जीवन का सुख और शांति है। श्रीकृष्णजी की शरण में रहकर मन को वह आनंद मिलता है, जो सारे दुखों को हर लेता है और आत्मा को परम सत्य के करीब ले जाता है।
ऐसे ही अन्य भजन देखने के लिए कृपया होम पेज पर अवश्य विजिट करें।
Click Here To Visit Home Page
Click Here To Visit Home Page