आरती उतारव वो मोर देवी दुर्गा

आरती उतारंव वो मोर देवी दुर्गा

आरती उतारव वो मोर देवी दुर्गा,
साँझा बिहिनिया तोरे वो मईया,
आरती उतारंव वो मोर देवी दुर्गा।

अवतर आये लीला रचाएं,
पापी मन ल नसाये वो,
देवता जानिन तोला मानिन,
आसान म बैठाये वो,
सतवंतिन दाई हे महामाई,
अरजी गुजाराव वो,
आरती उतारव वो मोर देवी दुर्गा।

अगर कपूर के घीव में सघर के,
सुघ्घर दियना जलायेव वो,
सजा के धारी पान सुपारी नरियर,
भेला मड़हायेव वो,
सुमिरव मने मन झन आये अलहन,
माथ ल नवाव वो,
आरती उतारव वो मोर देवी दुर्गा।

शरधा रखके आरती करके
रुच मुच भोग लगायेव वो,
हुम अंगियारी आरी पारी,
मातेश्री ला मनायेव वो,
होके वो प्रसन दे दे मोला दरसन,
नयना अधंरावव वो,
आरती उतारव वो मोर देवी दुर्गा।

जेहर भजथे तोला सुमर थे,
भागमनी वो जनाथे वो,
पुरखा तरथे जिनगी सवरथे,
सरग के सुख ल पाथे हो,
ढोलक नंगारा बाजे आरा पारा,
गौतम जस गावव हो,
आरती उतारव वो मोर देवी दुर्गा।

भजन श्रेणी : माता रानी भजन (Read More : Mata Rani Bhajan)

Aarti Utarav Wo | आरती उतारंव वो | Divesh Sahu | HD Video | CG Jasgeet 2020

Aarati Utaarav Vo Mor Devi Durga,
Saanjha Bihiniya Tore Vo Maiya,
Aarati Utaaranv Vo Mor Devi Durga.

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