प्रथम नवदुर्गा माता शैलपुत्री माता महामंत्र बाधाएं करे दूर
Saroj Jangir
प्रथम नवदुर्गा: माता शैलपुत्री माता महामंत्र समस्त बाधाएं करे दूर
सभी भक्तों को जय माता की। माता नवदुर्गा का प्रथम रूप माता शैलपुत्री को माना जाता है। माता शैलपुत्री ही नवदुर्गा में प्रथम दुर्गा हैं जो अत्यंत ही पावन और शुभ हैं।
माता का जन्म पर्वतराज हिमालय के घर पर होने के कारण ही इनको "शैलपुत्री" कहा जाता है। नवरात्र पूजन में प्रथम दिवस माता शैलपुत्री की ही पूजा अर्चना और उपासना की जाती है। नवरात्रि के इस प्रथम दिन की उपासना में योगी अपने मन को 'मूलाधार' चक्र में स्थित करते हैं। यहीं से उनकी योग साधना का प्रारंभ होता है। माता रानी की शोभा अत्यंत ही निराली है। माता रानी के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएँ हाथ में कमल पुष्प सुशोभित हैं। अपने पूर्व जन्म में ये प्रजापति दक्ष की कन्या के रूप में उत्पन्न हुई थीं। तब माता जी का नाम सती था। इनका विवाह भगवान शंकरजी से हुआ है।
प्रथम नवदुर्गा: माता शैलपुत्री महामंत्र लिरिक्स हिंदी वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥ वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥ वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥ माता रानी के अन्य मन्त्र : - मां शैलपुत्री के मंत्र