ब्रह्मचारिणी माता महामंत्र समस्त बाधाएं करे दूर Brahmcharini Mata Mantra
नवरात्रि का दूसरा दिवस माता रानी "ब्रह्मचारिणी" का माना जाता है। माता का यह स्वरुप अत्यंत ही दिव्य और मंगलकारी है। इस रूप में माता तप का आचरण करती है। इस रूप में माता अत्यंत ही ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य मानी जाती हैं। माता ब्रह्मचारिणी के बाएँ हाथ में कमंडल है और दाएं हाथ में जाप की माला शोभित है। माता रानी को नारद जी ने भगवान् शिव की भक्ति के लिए प्रेरित किया था। यह तपस्या माता ने भगवान् शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए की थी। इसी तपस्या के कारण, तप करने के कारण माता को ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना जाता है।
तपस्या करते हुए माता रानी ने एक हजार वर्ष तक तपस्या की और कंद, फल फूल खाकर ही अपना समय व्यतीत किया। माता रानी ने कई वर्षों तक बिल्व के पत्रों का सेवन किया और बाद में जब उन्होंने पत्तों का सेवन बंद कर दिया तो इनका नाम अर्पणा पड़ा गया। अतः निचे दिया गया माता रानी का महामंत्र जिसका जाप आप भी अवश्य करें और माता रानी की कृपा को प्राप्त करें।
दधाना कर पद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥ दधाना कर पद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥ दधाना कर पद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
माता ब्रह्मचारिणी तपस्या और त्याग की प्रतीक हैं। उन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए हजारों वर्षों तक कठोर तपस्या की। इनकी पूजा करने से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है। माता ब्रह्मचारिणी की पूजा करने के लिए सबसे पहले प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर पूजा स्थान की सफाई करके माता ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद माता ब्रह्मचारिणी को फूल, माला, फल और मिठाई अर्पित करें। इसके बाद माता ब्रह्मचारिणी की आरती करें।
नवरात्रि दूसरा दिन - माता ब्रह्मचारिणी मां दुर्गा की नवशक्ति का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। मां दुर्गा का यह स्वरूप अनंत फल देने वाला है। इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है। Shailputri Mantra With Meaning : - दधाना कर पद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
Mata Rani Bhajan lyrics in hindi
नवरात्रि का दूसरा दिन देवी ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। ब्रह्मचारिणी, सफ़ेद रंग की वेशभूषा में तैयार होती हैं और उनके एक हाथ में रुद्राक्ष की माला और दूसरे हाथ में एक कमंडल होता है। देवी ब्रह्मचारिणी अपने उपासकों को सुखी और शांतिपूर्ण जीवन प्रदान करती हैं। दुर्गा का यह रूप देवी सती और देवी पार्वती द्वारा की गई गंभीर तपस्या का प्रतीक है। नवरात्रि का दूसरा दिन देवी ब्रह्मचारिणी की श्रद्धा के लिए मनाया जाता है