शेर सवारी कर जगदम्बे आएगी

शेर सवारी कर जगदम्बे आएगी

 शेर सवारी कर जगदंबे आएगी,
आकर मेरे सारे कष्ट मिटाएगी,
ओ मैया आएगी, कष्ट मिटाएगी।।

(अंतरा)
अष्टभुजी माँ शेरावाली,
करती है सबकी रखवाली,
करती है सबकी रखवाली,
तड़प नहीं बच्चों की माँ सह पाएगी,
आकर मेरे सारे कष्ट मिटाएगी।।

दयावान, बड़ी भोली-भाली,
भरती सबकी झोली खाली,
भरती सबकी झोली खाली,
देर नहीं माँ, पल में प्यारे लाएगी,
आकर मेरे सारे कष्ट मिटाएगी।।

और नहीं कोई दूजी आशा,
मैं तो माँ के दर्शन का प्यासा,
मैं तो माँ के दर्शन का प्यासा,
मुझको है विश्वास, माँ दर्शन कराएगी,
आकर मेरे सारे कष्ट मिटाएगी।।

ऋषि, मुनि, योगी, सन्यासी,
कहते माँ घट-घट की वासी,
कहते माँ घट-घट की वासी,
सुरेंद्र सिंह, तेरा माँ ही साथ निभाएगी,
आकर मेरे सारे कष्ट मिटाएगी।।

(पुनरावृत्ति)
शेर सवारी कर जगदंबे आएगी,
आकर मेरे सारे कष्ट मिटाएगी,
ओ मैया आएगी, कष्ट मिटाएगी।।
 यह भजन माँ जगदंबा के आगमन और उनकी कृपा की महिमा का गुणगान करता है। भक्त माँ से अपने कष्टों को दूर करने की प्रार्थना करता है और विश्वास रखता है कि माँ पल में उसकी झोली भर देंगी। ऋषि-मुनि और भक्तजन माँ को सर्वव्यापी बताते हैं और माँ के सानिध्य में रहने की कामना करते हैं।


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