वो सुबह कभी तो आयेगी लिरिक्स Wo Subah Kabhi To Aayegi Lyrics Sahir Ludhiyanavi

वो सुबह कभी तो आयेगी लिरिक्स Wo Subah Kabhi To Aayegi Lyrics, Song by Mukesh, Asha Bhosle from Phir Subah Hogi Movie.

साहिर लुधियानवी जी की अमर रचना वो सुबह कभी तो आएगी के लिरिक्स निचे दिए गए हैं। शायर का कथन है की वह / वो सुबह एक रोज जरूर आएगी जब इंसान की कद्र होगी। एक रोज ग़मों के बादल जरूर हटेंगे और इंसान को इंसान होने का सम्मान प्राप्त होगा। इस नज्म में साहिर बेहतर समाज की एक आशा जगाते हैं। 
मूवी/फिल्म : फिर सुबह होगी / Phir Subah Hogi
वर्ष / Year 1958
गीतकार : साहिर लुधियानवी जी
गायक : आशा मंगेशकर, मुकेश,
संगीतकार : खय्याम,
रचना : साहिर लुधियानवी जी
Lyricist : Sahir Ludhianvi, 


वो सुबह कभी तो आयेगी,
वो सुबह कभी तो आएगी,
इन काली सदियों के सर से,
जब रात का आँचल ढ़लकेगा,
जब दुख के बादल पिघलेंगे,
जब सुख का सागर छलकेगा,
जब अंबर झूम के नाचेगा,
जब धरती नग़में जायेगी,
वो सुबह कभी तो आएगी,
वो सुबह कभी तो आयेगी............।

जिस सुबह की ख़ातिर जुग जुग से,
हम सब मर मर कर जीते हैं,
जिस सुबह के अमृत की धुन में,
हम जहर के प्याले पीते हैं,
भूखी प्यासी रूहों पर,
एक दिन तो करम फ़रमायेगी,
वो सुबह कभी तो आएगी,
वो सुबह कभी तो आयेगी............।

माना के अभी तेरे मेरे,
अरमानों की क़ीमत कुछ भी नहीं,
मिट्टी का भी है कुछ मोल मगर,
इन्सानों की क़ीमत कुछ भी नहीं,
इंसानों की इज़्ज़त जब झूठे,
सिक्कों में ना तोली जायेगी,
वो सुबह कभी तो आएगी,
वो सुबह कभी तो आयेगी............।

Complete Lyrics "Wo Subah Kabhi To Aayegi" Writer Name "Sahir Ludhiyanavi.

माना कि अभी तेरे मेरे अरमानों की क़ीमत कुछ भी नहीं,
मिट्टी का भी है कुछ मोल मगर इन्सानों की क़ीमत कुछ भी नहीं,
इन्सानों की इज्जत जब झूठे सिक्कों में न तोली जाएगी,
वो सुबह कभी तो आयेगी............।

दौलत के लिए जब औरत की इस्मत को ना बेचा जाएगा,
चाहत को ना कुचला जाएगा, इज्जत को न बेचा जाएगा,
अपनी काली करतूतों पर जब ये दुनिया शर्माएगी,
वो सुबह कभी तो आयेगी............।

बीतेंगे कभी तो दिन आख़िर ये भूख के और बेकारी के,
टूटेंगे कभी तो बुत आख़िर दौलत की इजारादारी के,
जब एक अनोखी दुनिया की बुनियाद उठाई जाएगी,
वो सुबह कभी तो आयेगी............।

मजबूर बुढ़ापा जब सूनी राहों की धूल न फांकेगा,
मासूम लड़कपन जब गंदी गलियों में भीख न मांगेगा,
हक़ मांगने वालों को जिस दिन सूली न दिखाई जाएगी,
वो सुबह कभी तो आयेगी............।

फ़आक़ों की चिताओ पर जिस दिन इन्सां न जलाए जाएंगे,
सीने के दहकते दोज़ख में अरमां न जलाए जाएंगे,
ये नरक से भी गंदी दुनिया, जब स्वर्ग बनाई जाएगी,
वो सुबह कभी तो आयेगी............।

जिस सुबह की ख़ातिर जुग जुग से हम सब मर मर के जीते हैं,
जिस सुबह के अमृत की धुन में हम ज़हर के प्याले पीते हैं,
वो सुबह न आए आज मगर, वो सुबह कभी तो आएगी,
वो सुबह कभी तो आयेगी............। 
 
साहिर लुधियानवी (8 मार्च 1921 - 25 अक्टूबर 1980) जी भारत के एक प्रसिद्ध शायर तथा गीतकार रहे हैं। इनका जन्म लुधियाना में हुआ था और लाहौर (चार उर्दू पत्रिकाओं का सम्पादन, सन् 1948 तक). इनकी कर्मभूमि बंबई बनी। साहिर जी का पूर्ण नाम अब्दुल हयी साहिर है।
साहिर जी प्रसिद्ध गीत
आना है तो आ (फिल्म : नया दौर 1957), संगीतकार ओ पी नय्यर
अल्लाह तेरो नाम ईश्वर तेरो नाम (फिल्म :  हम दोनो 1961), संगीतकार जयदेव
चलो एक बार फिर से अजनबी बन जायें (फिल्म :  गुमराह 1963), संगीतकार रवि
मन रे तु काहे न धीर धरे (फिल्म :  चित्रलेखा 1964), संगीतकार रोशन
मैं पल दो पल का शायर हूं (फिल्म :  कभी कभी 1976), संगीतकार खय्याम
यह दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है (फिल्म :  प्यासा 1957), संगीतकार एस डी बर्मन
ईश्वर अल्लाह तेरे नाम (फिल्म :  नया रास्ता 1970), संगीतकार एन दत्ता
मारो भर भर कर पिचकारी (फिल्म :  धनवान 1981), संगीतकार हृदयनाथ मंगेशकर

भजन श्रेणी : विविध भजन/ सोंग लिरिक्स हिंदी Bhajan/ Song Lyrics

Woh Subah Kabhi Toh Aayegi (Duet) - Mukesh, Asha Bhosle - PHIR SUBAH HOGI - Raj Kapoor, Mala Sinha.

Vo Subah Kabhi To Aayegi,
Vo Subah Kabhi To Aaegi,
In Kaali Sadiyon Ke Sar Se,
Jab Raat Ka Aanchal Dhalakega,
Jab Dukh Ke Baadal Pighalenge,
Jab Sukh Ka Saagar Chhalakega,
Jab Ambar Jhum Ke Naachega,
Jab Dharati Nagamen Jaayegi,
Vo Subah Kabhi To Aaegi,
Vo Subah Kabhi To Aayegi.............

Jis Subah Ki Khaatir Jug Jug Se,
Ham Sab Mar Mar Kar Jite Hain,
Jis Subah Ke Amrt Ki Dhun Mein,
Ham Jahar Ke Pyaale Pite Hain,
Bhukhi Pyaasi Ruhon Par,
Ek Din To Karam Faramaayegi,
Vo Subah Kabhi To Aaegi,
Vo Subah Kabhi To Aayegi.............

Maana Ke Abhi Tere Mere,
Aramaanon Ki Qimat Kuchh Bhi Nahin,
Mitti Ka Bhi Hai Kuchh Mol Magar,
Insaanon Ki Qimat Kuchh Bhi Nahin,
Insaanon Ki Izzat Jab Jhuthe,
Sikkon Mein Na Toli Jaayegi,
Vo Subah Kabhi To Aaegi,
Vo Subah Kabhi To Aayegi.............

Chomplaitai Lyrichs "Wo Subah Kabhi To Aayaigi" Writair Namai "Sahir Ludhiyanavi.
Maana Ki Abhi Tere Mere Aramaanon Ki Qimat Kuchh Bhi Nahin,
Mitti Ka Bhi Hai Kuchh Mol Magar Insaanon Ki Qimat Kuchh Bhi Nahin,
Insaanon Ki Ijjat Jab Jhuthe Sikkon Mein Na Toli Jaegi,
Vo Subah Kabhi To Aayegi.............

Daulat Ke Lie Jab Aurat Ki Ismat Ko Na Becha Jaega,
Chaahat Ko Na Kuchala Jaega, Ijjat Ko Na Becha Jaega,
Apani Kaali Karatuton Par Jab Ye Duniya Sharmaegi,
Vo Subah Kabhi To Aayegi.............

Bitenge Kabhi To Din Aakhir Ye Bhukh Ke Aur Bekaari Ke,
Tutenge Kabhi To But Aakhir Daulat Ki Ijaaraadaari Ke,
Jab Ek Anokhi Duniya Ki Buniyaad Uthai Jaegi,
Vo Subah Kabhi To Aayegi.............

Majabur Budhaapa Jab Suni Raahon Ki Dhul Na Phaankega,
Maasum Ladakapan Jab Gandi Galiyon Mein Bhikh Na Maangega,
Haq Maangane Vaalon Ko Jis Din Suli Na Dikhai Jaegi,
Vo Subah Kabhi To Aayegi.............

Faaaqon Ki Chitao Par Jis Din Insaan Na Jalae Jaenge,
Sine Ke Dahakate Dozakh Mein Aramaan Na Jalae Jaenge,
Ye Narak Se Bhi Gandi Duniya, Jab Svarg Banai Jaegi,
Vo Subah Kabhi To Aayegi.............

Jis Subah Ki Khaatir Jug Jug Se Ham Sab Mar Mar Ke Jite Hain,
Jis Subah Ke Amrt Ki Dhun Mein Ham Zahar Ke Pyaale Pite Hain,
Vo Subah Na Aae Aaj Magar, Vo Subah Kabhi To Aaegi,
Vo Subah Kabhi To Aayegi.............

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