इक बार चले आओ, कान्हा लेकर बंसी हाथ में, तुम छवि दिखा जाओ, कान्हा लेके बंसी हाथ में।
बीच भँवर में मेरी नैया, तेरे बिन है कौन खिवैया, हरी पार लगा जाओ, कान्हा लेके बंसी हाथ में, इक बार चले आओ, कान्हा लेकर बंसी हाथ में, तुम छवि दिखा जाओ, कान्हा लेके बंसी हाथ में।
मुझको तेरी याद सतावे, दिन और रात चैन नहीं आवे, हरी दर्श दिखा जाओ,
कान्हा लेके बंसी हाथ में, इक बार चले आओ, कान्हा लेकर बंसी हाथ में, तुम छवि दिखा जाओ, कान्हा लेके बंसी हाथ में।
चातक बनकर तुझे पुकारूँ, सुबह शाम में तुझको पुकारूँ, हरी प्यास बुझा जाओ, कान्हा लेके बंसी हाथ में, इक बार चले आओ, कान्हा लेके बंसी हाथ में, तुम छवि दिखा जाओ, कान्हा लेके बंसी हाथ में।