सुबह की प्रार्थना के श्लोक अर्थ सहित जानिये
1. शुभं करोति कल्याणम
शुभं करोति कल्याणम आरोग्यं सुखसंपदा,
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योति र्नमोऽस्तुते।अर्थ: मैं दीपक के प्रकाश को प्रणाम करता हूं, जो शुभता, स्वास्थ्य और समृद्धि लाता है, जो अनैतिक भावनाओं को नष्ट करता है, बार बार दीपक के प्रकाश को प्रणाम करता हूं।
2. वक्रतुण्ड महाकाय
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभा,
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।अर्थ: घुमावदार सूंड वाले, विशाल शरीर काय, करोड़ सूर्य के समान महान प्रतिभाशाली। मेरे प्रभु, हमेशा मेरे सारे कार्य बिना विघ्न के पूरे करने की कृपा करें।
3. गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु
गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः,
गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः।
अर्थ:
गुरु को ब्रह्मा कहा गया है क्योंकि वह शिष्य को सगुण और ज्ञान देते हैं। गुरु को विष्णु कहा गया है क्योंकि वे शिष्य की सभी शंकाओं को दूर करके ज्ञानर्चर स्थिति में स्थित होने में मदद करते हैं। गुरु को महेश्वर कहा गया है क्योंकि वह शिष्य के अज्ञान को नष्ट करके अवगुण दूर करते हैं। ऐसा गुरु सत्य परब्रह्म अर्थात् ईश्वर हैं। ऐसे गुरु को प्रणाम करने का भाव इस लोक में है।
4. कृष्णाय वासुदेवाय देवकी नन्दनाय च
कृष्णाय वासुदेवाय देवकी नन्दनाय च,
नन्दगोप कुमाराय गोविन्दाय नमो नमः।
अर्थ:
श्रीकृष्ण को नमस्कार जो वासुदेव के पुत्र हैं और माता देवकी के लाडले हैं। उन्हें नमस्कार जो नंद के बालक है और जो स्वयं भगवान गोविंदा हैं उन्हें हम बार बार नमस्कार करते हैं।
5. शुक्लाम्बरधरं विष्णुं
शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम्,
प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये।
अर्थ:
हम भगवान श्री विष्णु का ध्यान करते हैं। जिन्होंने सफेद वस्त्र धारण किये हुए हैं। जो सर्वव्यापी है। चन्द्रमा की भांति वह प्रकाशवान और चमकीले हैं। वह जिनके चार हाथ और चेहरा सदा करुणा से भरा हुआ और तेजमय है, आओ हम भगवान विष्णु जी का ध्यान करें जो समस्त बाधाओं से हमारी रक्षा करते हैं।
6. पद्मासन स्थिते देवी
पद्मासन स्थिते देवी परब्रह्म स्वरूपिणी,
परमेशी जगत माता महालक्ष्मी नमोस्तुते।
अर्थ:
जो देवी मां कमल के आसन पर विराजमान हैं। जो देवी मां ब्रह्म स्वरूप है। वह महा देवी पुरे जगत की माता महालक्ष्मी को मेरा नमस्कार है।
7. सर्वमंगल मांगल्ये
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके,
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।
अर्थ:
सब प्रकार के मंगल करने वाली माता आप कल्याणकारी एवम सब मनोरथों को पूरा करने वाली हो। हे मां गौरी आप शरण ग्रहण करने योग्य एक त्रिकालदर्शी हो। हे नारायणी आपको नमस्कार है।
8. या देवी सर्वभूतेषु
या देवी सर्वभूतेषु मातृ-रूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
अर्थ:
जो देवी सभी प्राणियों में माता के रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।
9. मनोजवं मारुततुल्यवेगमं
मनोजवं मारुततुल्यवेगमं जितेन्द्रियं,
बुद्धिमतां वरिष्ठम् वातात्मजं,
वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये।
अर्थ:
मन जैसी स्फूर्ति और वायु-जैसे वेग वाले, परम बुद्धिमान, इन्द्रियनिग्रही, वानरपति, वायुपुत्र भगवान श्री राम के दूत हनुमान जी की में शरण लेता हूं।
10. त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव माता च पिता त्वमेव,
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेवा,
त्वमेव विद्या च द्रविणं त्वमेव,
त्वमेव सर्वम् मम देवदेवं।
अर्थ:
हे भगवान तुम्हीं माता हो, तुम्हीं पिता, तुम्हीं बंधु, तुम्हीं सखा हो। तुम्हीं विद्या हो, तुम्हीं द्रव्य, तुम्हीं सब कुछ हो। तुम ही मेरे देवता हो।
11. ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी
ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानुः,
शशी भूमिसुतो बुधश्चा गुरुभ शुक्रः,
शनिराहुकेतवः कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम्।
अर्थ:
हे ब्रह्मा, विष्णु/राक्षस मुरा के दुश्मन श्रीकृष्ण, शिव/त्रिपुरासुर का अंत करने वाले शिव, सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु सभी देवता मेरे दिन को मंगलमय करें।
12. सर्वेषां स्वस्ति भवतु
सर्वेषां स्वस्ति भवतु,
सर्वेषां शान्तिर्भवतु,
सर्वेषां पूर्वं भवतु,
सर्वेषां मङ्गलं भवतु,
सर्वे भवन्तु सुखिनः,
सर्वे सन्तु निरामयाः,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु,
मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्।
अर्थ:
सबका भला हो, सभी के लिए शांति हो, सभी पूर्णता के लिए उपयुक्त हों, और जो शुभ है उसका अनुभव सभी करें। सभी सुखी रहें। सभी स्वस्थ रहें। सभी अनुभव करें कि क्या अच्छा है और किसी को कष्ट ना हो।
सुबह की प्रार्थना के १२ श्लोक - 12 Slokas of Morning Prayer। Subah Ki Prathna | Bhakti Song