मैं तो हूँ तंग मैया तेरे नंदलाल से भजन

मैं तो हूँ तंग मैया तेरे नंदलाल से

मैं तो हूँ तंग मैया तेरे नंदलाल से,
ले जाता मटकी में से माखन निकाल के,
मैं तो हूँ तंग मैया तेरे नंदलाल से,
दोष लगाए ग्वालन तेरे नंदलाल पे,
रखती नहीं है काहे माखन सम्भाल के,
मैं तो हूँ तंग मैया तेरे नंदलाल से,
ले जाता मटकी में से माखन निकाल के।

बड़ों है खोटो तेरो कन्हैया,
माखन रोज़ चुराए,
माखन रोज़ चुराए,
में गागर जब भरने जाऊँ,
पीछे पीछे आए,
मारे गागर पे कंकड़,
ये तो उछाल के,
मैं तो हूँ तंग मैया तेरे नंदलाल से,
ले जाता मटकी में से माखन निकाल के।

बड़ी है झूठी ये गुजरिया,
झूठे दोष लगाए,
बार बार मेरी करे शिकायत,
मैया से पिटवाए,
हाँ मैया से पिटवाए,
माखन लपेट जाती मेरे ही गाल पे,
मैं तो हूँ तंग मैया तेरे नंदलाल से,
ले जाता मटकी में से माखन निकाल के।

मैं तो हूँ तंग मैया तेरे नंदलाल से,
ले जाता मटकी में से माखन निकाल के,
मैं तो हूँ तंग मैया तेरे नंदलाल से,
दोष लगाए ग्वालन तेरे नंदलाल पे,
रखती नहीं है काहे माखन सम्भाल के,
मैं तो हूँ तंग मैया तेरे नंदलाल से,
ले जाता मटकी में से माखन निकाल के। 

Other Version
मैं तो हूँ तंग मईया,
तेरे नन्दलाल से।
ले जाता मटकी में से,
माखन निकाल के।
ले जाता मटकी में से,
माखन निकाल के।
मैं तो हूँ तंग मईया,
तेरे नन्दलाल से।।

अंतरा 1:
बड़ो ही खोटो है कन्हैया,
माखन रोज चुरावे।
पीछे-पीछे आ जावे जब,
पनिया भरने जावे।
मारे गागर में मोहन,
कंकर उछाल के।
ले जाता मटकी में से,
माखन निकाल के।
मैं तो हूँ तंग मईया,
तेरे नन्दलाल से।।

अंतरा 2:
दोष लगावे ग्वालिन,
तेरे ये लाल पे।
दोष लगावे ग्वालिन,
तेरे ये लाल पे।
रखती नहीं है काहे,
माखन सम्भाल के।।

अंतरा 3:
बड़ी ही झूठी है गुजरिया,
झूठो दोष लगावे।
बार-बार मेरी करे शिकायत,
मईया से पिटवावे।
घर में राड़ करावे आवे,
माखन लपेट जाती,
ये मेरे गाल पे।
माखन लपेट जाती,
ये मेरे गाल पे।
रखती नहीं है काहे,
माखन सम्भाल के।
ले जाता मटकी में से,
माखन निकाल के।
मैं तो हूँ तंग मईया,
तेरे नन्दलाल से।।

समापन (मुखड़ा पुनः):
मैं तो हूँ तंग मईया,
तेरे नन्दलाल से।
ले जाता मटकी में से,
माखन निकाल के।
ले जाता मटकी में से,
माखन निकाल के।
मैं तो हूँ तंग मईया,
तेरे नन्दलाल से।। 


भजन श्रेणी : कृष्ण भजन (Krishna Bhajan)

KANHAJI KA BHAJAN || मैं तो हूँ तंग मैया तेरे नंदलाल से || JANAMASHTAMI BHAJAN|| BY SD ||

गोपियों का मन नंदलाल की शरारतों से परेशान भी है और मोहित भी। वे माँ यशोदा से शिकायत करती हैं कि कन्हैया उनकी मटकी से माखन चुरा लेता है, पानी भरने जाती हैं तो पीछे-पीछे आकर गागर में कंकड़ मारता है। यह शरारत भरी मस्ती गोपियों को तंग करती है, पर उनके मन में प्रेम भी जगाती है। गोपियां कहती हैं कि कन्हैया पर दोष लगता है, पर वह दोषी नहीं। असल में वे खुद माखन संभालकर नहीं रखतीं, और कन्हैया की शरारतों में ही रम जाती हैं। कन्हैया की ओर से जवाब है कि गोपियां झूठा इल्ज़ाम लगाती हैं, माखन तो वे खुद उसके गालों पर मल देती हैं, फिर माँ से शिकायत करती हैं।

गोपियों का तंग होना और शिकायत करना भी उनके प्रेम का ही एक रंग है। यह प्रेम इतना गहरा है कि तंग होने में भी आनंद है, और हर शिकायत में श्रीकृष्णजी के प्रति लगाव झलकता है।

SONG : MEIN TO HUN TANG MAIYYA 
SINGERS : SARLA DAHIYA 
 NEERJA DAHIYA GOSWAMI 
CHORUS : SANJEEV KUMAR 


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