दुर्गा माता चालीसा लिरिक्स पीडीऍफ़ Durga Mata Chalisa Lyrics Fayde

दुर्गा माता चालीसा लिरिक्स पीडीऍफ़ Durga Mata Chalisa Lyrics Fayde, Durga Mata Chalisa / Mantra Ke Fayade Hindi, Download PDF

हिंदू ग्रंथों में कहा गया है, "यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमंते तत्र देवता" अर्थात जहां नारियों की पूजा होती है, स्त्री का सम्मान किया जाता है, वहां देवताओं का वास होता है। हमारी इसी संस्कृति का हिस्सा है देवी पूजन।हिंदू धर्म में देवियों की पूजा का विशेष महत्व है। दुर्गा माता के नवरात्र वर्ष में 2 बार आते हैं और इन नवरात्रि में दुर्गा माता की पूजा का बहुत महत्व है। हिंदू धर्म में माता दुर्गा को शक्ति का रूप माना जाता है। उनको ही संसार का कर्ता माना गया है। और आदिशक्ति का दर्जा दिया गया है। इनके दोनों नवरात्र शारदीय नवरात्र और चैत्र नवरात्र के दौरान माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है। 

दुर्गा माता चालीसा लिरिक्स पीडीऍफ़ Durga Mata Chalisa Lyrics Fayde

दुर्गा चालीसा Durga Chalisa
नमो नमो दुर्गे सुःख करनी।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूं लोक फैली उजियारी॥

शशि ललाट मुख महाविशाला।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥

रूप मातु को अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे॥

तुम संसार शक्ति लै कीना।
पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥

Latest Bhajan Lyrics



प्रलयकाल सब नाशन हारी।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥

रूप सरस्वती को तुम धारा।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।
परगट भई फाड़कर खम्बा॥

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।
श्री नारायण अंग समाहीं॥

क्षीरसिन्धु में करत विलासा।
दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी॥

मातंगी अरु धूमावति माता।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥

श्री भैरव तारा जग तारिणी।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥

केहरि वाहन सोह भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै।
जाको देख काल डर भाजै॥

सोहै अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला॥

नगरकोट में तुम्हीं विराजत।
तिहुंलोक में डंका बाजत॥

शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे।
रक्तबीज शंखन संहारे॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी।
जेहि अघ भार मही अकुलानी॥

रूप कराल कालिका धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा॥

परी गाढ़ संतन पर जब जब।
भई सहाय मातु तुम तब तब॥

अमरपुरी अरु बासव लोका।
तब महिमा सब रहें अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥

प्रेम भक्ति से जो यश गावें।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।
जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
शंकर आचारज तप कीनो।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥

शक्ति रूप का मरम न पायो।
शक्ति गई तब मन पछितायो॥

शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥

मोको मातु कष्ट अति घेरो।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥

आशा तृष्णा निपट सतावें।
रिपू मुरख मौही डरपावे॥

शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।

जब लगि जिऊं दया फल पाऊं ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं ॥

दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।
सब सुख भोग परमपद पावै॥

देवीदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥
॥ इति श्री दुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ॥
 
इनकी पूजा अर्चना करने के साथ ही नवमी तिथि को कन्या पूजन कर नवरात्र को संपन्न में किया जाता है। दुर्गा माता की पूजा के समय दुर्गा चालीसा का पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होते हैं। सभी प्रकार के दुख और परेशानियां दूर होती हैं। दुर्गा माता को शक्ति का रूप बताया गया है। दुर्गा माता की शक्ति से सभी नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं और घर में सुख समृद्धि का वास होता है। नवरात्र में दुर्गा माता के चालीसा का पाठ बहुत ही फलदाई होता है। नवरात्र के अलावा नियमित रूप से भी हम दुर्गा माता के चालीसा का पाठ कर सकते हैं। दुर्गा माता के चालीसा का पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। दुर्गा माता का चालीसा देवीदास जी द्वारा लिखा गया है। उन्होंने दुर्गा माता की चालीसा में माता के सभी रूपों का वर्णन किया है। हिंदू धर्म में दुर्गा माता को ही संसार का कर्ताधर्ता माना गया है क्योंकि दुर्गा माता में ब्रह्मा, विष्णु और महेश जी तीनों देवताओं के गुण विद्यमान है।

दुर्गा माता की पूजा करते समय ध्यान देने योग्य बातें Durga Mata Chalisa

  • दुर्गा माता के पूजा की तैयारी के लिए सबसे पहले स्नानादि से निवृत्त होकर लाल वस्त्र धारण करें।
  • मंदिर की अच्छे से साफ सफाई करें।
  • एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछायें।
  • चौकी पर माता रानी की मूर्ति विराजमान करें।
  • एक तांबे के कलश में पानी भर कर रखें।
  • माता रानी को रोली, मोली, धुप और फूल अर्पित करें। गाय के घी से दीपक जलाएं।
  • अब दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
  • पूजा के पश्चात कलश के पानी का पूरे घर में छिड़काव करें।
  • इससे घर से सभी प्रकार के रोग, द्वेष,दुःख, दर्द और समस्याएं दूर हो जाती हैं।
  • घर में सुख समृद्धि और संपन्नता का वास होता है। 

दुर्गा चालीसा का पाठ करने के फायदे Durga Chalisa Ke Fayde (Benefits in Hindi)

  • दुर्गा चालीसा का पाठ नियमित रूप से करने से सभी प्रकार की समस्याओं का निराकरण होता है।
  • घर में सुख समृद्धि का वातावरण बनता है।
  • सभी प्रकार के रोग और द्वेष से मुक्ति मिलती है।
  • घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है।
  • दुर्गा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति में आत्मविश्वास की वृद्धि होती है।
  • दुर्गा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति में हिम्मत और शक्ति आती है।
  • दुर्गा माता आदिशक्ति का रूप है, इनकी पूजा करने से व्यक्ति में नई ऊर्जा और शक्ति का संचार होता है।
  • दुर्गा माता का चालीसा का पाठ करने से मन में शांति और स्थिरता आती है।
  • दुर्गा माता का चालीसा का पाठ करने से घर में सभी आर्थिक, सामाजिक, पारिवारिक और मानसिक समस्याओं का अंत होता है।
  • घर में धन-धान्य की प्रचुरता होती है।
  • शत्रुओं का नाश होता है।
  • दुर्गा माता का चालीसा का नियमित रूप से पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
  • दुर्गा माता का चालीसा का पाठ करने के अलावा उनके मंत्रों का जाप करने से भी सौभाग्य में वृद्धि होती है।

दुर्गा माता के प्रभावशाली मंत्र Durga Mta Mantra Hindi

1. सभी मंगल कार्यों को सफल बनाने के लिए मंत्र
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके, 
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।

2. सौभाग्य प्राप्त करने के लिए मंत्र:
देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्‌,
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि।

3. बाधा से मुक्ति एवं धन और पुत्र प्राप्ति हेतु मंत्र
सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः,
मनुष्यों मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय।
4. अच्छी जीवनसंगिनी प्राप्त करने हेतु मंत्र
मनोरमा देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्,
तारिणीं दुर्ग संसारसागस्य कुलोद्‍भवाम्।
5. घर में दुख दरिद्रता का नाश कर सुख समृद्धि प्राप्त करने हेतु मंत्र
दुर्गेस्मृता हरसि भतिमशेशजन्तो: स्वस्थैं: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि,
दरिद्रयदुखभयहारिणी कात्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता।

6. शत्रुओं से मुक्ति और सौभाग्य और स्वस्थ जीवन की प्राप्ति हेतु मंत्र.
ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः,
शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सान किं जनै।

7. सभी समस्याओं के निवारण हेतु मंत्र.
शरणागतर्दिनार्त परित्राण पारायणे,
सर्वस्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोऽतुते।

8. शत्रु का नाश एवं नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने के लिए मंत्र
ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्‍टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय 
जिह्वाम् कीलय बुद्धिम्विनाशाय ह्रीं ॐ स्वाहा।

9. कार्य को सफल बनाने के लिए मंत्र.
दुर्गे देवी नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थसाधिके,
मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय।

10. सभी समस्याओं और बाधाओं को दूर करने के लिए मंत्र
सर्वबाधा प्रशमनं त्रेलोक्यस्यखिलेशवरी,
एवमेय त्वया कार्य मस्माद्वैरि विनाशन।

11. बुद्धि, शांति और दुर्गा माता की कृपा प्राप्त करने के लिए मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

दुर्गा माता पूरे संसार की पालनहार है। इनकी पूजा पाठ करने से व्यक्ति को किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं होती है। सभी परेशानियां दूर होती हैं। घर में सुख समृद्धि का वास होता है। धनधान्य की प्रचुरता रहती है। आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और व्यक्ति अपने जीवन में सफलता के शिखर को छुता है।
जय माता की। 

भजन श्रेणी : माता रानी भजन (Mata Rani Bhajan)

Durga Chalisa with Lyrics By Anuradha Paudwal [Full Song] I DURGA CHALISA DURGA KAWACH

नमो नमो दुर्गे सुख करनी ।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी ॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी ।
तिहूँ लोक फैली उजियारी ॥
शशि ललाट मुख महाविशाला ।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला ॥
रूप मातु को अधिक सुहावे ।
दरश करत जन अति सुख पावे ॥ ४
तुम संसार शक्ति लै कीना ।
पालन हेतु अन्न धन दीना ॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला ।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी ।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें ।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ॥ ८
रूप सरस्वती को तुम धारा ।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा ।
परगट भई फाड़कर खम्बा ॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो ।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो ॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं ।
श्री नारायण अंग समाहीं ॥ १२
क्षीरसिन्धु में करत विलासा ।
दयासिन्धु दीजै मन आसा ॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी ।
महिमा अमित न जात बखानी ॥
मातंगी अरु धूमावति माता ।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी ।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ॥ १६
केहरि वाहन सोह भवानी ।
लांगुर वीर चलत अगवानी ॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै ।
जाको देख काल डर भाजै ॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला ।
जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत ।
तिहुँलोक में डंका बाजत ॥ २०
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे ।
रक्तबीज शंखन संहारे ॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी ।
जेहि अघ भार मही अकुलानी ॥
रूप कराल कालिका धारा ।
सेन सहित तुम तिहि संहारा ॥
परी गाढ़ सन्तन पर जब जब ।
भई सहाय मातु तुम तब तब ॥ २४
अमरपुरी अरु बासव लोका ।
तब महिमा सब रहें अशोका ॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी ।
तुम्हें सदा पूजें नरनारी ॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावें ।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें ॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई ।
जन्ममरण ताकौ छुटि जाई ॥ २८
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी ।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ॥
शंकर आचारज तप कीनो ।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को ।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ॥
शक्ति रूप का मरम न पायो ।
शक्ति गई तब मन पछितायो ॥ ३२
शरणागत हुई कीर्ति बखानी ।
जय जय जय जगदम्ब भवानी ॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा ।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो ।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो ॥
आशा तृष्णा निपट सतावें ।
मोह मदादिक सब बिनशावें ॥ ३६
शत्रु नाश कीजै महारानी ।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी ॥
करो कृपा हे मातु दयाला ।
ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला ॥
जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ॥
श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै ।
सब सुख भोग परमपद पावै ॥ ४०
देवीदास शरण निज जानी ।
कहु कृपा जगदम्ब भवानी ॥
॥दोहा॥
शरणागत रक्षा करे,
भक्त रहे नि:शंक ।
मैं आया तेरी शरण में,
मातु लिजिये अंक ॥
॥ इति श्री दुर्गा चालीसा ॥


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