रखलो सेवादार साईं जी करुगा सेवा चरणों
रखलो सेवादार साईं जी करुगा सेवा चरणों
रख लो सेवादार साईं जी,
करूंगा सेवा चरणों की, मत करना इनकार।
साईं जी, रख लो सेवादार साईं जी।
जन्म जन्म से तड़प रहा हूँ,
इधर उधर मैं भटक रहा हूँ,
कर देना उपकार।
साईं जी, रख लो सेवादार साईं जी।
ना ठुकराना अर्जी मेरी, आ गई साईं मर्जी तेरी,
कर दो बेड़ा पार।
साईं जी, रख लो सेवादार।
मोह माया ने ऐसा जकड़ा, तभी तो तेरा दामन पकड़ा,
सच कहता गोपाल।
साईं जी, रख लो सेवादार साईं जी।
करूंगा सेवा चरणों की, मत करना इनकार।
साईं जी, रख लो सेवादार साईं जी।
जन्म जन्म से तड़प रहा हूँ,
इधर उधर मैं भटक रहा हूँ,
कर देना उपकार।
साईं जी, रख लो सेवादार साईं जी।
ना ठुकराना अर्जी मेरी, आ गई साईं मर्जी तेरी,
कर दो बेड़ा पार।
साईं जी, रख लो सेवादार।
मोह माया ने ऐसा जकड़ा, तभी तो तेरा दामन पकड़ा,
सच कहता गोपाल।
साईं जी, रख लो सेवादार साईं जी।
इस भजन की पहली लाइन ने इसे सुपरहिट बना दिया || Latest Sai Baba 2020 || Rakhlo Sevadar || Sai Bhajan
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Song : Rakhlo Sevadar
Singer : krishan abhilashi
Music : Amit
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Music : Amit
साईं के चरणों में सेवा और समर्पण की भावना भक्त के हृदय को एक ऐसी तड़प से भर देती है, जो उसे प्रभु की शरण में बार-बार ले जाती है। यह भाव उस गहरे विश्वास को दर्शाता है कि साईं की सेवा में लीन होकर भक्त अपने जन्म-जन्म के भटकाव और दुखों से मुक्ति पा सकता है। उनकी कृपा वह शक्ति है, जो भक्त के जीवन को सांसारिक मोह-माया के बंधनों से मुक्त करती है और उसे सत्य और प्रेम के मार्ग पर ले जाती है। साईं का दामन थामने वाला भक्त यह जानता है कि उनकी शरण में ही उसका बेड़ा पार होगा, और उनकी सेवा में समर्पित होकर वह अपने जीवन को सार्थक बना सकता है। यह भक्ति और समर्पण भक्त को साईं के और करीब लाता है, जिससे उसका मन शांति और आनंद से भर जाता है।
साईं की करुणा और उनका प्रेम भक्त की हर अर्जी को सुनता है और उसे अपने चरणों में स्थान देता है। यह भाव उस अटल विश्वास को व्यक्त करता है कि साईं कभी अपने भक्त को ठुकराते नहीं, बल्कि उसे अपनी कृपा से नवाजते हैं। भक्त की यह पुकार कि साईं उसे अपना सेवादार बनाएँ, उसके हृदय की उस गहरी इच्छा को दर्शाती है, जो प्रभु की सेवा में जीवन को अर्पित करने की तमन्ना रखती है। साईं की कृपा से भक्त का जीवन न केवल मोह-माया के जाल से मुक्त होता है, बल्कि वह एक ऐसी आध्यात्मिक यात्रा पर निकलता है, जहाँ हर कदम पर साईं का साथ और उनकी दया उसे संबल देती है। यह भक्ति और सेवा का मार्ग भक्त को साईं के चरणों में सदा के लिए समर्पित कर देता है, जिससे उसका जीवन प्रभु के प्रेम में रंगा रहता है।
साईं की करुणा और उनका प्रेम भक्त की हर अर्जी को सुनता है और उसे अपने चरणों में स्थान देता है। यह भाव उस अटल विश्वास को व्यक्त करता है कि साईं कभी अपने भक्त को ठुकराते नहीं, बल्कि उसे अपनी कृपा से नवाजते हैं। भक्त की यह पुकार कि साईं उसे अपना सेवादार बनाएँ, उसके हृदय की उस गहरी इच्छा को दर्शाती है, जो प्रभु की सेवा में जीवन को अर्पित करने की तमन्ना रखती है। साईं की कृपा से भक्त का जीवन न केवल मोह-माया के जाल से मुक्त होता है, बल्कि वह एक ऐसी आध्यात्मिक यात्रा पर निकलता है, जहाँ हर कदम पर साईं का साथ और उनकी दया उसे संबल देती है। यह भक्ति और सेवा का मार्ग भक्त को साईं के चरणों में सदा के लिए समर्पित कर देता है, जिससे उसका जीवन प्रभु के प्रेम में रंगा रहता है।
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Author - Saroj Jangir
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